भानु सप्तमी का व्रत आज, यानी 20 अप्रैल को मनाया जा रहा है। प्रत्येक महीने में दो सप्तमी तिथि होती हैं। यदि यह तिथि रविवार को सातवें दिन पड़ती है, तो इसे भानु सप्तमी या रथ सप्तमी कहा जाता है। इस दिन विशेष रूप से सूर्य देव की पूजा की जाती है और उन्हें अर्घ्य अर्पित किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि भानु सप्तमी के दिन सूर्य देव की पूजा और व्रत करने से व्यक्ति की प्रतिष्ठा और प्रसिद्धि बढ़ती है। इसके साथ ही जन्म कुंडली में सूर्य का स्थान भी शुभ होता है। आइए जानते हैं भानु सप्तमी पर पूजा का समय, पूजा विधि और इसका महत्व।
पूजा मुहूर्त
भानु सप्तमी के दिन सूर्य की पूजा का शुभ समय सुबह 5:52 से लेकर 11:48 बजे तक है। इस मुहूर्त में सूर्य देव की पूजा करने से सभी दुख-दर्द दूर होते हैं और व्यक्ति को स्वास्थ्य लाभ मिलता है।
पूजा विधि
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करें। इसके बाद सूर्य मंत्र का जाप करें और उपवास का संकल्प लें। फिर सूर्य देव की पूजा लाल आसन पर बैठकर करें। इसके बाद घी का दीपक जलाकर सूर्य देव की आरती करें। भानु सप्तमी के दिन नमक का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन सूर्य से संबंधित वस्तुओं का दान करना भी महत्वपूर्ण है। धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से जन्म कुंडली में सूर्य का स्थान मजबूत होता है और व्यक्ति की जीवन में कभी कमी नहीं होती।
महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भानु सप्तमी के दिन सूर्य देव की पूजा और व्रत करने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। व्यक्ति को हर कार्य में सफलता मिलती है। सूर्य देव की पूजा से व्यक्ति को स्वास्थ्य लाभ भी मिलता है। वास्तव में, सूर्य देव ग्रहों के राजा हैं और इस समय विक्रम संवत 2082 का राजा और मंत्री भी सूर्य देव हैं। यदि कोई व्यक्ति भानु सप्तमी का उपवास रखता है, तो उसके सभी संकट समाप्त हो जाते हैं। यह उपवास संतान की प्राप्ति और पिता-पुत्र के प्रेम को बढ़ाने के लिए भी किया जाता है।
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