राजस्थान में संपन्न हुई अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन: हार्ट और लंग ट्रांसप्लांटेशन पर चर्चा
राजस्थान में रविवार को तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस “इंडियन सोसाइटी फॉर हार्ट एंड लंग ट्रांसप्लांटेशन (इनश्ल्ट 2025)” का सफल समापन हुआ। इस सम्मेलन में देश-विदेश के विशेषज्ञों ने हार्ट और लंग ट्रांसप्लांटेशन से संबंधित नई तकनीकों और उपचार विधियों पर अपने विचार साझा किए। इस सम्मेलन का उद्देश्य ट्रांसप्लांटेशन की दुनिया में नवीनतम विकासों को साझा करना और विशेषज्ञों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना था।
सम्मेलन के दौरान विशेषज्ञों ने बताया कि अब गंभीर रूप से कमजोर दिल वाले मरीजों की जान को बचाने के लिए नई तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है। इस संदर्भ में, डॉ. अंकित मित्तल ने ट्रांसप्लांट रेसिपिएंट को सुरक्षित रखने के उपायों पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने बताया कि सही देखभाल और तकनीकी सहायता से मरीजों की जीवन गुणवत्ता में सुधार संभव है।
विशेषज्ञों ने साझा की ट्रांसप्लांट से जुड़ी नई जानकारी
कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन डॉ. अजीत बाना (कार्डियक), डॉ. वीरेन्द्र सिंह (पल्मोनरी) और ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ. राजकुमार यादव ने विभिन्न विषयों पर चर्चा की। तीसरे दिन, डॉ. रविकांत पोरवाल ने हार्ट और लंग ट्रांसप्लांट के मरीजों में टीबी के इलाज पर अपने शोध प्रस्तुत किए। वहीं, डॉ. सुलेखा सक्सेना ने एकमो तकनीक पर अपनी रिसर्च साझा की, जो कि गंभीर स्वास्थ्य स्थितियों में मददगार साबित हो रही है।
कॉन्फ्रेंस में “लर्न फ्रॉम द मास्टर्स” शीर्षक से आयोजित सत्रों में डॉ. मिलिंद, डॉ. जसलीन कुकरेजा, डॉ. ए.जी.के. गोखले और डॉ. अरविंद कुमार ने हार्ट और लंग ट्रांसप्लांट की सर्जिकल तकनीकों पर वीडियो लेक्चर के माध्यम से जानकारी दी। विशेष रूप से, डॉ. के.आर बालाकृष्णन ने पेडियाट्रिक लोबार लंग ट्रांसप्लांट पर चर्चा की, जिससे बच्चों में होने वाले लंग संबंधी समस्याओं का समाधान किया जा सके।
नई तकनीकों का महत्व और प्रभाव
हैदराबाद के पद्मश्री अवार्ड विजेता डॉ. गोपाल कृष्ण गोखले ने बताया कि एडवांस हार्ट फेल्योर वाले मरीजों के लिए नई तकनीकें बेहद फायदेमंद साबित हो रही हैं। इन तकनीकों को कभी-कभी हार्ट ट्रांसप्लांट की प्रतीक्षा के दौरान ‘ब्रिज टू ट्रांसप्लांट’ के रूप में भी लागू किया जाता है। इसके परिणामस्वरूप मरीजों में सांस फूलने, थकान और सूजन की समस्याएं कम होती हैं, जिससे उनकी जीवन गुणवत्ता में सुधार होता है।
कॉन्फ्रेंस के ट्रेजरार डॉ. नीरज शर्मा ने बताया कि इस दौरान ईसीएमओ रजिस्ट्री, ट्रांसप्लांट इन्फेक्शियस डिज़ीज़, रिहैबिलिटेशन और स्ट्रक्चरल हार्ट डिज़ीज़ पर कई वर्कशॉप आयोजित की गईं। इन वर्कशॉप में विशेषज्ञों ने हार्ट और लंग ट्रांसप्लांट की सर्जिकल तकनीक पर अपने ज्ञान को साझा किया। सिंगापुर से आए डॉ. शिवासतान ने एनिमल हार्ट पर एल्वेड इंप्लांट का लाइव डेमो भी प्रस्तुत किया, जो कि इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण विकास है।
संक्रमण की रोकथाम के लिए नई तकनीकें
अमेरिका से आईं डॉ. कैमिली कॉटन और डॉ. प्रसिला रूपाली ने ट्रांसप्लांट के बाद संक्रमण की रोकथाम और इलाज के बारे में जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि अब हार्ट और लंग ट्रांसप्लांट के मरीजों में संक्रमण को पहचाना जा सकेगा। इसके लिए नई मॉलिक्युलर डायग्नोस्टिक किट विकसित की गई है, जो संक्रमण की शुरुआती अवस्था में ही जीवाणु या वायरस की मौजूदगी को पहचान लेती है।
इस नई तकनीक के माध्यम से संक्रमण को फैलने से पहले नियंत्रित किया जा सकता है, जो ट्रांसप्लांट के फेल होने के जोखिम को कम करने में मदद करेगी। यह तकनीक मरीज के रक्त या श्वसन नमूने से माइक्रोबियल डीएनए और आरएनए का विश्लेषण करती है, जिससे यह पता चलता है कि कौन सा संक्रमण पनपने की स्थिति में है। इस प्रक्रिया की रिपोर्ट मात्र तीन से चार घंटों में आ जाती है, जो कि चिकित्सा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
इस प्रकार, इनश्ल्ट 2025 सम्मेलन ने ट्रांसप्लांटेशन के क्षेत्र में नवीनतम विकासों और तकनीकों को साझा करने का एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान किया, जिसने विशेषज्ञों और चिकित्सकों के बीच ज्ञान का आदान-प्रदान किया। यह सम्मेलन न केवल चिकित्सा क्षेत्र में महत्वपूर्ण है, बल्कि मरीजों के लिए बेहतर उपचार की संभावनाएं भी उत्पन्न करता है।