हरिद्वार में जल संरक्षण की नई पहल: आरसीसी जल पुनर्भरण कुएं का निर्माण
अश्वनी त्रिपाठी, जागरण, देहरादून – गंगा के किनारे बसा हरिद्वार, अब अर्धकुंभ मेले से पहले एक नई दिशा में कदम बढ़ाने जा रहा है। यहाँ जल संरक्षण को लेकर एक महत्वपूर्ण परियोजना शुरू की जा रही है। इस परियोजना का उद्देश्य गंगा तट पर आरसीसी जल पुनर्भरण कुएं का निर्माण करना है। इन कुओं के माध्यम से गंगा के निर्मल जल को धरती में उतारकर भूजल स्तर को बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा। यह योजना हरिद्वार को एक रिवर-लिंक्ड स्मार्ट सिटी में बदलने में सहायक होगी, जहां भूजल रीचार्ज की रियल-टाइम निगरानी संभव होगी। इस पहल से आस्था, पर्यावरण संरक्षण और तकनीकी नवाचार का अद्भुत संगम देखने को मिलेगा।
हरिद्वार में भूजल स्तर की गिरावट और इसका समाधान
हाल के वर्षों में हरिद्वार के भूजल स्तर में गिरावट दर्ज की गई है, जो चिंता का विषय बन गया है। इस समस्या के समाधान के लिए, प्रदेश सरकार ने अर्धकुंभ से पूर्व गंगा किनारे आरसीसी इनफिल्ट्रेशन वेल (जल पुनर्भरण कुएं) बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया है। इन कुओं का निर्माण लालजीवाला, गौरीशंकर और पंतदीप क्षेत्रों में किया जाएगा, जिसकी लागत लगभग एक करोड़ रुपये है। प्रत्येक कुएं का व्यास 10 मीटर और गहराई 25 मीटर होगी। इन कुओं का उद्देश्य गंगाजल को भूमिगत स्तर तक पहुंचाकर भूजल को पुनः संचित करना है। इसके साथ ही, यह नदी के जल को प्राकृतिक रूप से शोधित करने में भी सहायक होगा, जिससे जल स्तर में सुधार और गंगा की स्वच्छता बनाए रखने में मदद मिलेगी।
प्राकृतिक रिसाव प्रणाली का महत्व
निर्माणाधीन ये कुएं प्राकृतिक रिसाव प्रणाली पर आधारित होंगे, जिससे गंगा का अतिरिक्त जल मिट्टी की परतों के माध्यम से नीचे जाएगा और स्वाभाविक रूप से फ़िल्टर होकर भूजल की गुणवत्ता में सुधार करेगा। इन कुओं में लगे सेंसर रीयल-टाइम डेटा प्रदान करेंगे, जिसके माध्यम से गंगा के प्रवाह, भूजल स्तर और गुणवत्ता की निरंतर निगरानी की जा सकेगी।
जल प्रबंधन में वैज्ञानिक दृष्टिकोण
पर्यावरण विशेषज्ञ डा. जगमोहन मेहंदी रत्ता के अनुसार, हरिद्वार के भूजल स्रोतों को गंगा से जोड़ना केवल इंजीनियरिंग का कार्य नहीं है, बल्कि यह जल प्रबंधन के भविष्य की रूपरेखा भी है। जल पुनर्भरण कुएं गंगा और भूजल के बीच वैज्ञानिक तालमेल स्थापित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। इस प्रकार, हरिद्वार को भारत का एक माडल वाटर-स्मार्ट सिटी बनाने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है।
जल संरक्षण की दिशा में हरिद्वार का प्रयास
हरिद्वार में इस जल पुनर्भरण परियोजना के माध्यम से न केवल भूजल स्तर में सुधार होगा, बल्कि गंगा नदी की स्वच्छता और उसकी पवित्रता भी बनी रहेगी। इस पहल से स्थानीय निवासियों को भी फायदा होगा, जो जल संकट का सामना कर रहे हैं।
सरकारी अधिकारियों का मानना है कि इस परियोजना के सफल कार्यान्वयन से न केवल हरिद्वार का पर्यावरण सुधरेगा, बल्कि यह पूरे उत्तराखंड के लिए एक सकारात्मक उदाहरण भी बनेगा। यह पहल अन्य शहरों में भी जल संरक्षण के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकती है।
हरिद्वार की इस पहल से न केवल जल संकट का समाधान होगा, बल्कि यह क्षेत्र की आस्था और संस्कृति को भी एक नई दिशा में ले जाने में सहायक होगी। जल संरक्षण और पर्यावरण संरक्षण के इस प्रयास में सभी को एकजुट होकर काम करने की आवश्यकता है, ताकि हम अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित और स्थायी पर्यावरण सुनिश्चित कर सकें।























