महाराजगंज में रेलवे नौकरी के नाम पर ठगी का मामला, अदालत ने दिया FIR दर्ज करने का आदेश
अयोध्या, 2 मिनट पहले – उत्तर प्रदेश के महाराजगंज के एक गांव में रेलवे में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी का एक गंभीर मामला सामने आया है। इस मामले में चार आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश स्थानीय अदालत ने दिया है। अपर सिविल जज (सी.डि.) द्वितीय/एसीजेएम स्वर्ण माला सिंह ने यह आदेश पीड़िता के प्रार्थना पत्र पर सुनवाई के बाद पारित किया।
मामला महाराजगंज थाना क्षेत्र के अमौनी गांव का है, जहां की निवासी ऊषा देवी ने बताया कि उनके बेटे दीपक की बेरोजगारी से परेशान होकर एक व्यक्ति ने उन्हें रेलवे में नौकरी दिलाने का झांसा दिया। उक्त व्यक्ति, जिसका नाम विवेक शुक्ला है, ने नौकरी के लिए **पांच लाख रुपये** की मांग की। ऊषा देवी ने अपने खेत को गिरवी रखकर यह राशि विवेक शुक्ला के खाते में जमा कर दी।
इसके बाद आरोपियों ने मिलकर दीपक को एक **फर्जी नियुक्ति पत्र** जारी किया। विवेक शुक्ला, उसकी बहन रिया शुक्ला, कथित डीआरएम एपी सिंह और अरविंद ने मिलकर यह पूरी साजिश रची। इतना ही नहीं, आरोपियों ने दीपक से विभागीय परीक्षा भी कराई और फर्जी परीक्षा परिणाम भी घोषित किए।
जब दीपक को काफी समय तक नौकरी नहीं मिली, तब उसने रेलवे विभाग से संपर्क किया। इस दौरान उसे पता चला कि जो नियुक्ति पत्र और परीक्षा परिणाम उसे दिए गए थे, वे सभी **फर्जी** थे। इस जानकारी के बाद ऊषा देवी ने महिला आयोग और पुलिस अधिकारियों से शिकायत की, लेकिन किसी ने उनकी मदद नहीं की।
अंततः, न्याय की तलाश में ऊषा देवी ने अदालत का दरवाजा खटखटाया। अदालत ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए पुलिस को FIR दर्ज करने का आदेश दिया है, साथ ही एक सप्ताह के भीतर न्यायालय को रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए भी कहा है। इस मामले ने न केवल पीड़िता की जिंदगी को प्रभावित किया है, बल्कि यह दिखाता है कि कैसे कुछ लोग बेरोजगार युवाओं की उम्मीदों के साथ खेलते हैं।
भ्रष्टाचार और ठगी के खिलाफ उठती आवाजें
यह मामला केवल एक व्यक्तिगत ठगी की घटना नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी का एक उदाहरण है। नौकरी की तलाश में युवाओं की निराशा को देखते हुए इस तरह के मामलों में वृद्धि हो रही है। ऐसे मामलों में पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है।
अधिकारियों ने इस मामले में तेजी से कार्यवाही करने का आश्वासन दिया है। इसके अलावा, यह भी जरूरी है कि इस तरह के मामलों को रोकने के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाएं, ताकि लोग आसानी से ठगी का शिकार न हों।
निष्कर्ष
महाराजगंज का यह मामला एक गंभीर चेतावनी है। हमें चाहिए कि हम सतर्क रहें और ऐसे ठगों के खिलाफ आवाज उठाएं। अदालत ने जो फैसला दिया है, वह इस बात का प्रमाण है कि न्याय की प्रक्रिया कार्यशील है और पीड़ितों को उनके अधिकार मिलेंगे। इस घटना के माध्यम से हमें यह सीखने की जरूरत है कि शिक्षा और जागरूकता से ही हम ऐसे धोखाधड़ी के मामलों को रोक सकते हैं।
इस तरह की घटनाओं के खिलाफ समाज को एकजुट होकर लड़ाई लड़नी होगी, ताकि भविष्य में किसी और को इस तरह की ठगी का सामना न करना पड़े।