Sharad Purnima 2025: शरद पूर्णिमा के दिन खुले आसमान के नीचे खीर रखने का महत्व, जानें रोग मुक्त होने के उपाय!



शरद पूर्णिमा 2025 का महत्व | चित्र: Freepik हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा का त्योहार मनाया जाता है। यह दिन हिंदू…

Sharad Purnima 2025: शरद पूर्णिमा के दिन खुले आसमान के नीचे खीर रखने का महत्व, जानें रोग मुक्त होने के उपाय!

शरद पूर्णिमा 2025 का महत्व | चित्र: Freepik

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा का त्योहार मनाया जाता है। यह दिन हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है और इसे बहुत ही शुभ और पवित्र माना जाता है। इस वर्ष शरद पूर्णिमा 6 अक्टूबर 2025, सोमवार को पड़ रही है। पूर्णिमा तिथि 6 अक्टूबर दोपहर 12:23 बजे से शुरू होकर 7 अक्टूबर सुबह 9:16 बजे तक रहेगी। चंद्रोदय यानी चंद्रमा के उदय का समय शाम 5:27 बजे के करीब रहेगा।

इस दिन का सबसे खास रीति-रिवाज खीर बनाना और उसे खुले आसमान के नीचे रखना होता है। यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है। आइए जानते हैं इसका महत्व और इससे जुड़ी धार्मिक मान्यताएं।


शरद पूर्णिमा की रात खीर रखने का महत्व

सेलिब्रिटी ज्योतिषाचार्य प्रदुमन सूरी के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से पूर्ण होता है। कहा जाता है कि इस दिन चंद्रमा से अमृत वर्षा होती है। इसलिए लोग खीर बनाकर उसे खुले आसमान के नीचे रखते हैं, ताकि उस पर चांदनी की किरणें पड़ें।

सुबह उठकर स्नान के बाद इस खीर का सेवन किया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से शरीर में रोगों से लड़ने की शक्ति बढ़ती है, मन शांत होता है और सारे रोग-दोष दूर हो जाते हैं।

क्यों माना जाता है यह दिन सबसे शुभ?

शरद पूर्णिमा की रात को भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन अगर व्यक्ति सच्चे मन से पूजा और व्रत करता है, तो उसे धन-धान्य, सुख-समृद्धि और मानसिक शांति प्राप्त होती है।

इस दिन को कोजागर व्रत या कौमुदी व्रत भी कहा जाता है। “को-जाग्रत” का अर्थ है “कौन जाग रहा है”। कहा जाता है कि माता लक्ष्मी इस रात आकाश में भ्रमण करती हैं और जो व्यक्ति जागकर पूजा-पाठ और ध्यान करता है, उस पर देवी लक्ष्मी की विशेष कृपा बरसती है।


शरद पूर्णिमा की विशेष पूजा का समय

शरद पूर्णिमा की पूजन का शुभ समय रात 11:42 बजे से 12:32 बजे तक रहने वाला है। वहीं चंद्रोदय का समय शाम 5:05 बजे है। अर्घ्य देने का समय रात 8:41 बजे के बाद रहेगा।

इस समय में चंद्रमा को अर्घ्य देना बहुत शुभ माना जाता है। तांबे के पात्र में जल, चावल और फूल डालकर चंद्र देव को अर्पण करें और चंद्र मंत्रों का जाप करें। ऐसा करने से धन की कमी दूर होती है और घर में सुख-शांति आती है।

दान का विशेष महत्व

शरद पूर्णिमा के दिन दान और सेवा करने से कई गुना फल मिलता है। जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र या दक्षिणा देने से पुण्य प्राप्त होता है और जीवन में समृद्धि आती है।

शरद पूर्णिमा की रात न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी लाभकारी मानी जाती है। चांदनी की रोशनी में रखी खीर में अमृत तत्व मिल जाते हैं, जो शरीर को ऊर्जा और रोगों से रक्षा प्रदान करते हैं।

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

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