“Convict: वाराणसी कोर्ट ने दुष्कर्मी को सुनाया 20 साल का कारावास, 13 वर्षीय किशोरी के साथ की दरिंदगी”



वाराणसी में पांच साल बाद दुष्कर्म के आरोपी को मिली सजा वाराणसी में एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जहां रिश्तेदारी में आई एक किशोरी के साथ…

“Convict: वाराणसी कोर्ट ने दुष्कर्मी को सुनाया 20 साल का कारावास, 13 वर्षीय किशोरी के साथ की दरिंदगी”

वाराणसी में पांच साल बाद दुष्कर्म के आरोपी को मिली सजा

वाराणसी में एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जहां रिश्तेदारी में आई एक किशोरी के साथ दुष्कर्म के आरोपी भरोस कुमार को विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो-2) नितिन पांडे ने 20 वर्षों की कठोर कारावास की सजा सुनाई है। यह मामला 19 मार्च 2020 का है, जब आरोपी ने किशोरी को शौचालय में बंद कर उसके साथ दुष्कर्म किया था।

इस मामले की सुनवाई के दौरान न्यायाधीश ने गवाहों के बयान, साक्ष्यों और पुलिस द्वारा प्रस्तुत चार्जशीट के आधार पर आरोपी को दोषी ठहराया। सजा सुनाने के बाद पीड़ित पक्ष ने संतोष व्यक्त किया और कोर्ट का आभार जताया। वहीं, पुलिस ने मामले में सजग पैरवी का दावा किया।

दुष्कर्म की भयावह घटना का विवरण

विशेष लोक अभियोजक संतोष कुमार सिंह ने बताया कि 19 मार्च 2020 को शाम करीब 7 बजे चोलापुर क्षेत्र के एक गांव में 13 वर्षीय नाबालिग किशोरी के साथ दुष्कर्म की घटना घटित हुई थी। वादी ने 20 मार्च को चोलापुर थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई, जिसमें उसने बताया कि आरोपी भरोस कुमार ने उसकी भतीजी को जबरदस्ती गोद में उठाकर अपने शौचालय में ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म किया।

आरोपी ने किशोरी को शौचालय में बंद कर दिया और उसके साथ दो बार शारीरिक संबंध बनाए। दुष्कर्म के बाद किशोरी किसी तरह से वहां से भागकर अपने घर आई और अपनी चाची को पूरी घटना के बारे में बताया। जब उसकी चाची ने पूरी बात सुनी, तब उसे विश्वास हुआ कि उसकी भतीजी के साथ भरोस कुमार ने गलत काम किया है।

कोर्ट के फैसले और पीड़ित की स्थिति

विशेष लोक अभियोजक संतोष कुमार सिंह ने अदालत में कुल 6 गवाहों को पेश किया, जबकि बचाव पक्ष ने आरोपी के 4 परिजनों को गवाही देने के लिए प्रस्तुत किया। अभियोजन पक्ष ने इस मामले में आजीवन कारावास की सजा की मांग की थी, लेकिन न्यायाधीश ने 20 वर्ष की कठोर कारावास की सजा का फैसला सुनाया। इसके साथ ही आरोपी पर 25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। अगर आरोपी जुर्माना नहीं भरता है, तो उसे अतिरिक्त दो वर्षों की सजा भुगतनी पड़ेगी।

कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि जुर्माने की राशि पीड़िता को दी जाएगी। यह फैसला न केवल पीड़ित के लिए न्याय की एक उम्मीद है, बल्कि समाज में इस तरह की घटनाओं के खिलाफ एक सख्त संदेश भी है।

समाज में दुष्कर्म की घटनाओं पर चिंता

यह मामला एक बार फिर से उन गंभीर मुद्दों को उजागर करता है, जो हमारी समाज में दुष्कर्म और हिंसा के खिलाफ लड़ाई को चुनौती देते हैं। पीड़ितों को न्याय दिलाने में समय लगना और समाज में ऐसे मामलों का होना, एक चिंताजनक स्थिति है।

विशेष न्यायाधीश ने इस मामले में सजा सुनाते समय यह भी कहा कि ऐसे मामलों में त्वरित न्याय बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह भी बताया कि समाज को इस प्रकार की घटनाओं के प्रति सजग रहना चाहिए और पीड़ितों को आवाज देने में मदद करनी चाहिए।

निष्कर्ष

वाराणसी में हुए इस मामले ने यह साबित कर दिया है कि यदि पीड़ित अपनी आवाज उठाए और कानून के सहारे न्याय की मांग करे, तो उसे अवश्य न्याय मिलेगा। यह न केवल दुष्कर्म के खिलाफ एक कदम है, बल्कि समाज में बदलाव लाने की दिशा में भी महत्वपूर्ण है। हमें इस दिशा में और जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति न हो।

इस घटना ने यह भी स्पष्ट किया है कि समाज को इस प्रकार की घटनाओं के प्रति और अधिक संवेदनशील होना चाहिए और पीड़ितों को समर्थन देने के लिए आगे आना चाहिए।

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