महादेव सट्टा प्रमोटर का भांजा महाराष्ट्र बॉर्डर से गिरफ्तार
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में एक गंभीर मारपीट की घटना के बाद पुलिस ने महादेव सट्टा ऐप के संचालक सौरभ चंद्राकर के भांजे को गिरफ्तार कर लिया है। यह गिरफ्तारी रविवार को महाराष्ट्र के बरौंद टोल नाका से की गई, जहां आरोपी पुलकित चंद्राकर, प्रखर चंद्राकर और मुकुल सोना को उनके दो अन्य साथियों के साथ पकड़ा गया। उन्हें रायपुर के जूक क्लब में हुई मारपीट के मामले में तलाश किया जा रहा था।
पुलिस ने आरोपियों के पास से एक चार पहिया वाहन भी जब्त किया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वे इस घटना को अंजाम देने के बाद भागने की योजना बना रहे थे। फिलहाल, पुलिस ने इन सभी आरोपियों के खिलाफ आगे की कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है।
मारपीट की घटना का विवरण
तेलीबांधा थाने के प्रभारी नरेंद्र मिश्रा ने जानकारी देते हुए बताया कि यह घटना 21 सितंबर की रात वीआईपी रोड स्थित जूक बार में हुई थी। इस दौरान प्रेम कुमार वर्मा और शुभम साव को मौके पर ही गिरफ्तार किया गया था, जबकि अन्य आरोपी मौके से फरार हो गए थे। पुलिस ने उनकी गिरफ्तारी के लिए लगातार प्रयास किए और 20 दिन बाद उन्हें पकड़ने में सफल रही।
इस दौरान पुलिस को सूचना मिली थी कि आरोपी महाराष्ट्र से लौटने वाले हैं, जिसके बाद पुलिस ने बरौंद टोल नाका पर टोल कर्मचारियों की तरह तैनात होकर उनकी गिरफ्तारी की योजना बनाई। जैसे ही आरोपी वहां पहुंचे, पुलिस ने उन्हें घेरकर पकड़ लिया और उन्हें रायपुर ले आई।
वीडियो के माध्यम से मिली पहचान
मारपीट की घटना का सीसीटीवी वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें आरोपी एक युवक पर लात-घूंसे बरसाते हुए नजर आ रहे थे। इसके बाद वे डांस करते हुए वहां से भागते हुए दिखे। इस वीडियो के माध्यम से पुलिस को आरोपियों की पहचान करने में मदद मिली। पुलिस ने यह भी बताया कि मारपीट के दौरान पिस्टल निकालने की बात सामने आई थी, लेकिन इसकी पुष्टि अभी तक नहीं हुई है।
आरोपियों की गिरफ्तारी और जुलूस की घटना
गिरफ्तारी के बाद, पुलिस ने आरोपियों को उसी क्लब के बाहर ले जाकर जुलूस निकाला, जहां यह घटना हुई थी। इस जुलूस का उद्देश्य आम जनता को यह संदेश देना था कि कानून को अपने हाथ में लेना सही नहीं है। पुलिस ने यह सुनिश्चित किया कि ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई की जाएगी।
मारपीट के बाद की स्थिति और अन्य आरोपी
इस घटना में दो आरोपी पहले ही गिरफ्तार किए जा चुके थे, लेकिन पुलकित चंद्राकर, प्रखर चंद्राकर और मुकुल सोना अब भी फरार थे। पुलिस ने उनके गिरफ्तारी के लिए लगातार प्रयास किए और अंततः उन्हें पकड़ने में सफल रही। ये सभी आरोपी अब पुलिस की हिरासत में हैं और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा रही है।
सारांश
इस मामले ने एक बार फिर से यह स्पष्ट कर दिया है कि समाज में हिंसा और अव्यवस्था को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पुलिस का यह प्रयास सराहनीय है कि उसने समय पर कार्रवाई की और आरोपियों को पकड़कर उन्हें सजा दिलाने की दिशा में कदम बढ़ाया। यह घटना उन लोगों के लिए एक चेतावनी हो सकती है जो कानून को अपने हाथ में लेने की कोशिश करते हैं।
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