कुर्म जयंती हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीहरी विष्णु ने इस दिन अपने दूसरे अवतार कुर्म के रूप में धरती का पालन किया। भगवान विष्णु के इस अवतार की पूजा करने से व्यक्ति को समृद्धि और लंबी उम्र की प्राप्ति होती है। इस वर्ष, 12 मई 2025 को कुर्म जयंती मनाई जा रही है। इस दिन तीर्थ स्नान और दान-पुण्य जैसे कार्यों का भी विशेष महत्व है। आइए जानते हैं कुर्म जयंती पर शुभ समय, पूजा विधि और मंत्र के बारे में।
तारीख और मुहूर्त:
कुर्म जयंती की पूजा शाम को की जाती है। कुर्म जयंती की पूजा का शुभ समय 04:21 मिनट से शुरू होकर 07:03 मिनट तक रहेगा। यानी इस समय के दौरान आपको पूजा के लिए 2 घंटे 42 मिनट मिलेंगे।
पूजा विधि:
इस दिन, सूर्योदय से पहले किसी पवित्र नदी में स्नान करें। यदि नदी में स्नान करना संभव न हो, तो घर में गंगा जल मिलाकर स्नान करें और फिर स्वच्छ कपड़े पहनें। इसके बाद, पूजा स्थल को स्वच्छ करें और वहां गंगा जल छिड़कें। अब एक लकड़ी के पट्टे पर लाल या पीले कपड़े बिछाएं और भगवान कुर्म या भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें। फिर एक तांबे के कलश में पानी, फूल, दूध, तिल, गुड़ और चावल रखें।
इसके बाद, भगवान कुर्म को तिलक करें और घी का दीपक जलाएं। अब भगवान को फल, फूल, गुलाल, और चावल आदि अर्पित करें। पूजा के दौरान “कुर्मासनाय नमः” मंत्र का जाप करें और अंत में भगवान कुर्म या श्रीहरी विष्णु की आरती करें।
कुर्म जयंती मंत्र:
भगवान श्रीकृष्ण का स्मरण और प्रणाम:
ॐ कुर्माय नमः
ॐ और हृ क्रोन कुर्मासनाय नमः