नवरात्रि का सातवां दिन: मां कालरात्रि की विशेष पूजा
नवरात्रि का सातवां दिन आज, यानि सोमवार को मनाया जा रहा है, जो विशेष रूप से मां कालरात्रि को समर्पित है। इसे महा सप्तमी भी कहा जाता है। मां कालरात्रि देवी दुर्गा के सबसे उग्र और शक्तिशाली स्वरूप मानी जाती हैं, जिन्हें अंधकार और अज्ञान का विनाशक माना जाता है। इस दिन की पूजा का विशेष महत्व है और भक्तगण इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाते हैं।
मां कालरात्रि की महिमा
नवरात्रि के हर दिन माता रानी के अलग-अलग स्वरूप की पूजा की जाती है। सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा का महत्व विशेष रूप से बढ़ जाता है। आइए जानते हैं उनके अद्भुत स्वरूप और कथा के बारे में।
एक बार पृथ्वी पर शुंभ और निशुंभ नामक राक्षसों ने आतंक मचाया था। ये राक्षस रक्तबीज नामक अन्य राक्षस के साथ मिलकर तीनों लोकों में हाहाकार उत्पन्न कर रहे थे। इस स्थिति को देखते हुए सभी देवताओं ने मां दुर्गा की शरण ली और रक्षा की प्रार्थना की। रक्तबीज को एक अनोखा वरदान प्राप्त था कि उसका जितना रक्त भूमि पर गिरता, उतने ही बलवान राक्षस उत्पन्न हो जाते थे। इस संकट से निपटने के लिए मां दुर्गा ने मां कालरात्रि को प्रकट किया, जिन्होंने रक्तबीज का संपूर्ण रक्त पीकर उसे समाप्त कर दिया। इस प्रकार मां कालरात्रि ने तीनों लोकों को राक्षसों के आतंक से मुक्त कराया।
मां कालरात्रि की पूजा विधि
नवरात्रि के इस विशेष दिन पर मां कालरात्रि की पूजा कैसे की जाए, आइए जानते हैं। सबसे पहले, ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और मां कालरात्रि के प्रति श्रद्धा भाव से पूजा का संकल्प लें। पूजा करने के लिए एक चौकी सजाएं और उस पर मां कालरात्रि की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें। फिर माता को रोली, अक्षत, हल्दी, चंदन, पुष्प और धूप-दीप अर्पित करें।
विशेष सामग्री और भोग
मां कालरात्रि का प्रिय फूल रातरानी और गुड़हल होता है, इसलिए इन्हीं फूलों को माता रानी को चढ़ाना चाहिए। इसके अलावा, भोग के रूप में मां कालरात्रि को गुड़ या गुड़ से बनी चीजें अर्पित की जानी चाहिए। ऐसा करने से माता रानी प्रसन्न होती हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। इसके बाद, मां कालरात्रि का मंत्र ॐ देवी कालरात्र्यै नमः का उच्चारण करें। अंत में, मां कालरात्रि की आरती करके पूजा का समापन करें।
नवरात्रि और भक्तों की श्रद्धा
नवरात्रि का पर्व केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह भक्तों के लिए अपनी आस्था और भक्ति को प्रकट करने का एक अवसर है। इस दौरान भक्तगण अपने घरों में कलश स्थापित करते हैं, उपवास रखते हैं और विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। मां कालरात्रि की पूजा के माध्यम से भक्तगण अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का मार्ग प्रशस्त करते हैं।
निष्कर्ष
इस प्रकार, मां कालरात्रि की पूजा न केवल राक्षसों से मुक्ति का प्रतीक है, बल्कि यह हमें अपने भीतर की शक्तियों को पहचानने और अंधकार से उजाले की ओर बढ़ने की प्रेरणा भी देती है। नवरात्रि के इस पावन अवसर पर हमें चाहिए कि हम मां कालरात्रि की कृपा प्राप्त करें और अपने जीवन में सकारात्मकता और ऊर्जा का संचार करें।