पुष्पेंद्र कुमार तिवारी | बलियाकुछ ही क्षण पहले
- कॉपी लिंक
शारदीय नवरात्र की नवमी का उत्सव बलिया में धूमधाम से मनाया गया
बलिया में शारदीय नवरात्र की नवमी तिथि पर बुधवार को शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में देवी दुर्गा की पूजा विधिपूर्वक की गई। विभिन्न देवी मंदिरों और पूजा पंडालों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी गई। इस अवसर पर दुर्गा सप्तशती का पाठ और हवन-पूजन का आयोजन किया गया, जिससे पूरे क्षेत्र में धार्मिक वातावरण बना रहा।
विशेषकर भृगु क्षेत्र में कन्या पूजन का आयोजन बड़े धूमधाम से किया गया। श्रद्धालुओं ने कन्याओं का पूजन कर उन्हें दक्षिणा और प्रसाद अर्पित किया। यह परंपरा इस त्योहार की विशेषता है, जो न केवल धार्मिक भावना को बढ़ावा देती है बल्कि सामाजिक एकता का भी प्रतीक है।
परिवहन मंत्री का कन्या पूजन
इस दौरान परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने अपने अनुज धर्मेंद्र सिंह के साथ मिलकर कन्या पूजन किया। उन्होंने सबसे पहले कन्याओं के पांव धोकर उन्हें प्रसाद अर्पित किया और आशीर्वाद लिया। मंत्री ने इस अवसर पर कहा कि दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और यह त्योहार हमें बुरे कर्मों को समाप्त करने तथा अच्छे कार्यों को बढ़ाने के लिए प्रेरित करता है।
मंत्री ने आगे कहा कि भारत की संस्कृति और परंपराएं हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने यह भी बताया कि नवरात्रि जैसे आयोजनों के दौरान सभी स्थानों पर भक्तों की भीड़ रहती है और यह सब हमारी धार्मिक आस्था का प्रतीक है।
सनातन परंपराओं का महत्व
परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने सनातन परंपराओं के महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि देश और दुनिया में जहां भी सनातनी लोग रहते हैं, वहां पर इस तरह के आयोजन होते हैं। सप्तमी, अष्टमी और नवमी के दिन मां दुर्गा के पंडाल भक्तों से भरे रहते हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि बच्चों को हमारी परंपराओं से अवगत कराना आवश्यक है क्योंकि भारतीय संस्कृति ही हमारी सबसे बड़ी पूंजी है। इस प्रकार के आयोजनों से न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक एकता भी बढ़ती है।
कन्या पूजन और चुनरी ओढ़ाने का अनुष्ठान
इस आयोजन के दौरान, परिवहन मंत्री ने कन्याओं को चुनरी भी ओढ़ाई, जो कि इस पर्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह न केवल श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि कन्याओं के प्रति सम्मान और प्रेम प्रकट करने का भी एक तरीका है।
निष्कर्ष
इस प्रकार, बलिया में शारदीय नवरात्र की नवमी पर देवी मां की पूजा का आयोजन न केवल धार्मिक आस्था का प्रदर्शन है, बल्कि यह सामाजिक एकता और भारतीय संस्कृति के संरक्षण का भी प्रतीक है। इस अवसर पर सभी वर्गों के लोग एकत्रित होकर देवी मां की कृपा प्राप्त करने का प्रयास करते हैं और यह त्योहार हमें बुराई पर अच्छाई की विजय का संदेश देता है।