“ATS: उत्तर प्रदेश के अकमल के गांव में शरिया लागू करने की साजिश, 4 फिट की गली में मामूली सा मकान”



उत्तर प्रदेश में जिहाद और शरिया कानून लागू करने की साजिश: चार गिरफ्तार असगर नकी | सुलतानपुर – उत्तर प्रदेश एंटी टेररिज्म स्क्वाड (एटीएस) ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण…

“ATS: उत्तर प्रदेश के अकमल के गांव में शरिया लागू करने की साजिश, 4 फिट की गली में मामूली सा मकान”

उत्तर प्रदेश में जिहाद और शरिया कानून लागू करने की साजिश: चार गिरफ्तार

असगर नकी | सुलतानपुर – उत्तर प्रदेश एंटी टेररिज्म स्क्वाड (एटीएस) ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण कार्रवाई करते हुए चार संदिग्ध व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है। इन पर आरोप है कि वे सरकार के खिलाफ जिहाद की योजना बना रहे थे और शरिया कानून को लागू करने की कोशिश कर रहे थे। गिरफ्तार किए गए आरोपियों में सुलतानपुर का निवासी अकमल रजा भी शामिल है, जिसे इस मामले का मुख्य सरगना माना जा रहा है। एटीएस की पूछताछ के दौरान यह खुलासा हुआ है कि अकमल की गतिविधियाँ और उसका पारिवारिक पृष्ठभूमि भी संदेह के दायरे में है।

कांकरकोला गांव की स्थिति और जानकारी

सुलतानपुर के हलियापुर थाना क्षेत्र में स्थित कांकरकोला गांव, जिला मुख्यालय से लगभग 45 किलोमीटर दूर है। यह गांव मुस्लिम बहुल है, जहाँ लगभग 2000 लोग निवास करते हैं। गांव का प्रमुख मार्ग पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे की ओर जाता है, जबकि पीछे अमेठी जिला है। गांव का मुख्य मार्ग से दूरी केवल एक किलोमीटर है।

दैनिक भास्कर की टीम ने अकमल के गांव जाकर वहाँ के निवासियों से संवाद किया। गांव के प्रधान के पुत्र मान सिंह और उनके चाचा अशोक कुमार सिंह ने बताया कि अकमल का परिवार गांव में नहीं रहता। वे वर्षों से दिल्ली में निवास कर रहे हैं और गांव में उनका कोई संपर्क नहीं है। केवल अकमल के चाचा का परिवार ही गांव में मौजूद है।

अकमल की गतिविधियाँ और परिवार की जानकारी

अशोक कुमार सिंह ने बताया कि अकमल अक्सर मुहर्रम के दौरान गांव आता था और धार्मिक भाषण देता था। वह कुछ युवाओं के संपर्क में था और निजी मदरसे के मौलवियों से भी उसकी बातचीत होती थी। लेकिन गांव वालों को इस बात का अंदाजा नहीं था कि वह किसी आपराधिक गतिविधि में शामिल हो सकता है।

मान सिंह ने बताया कि अकमल के पिता, शराफत अली, दिल्ली में सैलून का काम करते हैं और लगभग तीन दशक से वहीं रह रहे हैं। उनके परिवार में पत्नी और तीन बच्चे हैं। अकमल सबसे छोटा है और उसके दादा, रज्जब अली की दो साल पहले मृत्यु हो चुकी है।

पुराना विवाद और पुलिस की भूमिका

अशोक कुमार सिंह ने बताया कि 2007 में अकमल का एक विवाद डीएम के साथ हुआ था, जिसके चलते उसे पुलिस ने गिरफ्तार किया था, लेकिन आर्थिक स्थिति को देखते हुए उसे छोड़ दिया गया। अकमल का पुश्तैनी मकान गांव के अंतिम छोर पर स्थित है, जो एक मंजिला और 11×30 फीट का है।

अकमल की चाची शकीला ने बताया कि वह कभी-कभार गांव आता था और कभी-कभी रात भी रुकता था। उसका परिवार लगभग 20 साल से दिल्ली में रह रहा है। हाल ही में, एटीएस ने अमेठी के रानीगंज से अकमल को गिरफ्तार किया, जबकि उसके बेटे रेहान को बाद में छोड़ दिया गया।

गांव वालों की प्रतिक्रिया और जानकारी

गांव में अकमल के घर के पास एक निजी मदरसे के 75 वर्षीय इदरीस ने बताया कि उन्हें एटीएस की कार्रवाई की जानकारी नहीं थी। उन्होंने कहा कि अकमल दिल्ली में रहता था और अब मौलवी बनकर पढ़ाई कर रहा था। प्रधान प्रतिनिधि मान सिंह ने बताया कि अकमल पढ़ाई के लिए बाहर रहता था और बाद में मौलवी बन गया। परिवार की गांव में गतिविधियाँ बहुत कम थीं।

एटीएस की कार्रवाई और गिरफ्तारियों का विस्तार

एटीएस ने अकमल रजा के अलावा तीन अन्य संदिग्धों को भी गिरफ्तार किया है। इनमें सोनभद्र के राबट्सगंज निवासी सफील सलमानी, कानपुर के घाटमपुर स्थित मो. तौसीफ और रामपुर के खजुरिया थाना क्षेत्र के कासिम अली शामिल हैं। प्रारंभिक जांच में यह संभावना जताई जा रही है कि इनका दिल्ली से कोई संबंध हो सकता है। एटीएस इनसे पूछताछ कर रही है और जल्द ही जांच में कई और महत्वपूर्ण तथ्य सामने आने की उम्मीद है।

इस मामले ने न केवल गांव के निवासियों को चौंका दिया है, बल्कि सुरक्षा एजेंसियों के लिए भी एक चुनौती प्रस्तुत की है। एटीएस की इस कार्रवाई के बाद, यह स्पष्ट होता है कि जिहाद और शरिया कानून का कार्यान्वयन जैसी गतिविधियों पर निगरानी रखने की आवश्यकता है।

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