Supreme Court में Challenge: Karur Stampede मामले में विजय की TVK ने मद्रास हाईकोर्ट के SIT आदेश को किया निरस्त



तमिलनाडु में विजय की रैली में मची भगदड़, 30 से अधिक लोगों की हुई मौत नई दिल्ली: तमिलागा वेत्त्री कज़गम (टीवीके) ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है,…

Supreme Court में Challenge: Karur Stampede मामले में विजय की TVK ने मद्रास हाईकोर्ट के SIT आदेश को किया निरस्त

तमिलनाडु में विजय की रैली में मची भगदड़, 30 से अधिक लोगों की हुई मौत

नई दिल्ली: तमिलागा वेत्त्री कज़गम (टीवीके) ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है, जिसमें पार्टी अध्यक्ष और अभिनेता विजय की रैली में हुई दुखद भगदड़ की निष्पक्ष जांच की मांग की गई है। यह घटना 27 सितंबर को तमिलनाडु के करूर जिले में हुई, जिसमें 30 से अधिक लोगों की जान चली गई। इस घटना ने न केवल राजनीतिक माहौल को प्रभावित किया है, बल्कि इसे लेकर विभिन्न सामाजिक संगठनों में भी आक्रोश फैल गया है।

घटना का विवरण

रैली में भारी भीड़ के कारण यह घटना घटी, जहां लाखों की संख्या में लोग विजय को देखने के लिए एकत्रित हुए थे। आयोजकों के अनुसार, कार्यक्रम की तैयारी के लिए आवश्यक सुरक्षा उपायों का पालन नहीं किया गया, जिसके परिणामस्वरूप यह भयावह स्थिति उत्पन्न हुई। घटनास्थल पर मौजूद लोगों ने बताया कि जब रैली शुरू हुई, तब अचानक भीड़ में अफरा-तफरी मच गई, जिससे कई लोग कुचले गए।

स्थानीय अधिकारियों ने बताया कि घायलों को तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन कई लोगों की हालत गंभीर थी। रैली की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं। कई लोगों का कहना है कि प्रशासन ने इस विशाल जनसमुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए थे।

सुप्रीम कोर्ट में याचिका का महत्व

टीवीके की याचिका में मांग की गई है कि इस घटना की जांच एक पूर्व सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश द्वारा की जाए। पार्टी ने ऐलान किया है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी जाती हैं, तो वे बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करेंगे। पार्टी के प्रवक्ता ने कहा, “यह घटना एक गंभीर असफलता है जो न केवल प्रशासन की लापरवाही को दर्शाती है, बल्कि यह दर्शाती है कि कैसे राजनीतिक रैलियों में सुरक्षा को नजरअंदाज किया जाता है।”

इस याचिका के माध्यम से, टीवीके ने यह भी उल्लेख किया है कि रैली के दौरान लोगों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है। उन्होंने सरकार से अपील की है कि वह इस मामले में त्वरित कार्रवाई करें और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।

घटना पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ

इस घटना के बाद विभिन्न राजनीतिक दलों ने अपनी प्रतिक्रियाएँ दी हैं। कुछ दलों ने इसे राजनीतिक रैलियों की बढ़ती भीड़ और सुरक्षा व्यवस्था की कमी का परिणाम बताया है। वहीं, कुछ अन्य दलों ने इस घटना को राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करने की कोशिश की है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस घटना का असर आगामी निर्वाचन प्रक्रिया पर भी पड़ेगा। उन्होंने कहा कि जनता की सुरक्षा को लेकर असंतोष और निराशा का माहौल बना हुआ है, जो वोटिंग में परिवर्तन ला सकता है।

सुरक्षा उपायों की आवश्यकता

इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए सख्त सुरक्षा उपायों की आवश्यकता है। रैलियों में भाग लेने वाले लोगों की संख्या को देखते हुए, आयोजकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सुरक्षा बलों की संख्या पर्याप्त हो और चिकित्सा सहायता भी मौके पर उपलब्ध रहे।

विशेषज्ञों का कहना है कि रैलियों में भाग लेने वाले लोगों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए पूर्व-निर्धारित पंजीकरण प्रणाली को लागू किया जा सकता है। इससे न केवल भीड़ को नियंत्रित किया जा सकेगा, बल्कि आपातकालीन स्थितियों में भी प्रतिक्रिया देने में आसानी होगी।

निष्कर्ष

तमिलनाडु के करूर जिले में हुई यह दुखद घटना स्पष्ट रूप से हमें यह सिखाती है कि राजनीतिक रैलियों में सुरक्षा एक गंभीर मुद्दा है। सरकार और पार्टी नेताओं को इस घटना से सीख लेनी चाहिए और भविष्य में ऐसी स्थितियों से बचने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। इस घटना की निष्पक्ष जांच जरूरी है ताकि न्याय मिल सके और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

अंत में, यह घटना न केवल एक राजनीतिक रैली की विफलता है, बल्कि समाज के लिए भी एक गंभीर चेतावनी है कि हम सभी को मिलकर सुरक्षा और व्यवस्था को प्राथमिकता देनी चाहिए।

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