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Bhanu Saptami 2025: त्रिपुष्कर योग में 20 अप्रैल को मनाई जा सकती है भानु सप्तमी

भानु सप्तमी का पर्व रविवार, 20 अप्रैल को मनाया जाएगा। यह पर्व हर महीने कृष्ण पक्ष … Bhanu Saptami 2025: त्रिपुष्कर योग में 20 अप्रैल को मनाई जा सकती है भानु सप्तमीRead more

भानु सप्तमी का पर्व रविवार, 20 अप्रैल को मनाया जाएगा। यह पर्व हर महीने कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष के दिनों में विशेष महत्व रखता है। इस बार भानु सप्तमी का महत्व और भी बढ़ जाएगा क्योंकि यह रविवार को पड़ रहा है। इस शुभ दिन पर सूर्य देव की पूजा की जाती है और दान-पुण्य का कार्य भी किया जाता है।

ज्योतिषाचार्य Dr. Anish Vyas, जो कि जयपुर जोधपुर के पाल बालाजी ज्योतिष के निदेशक हैं, ने बताया कि 20 अप्रैल को भानु सप्तमी है। इस दिन वैशाख महीने के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि पर कई मंगलकारी योग बन रहे हैं, जिनमें दुर्लभ त्रिपुष्कर योग भी शामिल है। इन योगों में सूर्य देव की पूजा करने से साधक को अनंत फल की प्राप्ति हो सकती है। इस अवसर पर साधक गंगा नदी में स्नान करते हैं, और माँ गंगा तथा सूर्य देव की पूजा करते हैं। यदि गंगा नदी में स्नान की सुविधा नहीं है, तो घर पर गंगा जल मिलाकर स्नान कर सकते हैं और फिर सूर्य देव की पूजा करें।

Dr. Anish Vyas ने बताया कि सूर्य देव की पूजा करने से साधक को हर काम में सफलता मिलती है और शारीरिक तथा मानसिक परेशानियों से मुक्ति मिलती है। भानु सप्तमी के दिन साधक अपनी इच्छा के अनुसार भोजन, पानी और धन का दान भी करते हैं। यदि कोई अनजाने में किए गए पापों से मुक्त होना चाहता है, तो भानु सप्तमी के दिन गंगा में स्नान करके सूर्य देव की पूजा करें और पूजा के समय माँ गंगा का नाम लें।

भानु सप्तमी की तिथि 19 अप्रैल को शाम 6:21 बजे से शुरू होगी और 20 अप्रैल को शाम 7 बजे समाप्त होगी।

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Dr. Anish Vyas ने बताया कि इस दिन त्रिपुष्कर योग का दुर्लभ संयोग भी बन रहा है, जो रात 11:48 बजे से शुरू होगा और शाम 7 बजे समाप्त होगा। इस समय सूर्य देव की पूजा करने से साधक को इच्छित फल की प्राप्ति होगी।

Dr. Anish Vyas ने कहा कि भानु सप्तमी पर सिद्ध योग का संयोग भी बन रहा है, जो 12:13 मिनट पर समाप्त होगा। इस योग में सूर्य देव की पूजा करने से शुभ कार्यों में सफलता मिलती है और स्वास्थ्य लाभ भी होता है।

भानु सप्तमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। फिर सूर्य को तांबे के लोटे से जल अर्पित करें, जिसमें कुछ लाल चंदन, अक्षत (चावल) और लाल फूल डालें। सूर्या मंत्र का जाप करते हुए जल अर्पित करें: ‘ॐ ख्रां सूर्याय नमः’। इसके बाद व्रत का संकल्प लें और सूर्य देव की पूजा करें। उन्हें लाल फूल, धूप, नैवेद्य और अक्षत अर्पित करें।

इस दिन ब्राह्मण को भोजन कराना और गाय को हरी घास खिलाना भी पुण्य कार्य माना जाता है। अंत में जरूरतमंदों को दान देना भी शुभ होता है। इस दिन व्रत रखने पर मीठा भोजन करें और नमक न खाएं।

Dr. Anish Vyas ने कहा कि पौराणिक मान्यता के अनुसार, जब पहली बार सूर्य की किरणें पृथ्वी पर पड़ीं, तब शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि थी। तभी से यह तिथि भानु सप्तमी के रूप में मनाई जाती है। माना जाता है कि इस दिन सच्चे मन से व्रत करने वाले भक्त पर सूर्य देव की विशेष कृपा होती है, जिससे शारीरिक रोग दूर होते हैं और जीवन में नई ऊर्जा का संचार होता है।

– Dr. Anish Vyas
ज्योतिषाचार्य और भविष्यवक्ता