छत्तीसगढ़ की 9 क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टियों की मान्यता पर खतरा
छत्तीसगढ़ में **9 क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टियों** की मान्यता समाप्त होने का खतरा अब गंभीर रूप ले चुका है। राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा इन दलों के खिलाफ सुनवाई का कार्य पूरा हो चुका है और अब अंतिम निर्णय केंद्रीय निर्वाचन आयोग द्वारा लिया जाएगा। राज्य की राजनीतिक परिस्थितियों में यह घटनाक्रम महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत देता है।
खतरे में पड़े दलों की सूची
जिन राजनीतिक दलों की मान्यता को खतरा है, उनमें निम्नलिखित पार्टियां शामिल हैं:
- भारत भूमि पार्टी
- भारतीय जनता सेक्युलर पार्टी
- भ्रष्टाचार मुक्ति मोर्चा
- छत्तीसगढ़ स्वाभिमान मंच
- छत्तीसगढ़ विकास गंगा राष्ट्रीय पार्टी
- छत्तीसगढ़ समाज पार्टी
- छत्तीसगढ़िया पार्टी
- पिछड़ा समाज पार्टी यूनाइटेड
- राष्ट्रीय गोंडवाना पार्टी
चुनाव खर्च की रिपोर्ट जमा नहीं करने का मामला
इन सभी दलों पर गंभीर आरोप हैं कि इन्होंने **वित्तीय वर्ष 2021-22, 2022-23 और 2023-24** के लिए अपने लेखा परीक्षित वार्षिक खातों को निर्धारित समय सीमा के भीतर जमा नहीं किया। समय सीमा निम्नलिखित थी:
- 30 नवंबर 2022
- 31 दिसंबर 2023
- 15 दिसंबर 2024
इसके अलावा, इन दलों ने विधानसभा और लोकसभा चुनावों में भाग लेने के बावजूद चुनावी खर्च की रिपोर्ट भी समय पर (75 दिनों व 90 दिनों) नहीं दी। यह स्थिति राजनीतिक पारदर्शिता और उत्तरदायित्व के लिए गंभीर चिंता का विषय है।
चुनाव आयोग की कार्रवाई और नोटिस
चुनाव आयोग ने **जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951** की धारा 29ए और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत शक्तियों का उपयोग करते हुए इन पार्टियों को **कारण बताओ नोटिस** जारी किया है। आयोग ने **9 अक्टूबर 2025** को सुनवाई का आयोजन किया, जिसमें कुछ दलों द्वारा कोई उचित जवाब नहीं दिया गया।
अब यह मामला केंद्रीय निर्वाचन आयोग को भेजा गया है, जिसे एक महीने के भीतर यह निर्णय लेना है कि इन पार्टियों की मान्यता बरकरार रहेगी या इन्हें पंजीकृत दलों की सूची से हटा दिया जाएगा। यह निर्णय छत्तीसगढ़ की राजनीतिक स्थिति में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है।
कानूनी प्रावधान और नियम
धारा 29ए के अनुसार, कोई भी पंजीकृत राजनीतिक दल यदि सालाना ऑडिट रिपोर्ट और चुनावी खर्च का ब्यौरा समय पर जमा नहीं करता है, तो उसकी मान्यता रद्द की जा सकती है। यह नियम पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए अनिवार्य है, ताकि सभी राजनीतिक दलों को समान स्तर पर जवाबदेह बनाया जा सके।
इस मामले में यदि इन दलों की मान्यता रद्द होती है, तो यह छत्तीसगढ़ की राजनीतिक परिदृश्य को गहराई से प्रभावित कर सकता है। राजनीतिक दलों को अपनी जिम्मेदारियों के प्रति सजग रहने की आवश्यकता है, ताकि वे अपने समर्थकों और मतदाताओं के प्रति जवाबदेह बने रहें।
निष्कर्ष
छत्तीसगढ़ में राजनीतिक दलों की मान्यता का यह मामला न केवल राज्य की राजनीति में बल्कि पूरे देश में राजनीतिक पारदर्शिता की आवश्यकता को भी उजागर करता है। सभी दलों को चाहिए कि वे निर्धारित समय सीमा के भीतर सभी आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत करें और अपनी गतिविधियों को पारदर्शी बनाए रखें, ताकि लोकतंत्र की नींव मजबूत बनी रहे।