MP News: RTO दल बना कर वसूली करने की तैयारी, ग्वालियर में फर्जी टीआई समेत चार गिरफ्तार



ग्वालियर में फर्जी पुलिस गैंग का भंडाफोड़, चार आरोपी गिरफ्तार ग्वालियर में क्राइम ब्रांच ने एक फर्जी पुलिस गैंग का भंडाफोड़ करते हुए **चार आरोपियों** को गिरफ्तार किया है। ये…

MP News: RTO दल बना कर वसूली करने की तैयारी, ग्वालियर में फर्जी टीआई समेत चार गिरफ्तार

ग्वालियर में फर्जी पुलिस गैंग का भंडाफोड़, चार आरोपी गिरफ्तार

ग्वालियर में क्राइम ब्रांच ने एक फर्जी पुलिस गैंग का भंडाफोड़ करते हुए **चार आरोपियों** को गिरफ्तार किया है। ये आरोपी खुद को पुलिस अधिकारी बताकर लोगों को धोखा देने का प्रयास कर रहे थे। इस गैंग में एक **फर्जी टीआई**, दो **फर्जी कॉन्स्टेबल** और एक **वाहन चालक** शामिल हैं। उनके पास से फर्जी नियुक्ति पत्र और पहचान पत्र बरामद किए गए हैं, जो इस गैंग की धोखाधड़ी की कहानी बयां करते हैं।

फर्जी टीआई के खिलाफ शिकायत की शुरुआत

इस मामले की शुरुआत तब हुई जब **वैभव पाल**, जो एक ऑनलाइन शॉप संचालक हैं, ने क्राइम ब्रांच को सूचना दी। वैभव ने बताया कि उनके चाचा **मुकेश पाल** की लीगल वर्कशॉप के नाम से एक ऑनलाइन दुकान है, जहाँ **शिवम चतुर्वेदी** नामक युवक खुद को एसपी ऑफिस में पदस्थ टीआई बताकर धमकाने लगा। उसने वैभव से दो फर्जी नियुक्ति पत्र तैयार करवाने की मांग की थी। जब वैभव ने इसके लिए मना किया, तो शिवम ने उसे धमकाना शुरू कर दिया।

क्राइम ब्रांच का त्वरित एक्शन

जैसे ही वैभव ने पुलिस को सूचना दी, डीएसपी क्राइम ब्रांच **नागेन्द्र सिंह सिकरवार**, साइबर सेल प्रभारी निरीक्षक **धर्मेन्द्र सिंह कुशवाह** और एसआई **धर्मेन्द्र शर्मा** ने तुरंत कार्रवाई शुरू की। जब शिवम और उसके साथी नियुक्ति पत्र बनाने के लिए वहां पहुंचे, तो क्राइम ब्रांच ने उन्हें **गिरफ्तार** कर लिया। इस गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने आरोपियों से पूछताछ शुरू की, ताकि यह स्पष्ट किया जा सके कि क्या यह गैंग पहले भी किसी धोखाधड़ी में शामिल रही है।

फर्जी नियुक्ति पत्रों का जाल

गिरफ्तार किए गए आरोपियों में **शिवम चतुर्वेदी**, **पवन यादव**, **नीरज यादव** और **रविन्द्र यादव** शामिल हैं। इन सभी ने अपने नाम और पता पुलिस को बताया, जो सागर जिले के निवासी हैं। पूछताछ में यह भी सामने आया कि शिवम खुद को टीआई बताता था, जबकि पवन और नीरज खुद को कॉन्स्टेबल के रूप में प्रस्तुत करते थे। रविन्द्र गैंग का चालक था।

गैंग का वसूली योजना

पूछताछ में शिवम ने खुलासा किया कि उसने पवन और नीरज को **40-40 हजार रुपए** देकर फर्जी कॉन्स्टेबल बनाया था। इसके अलावा, रविन्द्र की कार को **55 हजार रुपए** प्रति माह पर किराए पर लिया गया था। इस कार में उनकी यूनिफॉर्म और फर्जी नियुक्ति पत्र भी पाए गए। शिवम ने बताया कि वे **बुधवार-गुरुवार** की दरमियानी रात से हाइवे पर RTO दल बनाकर चेकिंग करने और वसूली करने वाले थे, लेकिन पुलिस ने उनकी योजना को विफल कर दिया।

पुलिस की जांच जारी

ग्वालियर के एसएसपी **धर्मवीर सिंह** ने बताया कि यह एक संगठित गैंग है जो पुलिस अधिकारी बनकर लोगों को धोखा देने का कार्य कर रही थी। उन्होंने कहा कि आरोपियों से पूछताछ जारी है और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि इस प्रकार के किसी भी अन्य मामले में भी कार्रवाई की जाए। पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सभी पहलुओं की जांच करने का आश्वासन दिया है।

समाज में फैल रहे फर्जीवाड़े की जांच

ग्वालियर में इस तरह के फर्जीवाड़े समाज में एक गंभीर चिंता का विषय बनते जा रहे हैं। ऐसे मामलों में आम लोगों को सावधानी बरतने की आवश्यकता है, ताकि वे किसी भी फर्जी अधिकारी या गिरोह के शिकार न बनें। पुलिस प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि यदि वे किसी भी संदिग्ध गतिविधि के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं, तो तुरंत पुलिस को सूचित करें।

क्राइम ब्रांच के इस सफल ऑपरेशन ने यह साबित कर दिया है कि पुलिस ऐसे फर्जीवाड़ों को रोकने के लिए तत्पर है। आने वाले समय में इस प्रकार के अन्य मामलों की रोकथाम के लिए भी प्रभावी कदम उठाए जाएंगे।

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