‘Dependence’ नहीं बननी चाहिए ‘Compulsion’: मोहन भागवत का स्वदेशी के लिए आह्वान, अमेरिका का 50% टैरिफ



आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का विजयादशमी पर संबोधन: अमेरिका के टैरिफ और आतंकवाद पर चिंता हाल ही में अमेरिका द्वारा भारतीय सामान पर लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ के संदर्भ…

‘Dependence’ नहीं बननी चाहिए ‘Compulsion’: मोहन भागवत का स्वदेशी के लिए आह्वान, अमेरिका का 50% टैरिफ

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का विजयादशमी पर संबोधन: अमेरिका के टैरिफ और आतंकवाद पर चिंता

हाल ही में अमेरिका द्वारा भारतीय सामान पर लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ के संदर्भ में, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने विजयादशमी के अवसर पर अपने वार्षिक संबोधन में कहा कि इस punitive levy का प्रभाव भारत के हर नागरिक पर पड़ा है। भागवत ने यह टिप्पणी 2 अक्टूबर को की, जब उन्होंने कहा कि यह नीतिगत बदलाव अमेरिका के अपने हितों को देखते हुए किया गया है।

भागवत ने कहा, “नया टैरिफ नीति दुनिया के देशों के बीच आपसी निर्भरता को दर्शाता है। कोई भी देश अकेले नहीं रह सकता। इसलिए, हमें स्वदेशी पर निर्भर रहना चाहिए और आत्मनिर्भरता की दिशा में ध्यान केंद्रित करना चाहिए।” उन्होंने यह भी कहा कि भारत को अपने मित्र राष्ट्रों के साथ कूटनीतिक संबंध बनाए रखने की कोशिश करनी चाहिए, जो कि स्वेच्छा से हों, न कि मजबूरी में।

संस्कृति और स्वदेशी पर जोर

विजयादशमी के इस अवसर पर भागवत ने आरएसएस के 100 वर्षों के कार्यों को भी रेखांकित किया, जो राष्ट्र निर्माण के प्रति उनके योगदान को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि आरएसएस ने हमेशा भारतीय संस्कृति और परंपराओं को संरक्षित करने के लिए प्रयास किए हैं। भागवत ने यह भी बताया कि हमें अपनी संस्कृति को बचाए रखना चाहिए और इसे आगे बढ़ाना चाहिए।

भागवत ने कहा, “यह आवश्यक है कि हम अपने देश की सांस्कृतिक धरोहर को बनाए रखें। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भारत को भारत के रूप में पहचाना जाए, क्योंकि यह एक विशेष संज्ञा है।” उन्होंने कहा कि इस दिशा में उठाए गए कदम न केवल देश को सशक्त करेंगे, बल्कि इसके साथ-साथ समाज में एकता और अखंडता भी लाएंगे।

आतंकवाद की निंदा

भागवत ने अपने संबोधन में हाल ही में हुए पहलगाम हमले की निंदा की, जिसमें 26 भारतीय नागरिकों की जान गई थी। उन्होंने कहा कि आतंकवादियों ने अपने धर्म पूछकर भारतीयों की हत्या की। भागवत ने कहा, “राष्ट्र इस आतंकवादी हमले पर शोक और क्रोध में था। लेकिन हमारी सरकार और सशस्त्र बलों ने पूरी तैयारी के साथ एक उचित जवाब दिया।” उन्होंने सरकार की प्रतिबद्धता और सशस्त्र बलों के साहस की सराहना की।

भागवत ने यह भी कहा कि पहलगाम हमले के बाद विभिन्न देशों की प्रतिक्रियाओं ने उनके साथ भारत की मित्रता की प्रकृति को उजागर किया। उन्होंने कहा, “इस घटना के बाद विभिन्न देशों की भूमिका ने हमारे सच्चे दोस्तों को प्रकट किया।” उन्होंने यह बात भी कही कि भारत में कुछ असंवैधानिक तत्व हैं, जो देश को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं।

उच्च dignitaries की उपस्थिति

इस वार्षिक विजयादशमी समारोह में कई प्रमुख हस्तियों ने भाग लिया, जिनमें पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस शामिल थे। यह आयोजन न केवल आरएसएस के इतिहास को दर्शाता है, बल्कि यह भारत की संस्कृति और एकता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को भी प्रकट करता है।

इस प्रकार, मोहन भागवत का विजयादशमी पर दिया गया यह संबोधन न केवल वर्तमान वैश्विक चुनौतियों पर प्रकाश डालता है, बल्कि यह भारत के नागरिकों को आत्मनिर्भरता और अपनी सांस्कृतिक धरोहर को बनाए रखने के लिए प्रेरित करने का एक प्रयास भी है। उन्होंने स्पष्ट रूप से यह संदेश दिया कि एकता और आत्मनिर्भरता ही भारत को मजबूती प्रदान करेगी।

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