करवा चौथ की विशेष तैयारी: महिला बंदियों के लिए पूजा सामग्री वितरित
चौधरी चरण सिंह जिला कारागार की महिला बंदियों ने इस बार करवा चौथ का व्रत रखने की तैयारी की है। इस विशेष अवसर पर, संजीवनी संस्था की सदस्यों ने जेल में आकर महिला बंदियों को पूजन सामग्री वितरित की। इसे लेकर जेल प्रशासन ने भी विशेष व्यवस्था की है ताकि महिलाएं अपने पतियों की लंबी उम्र के लिए उचित तरीके से पूजा कर सकें।
जेल प्रशासन ने महिला बंदियों को पूजा और व्रत सामग्री उपलब्ध कराई है। इस दिन महिलाएं विधिपूर्वक पूजा-पाठ करेंगी और रात में चांद का दीदार कर अपना व्रत खोलेंगी। खास बात यह है कि यदि पति-पत्नी दोनों ही कारागार में हैं, तो उन्हें मिलने की अनुमति भी दी जाएगी, जिससे वे एक साथ इस पर्व का आनंद ले सकें।
जिला कारागार में त्योहारों का आयोजन
जिला कारागार की व्यवस्था को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि जेल में बंदियों को समाज की मुख्य धारा से जोड़े रखने के लिए कुछ प्रमुख त्योहारों का आयोजन किया जाता है। करवा चौथ जैसे त्योहारों के प्रति विशेष ध्यान दिया जाता है क्योंकि यह सुहागिन महिलाओं का पर्व है।
वर्तमान में, जेल में लगभग 80 महिला बंदियों का निवास है, जो विभिन्न मामलों में बंद हैं। इनमें से कई महिलाओं ने अपने पतियों के लिए करवा चौथ और बच्चों के लिए अहोई अष्टमी का व्रत रखने की योजना बनाई है। इस प्रकार, जेल में भी त्योहार का माहौल बना हुआ है।
सामाजिक संस्था द्वारा पूजन सामग्री का वितरण
संजीवनी संस्था ने जिला कारागार में महिला बंदियों को करवा चौथ व्रत की पूजन सामग्री उपलब्ध कराई है। इस कार्यक्रम के तहत, 30 महिलाओं ने करवा चौथ और 22 महिलाओं ने अहोई अष्टमी का व्रत रखने के लिए अपना नाम दर्ज कराया है। इन महिलाओं को करवे, चूड़ियां, कंगन समेत सभी आवश्यक पूजन सामग्री दी गई है।
जेल के भीतर, दोपहर में सामूहिक पूजा और कथा पाठ का आयोजन किया जाएगा, जिसमें इन महिला बंदियों को शामिल होने का अवसर मिलेगा। अहोई अष्टमी का व्रत सोमवार को है, जिसके लिए संबंधित सामग्री भी रविवार को उपलब्ध करा दी जाएगी।
पति-पत्नी के मिलन की व्यवस्था
वरिष्ठ जेल अधीक्षक डॉ. वीरेश राज शर्मा ने बताया कि जेल के नियमों के अनुसार, जिनके बीच रक्त संबंध होते हैं, उन्हें मिलने की व्यवस्था की जाती है। इसमें पिता-पुत्र, पुत्र-माता, माता-पुत्री के साथ-साथ पति-पत्नी भी शामिल हैं। यदि पति-पत्नी दोनों कारागार में हैं, तो उन्हें रात के समय मिलवाया जाएगा, ताकि महिला चांद के साथ ही अपने पति का दीदार कर सके और व्रत खोल सके।
इस प्रकार, करवा चौथ का यह आयोजन केवल एक धार्मिक गतिविधि नहीं बल्कि महिला बंदियों के लिए एक सकारात्मक अनुभव भी है। यह उन्हें यह एहसास दिलाता है कि वे समाज से जुड़े हुए हैं और उनके त्योहारों का महत्व भी है। यह पहल न केवल उनके मानसिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि उनके परिवारों के साथ संबंध को भी मजबूत बनाती है।