Dussehra: बिहार में विजयादशमी पर रावण दहन की तैयारियां पूरी, गुरारू और कोंची में 50 फीट ऊंचा पुतला किया जाएगा जलाया



गुरारू और कोंची में विजयादशमी पर रावण दहन की तैयारियां विजयादशमी का पर्व न केवल हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है, बल्कि यह बुराई पर अच्छाई की विजय का…

Dussehra: बिहार में विजयादशमी पर रावण दहन की तैयारियां पूरी, गुरारू और कोंची में 50 फीट ऊंचा पुतला किया जाएगा जलाया

गुरारू और कोंची में विजयादशमी पर रावण दहन की तैयारियां

विजयादशमी का पर्व न केवल हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है, बल्कि यह बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक भी है। इस अवसर पर रावण दहन की तैयारियों को लेकर गुरारू और कोंची में विशेष उत्साह देखने को मिल रहा है। गुरारू के सर्वोदय उच्च विद्यालय परिसर और कोंची गांव के मैदान में 2 अक्टूबर को शाम 5 बजे करीब 50 फीट ऊंचे रावण पुतले का दहन किया जाएगा। आयोजन की सभी तैयारियां अंतिम चरण में हैं और पुतला निर्माण का काम जोर-शोर से चल रहा है।

यह आयोजन युवा शक्ति गुरारू द्वारा ‘लंका दहन समिति’ के बैनर तले किया जा रहा है। समिति के सदस्य गोविंद कुमार ने बताया कि रावण दहन हर वर्ष की तरह इस बार भी धूमधाम से किया जाएगा। इस बार के आयोजन की विशेष बात यह है कि इसमें क्षेत्रवासियों की भागीदारी बढ़ाने के लिए कई विशेष कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे।

कार्यक्रम की सुरक्षा और व्यवस्थाएं

इस भव्य आयोजन की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय पुलिस बल तैनात किया गया है। पुलिस प्रशासन ने यह सुनिश्चित किया है कि कार्यक्रम के दौरान विधि-व्यवस्था बनाए रखने में कोई कमी न रहे। इसके अलावा, कार्यक्रम में कई स्थानीय पदाधिकारी और गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित रहेंगे, जो इस आयोजन की गरिमा को और बढ़ाएंगे।

क्षेत्रवासियों में इस आयोजन को लेकर विशेष उत्साह देखा जा रहा है। आयोजकों का अनुमान है कि इस कार्यक्रम में हजारों लोग शामिल होंगे। इस उत्सव का मुख्य उद्देश्य न केवल परंपरा का पालन करना है, बल्कि बच्चों और युवाओं में संस्कृति और धर्म के प्रति जागरूकता बढ़ाना भी है। इसके माध्यम से युवा पीढ़ी को भारतीय संस्कृति और त्योहारों के महत्व से अवगत कराने का प्रयास किया जा रहा है।

रावण दहन का महत्व

रावण दहन के इस समारोह का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व गहरा है। यह दर्शाता है कि बुराई पर अच्छाई की विजय होती है। रावण के पुतले को जलाने का मतलब है सभी प्रकार की बुराइयों का अंत करना। इस आयोजन के माध्यम से लोग एकजुट होकर न केवल अपने धार्मिक विश्वासों को मनाते हैं, बल्कि एकता, भाईचारे और सामूहिकता का संदेश भी फैलाते हैं।

  • रावण दहन: बुराई का प्रतीक
  • सुरक्षा व्यवस्था: पुलिस बल की तैनाती
  • सामुदायिक भागीदारी: हजारों लोगों की उपस्थिति की उम्मीद
  • संस्कृति का प्रचार: बच्चों और युवाओं में जागरूकता

इस प्रकार, विजयादशमी का पर्व केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर और समाज में एकता का प्रतीक भी है। रावण दहन का यह आयोजन हर साल की तरह इस साल भी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाएगा। स्थानीय लोग इस अवसर पर एकत्रित होकर न केवल रावण का दहन करेंगे, बल्कि एक-दूसरे के साथ मिलकर खुशियों का आदान-प्रदान भी करेंगे।

इस तरह के आयोजनों से न केवल परंपरा का पालन होता है, बल्कि आने वाली पीढ़ी को भी अपने सांस्कृतिक मूल्यों से जोड़ने का एक बेहतरीन अवसर मिलता है। इस बार का रावण दहन समारोह निश्चित रूप से सभी के लिए यादगार रहेगा और सभी एक साथ मिलकर इस पर्व को मनाएंगे।

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