हनुमानगढ़ में धानका/धाणका जनजाति संघर्ष समिति का धरना जारी
हनुमानगढ़ जिले में धानका/धाणका जनजाति संघर्ष समिति का धरना मंगलवार को 65वें दिन भी जारी रहा। इस दौरान, समाज के लोगों ने अपने स्कूली बच्चों के साथ मिलकर कलेक्ट्रेट के सामने विरोध-प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने नारेबाजी करते हुए प्रशासन से मांग की कि जाति प्रमाण पत्र जारी करने पर लगी मौखिक रोक को तुरंत हटाया जाए। इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य धानका/धाणका जाति के लोगों को उनके अधिकारों की प्राप्ति में मदद करना है।
मंगलवार को आयोजित इस रोष मार्च में समाज के नागरिकों ने एकजुट होकर जिला कलेक्ट्रेट परिसर में प्रदर्शन किया और इसके बाद उन्होंने जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर अपनी मांग को दोहराया। समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि धानका/धाणका जाति के प्रमाणपत्र बनाने पर लगी मौखिक रोक के कारण समाज में भारी रोष व्याप्त है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रशासन की ओर से अब तक कोई सुनवाई नहीं की गई है, जिससे समाज के लोगों में निराशा और आक्रोश बढ़ रहा है।
जाति प्रमाण पत्र में प्रशासनिक भूल का मुद्दा
समिति ने बताया कि वर्ष 1998 से 2014 के बीच प्रशासनिक अधिकारियों की एक भूल के कारण अनुसूचित जनजाति के ऑफलाइन जाति प्रमाण पत्रों में ‘धाणका’ के स्थान पर ‘धानका’ का उल्लेख कर दिया गया था। अब जब लोग अपने बच्चों के जाति प्रमाण पत्र बनवाने जाते हैं, तो अधिकारियों की ओर से उन्हें बताया जाता है कि ‘धानका’ नाम से कोई भी जाति अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल नहीं है। इस कारण से उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
समिति के नेता ने कहा कि यह स्थिति न केवल समाज के लोगों के लिए बल्कि उनके बच्चों के भविष्य के लिए भी खतरनाक साबित हो रही है। जाति प्रमाण पत्र न बन पाने के कारण हनुमानगढ़ और श्रीगंगानगर जिलों के बच्चों की पढ़ाई और नौकरी के अवसर प्रभावित हो रहे हैं। ऐसे में, यह मांग उठाई जा रही है कि धानका/धाणका जाति के प्रमाण पत्र बनाने पर लगाई गई मौखिक रोक को तुरंत हटाया जाए।
समाज की एकजुटता और समर्थन
इस धरने और विरोध-प्रदर्शन में समाज के विभिन्न वर्गों ने एकजुटता दिखाई है। बच्चों के साथ विरोध प्रदर्शन करना यह दर्शाता है कि यह मुद्दा केवल एक जाति का नहीं, बल्कि संपूर्ण समाज का है। समिति ने अपने सदस्यों से अपील की है कि वे इस आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लें ताकि उनकी आवाज को प्रशासन तक पहुंचाया जा सके।
- समिति ने प्रशासन से तत्काल मांग की है कि जाति प्रमाण पत्र जारी करने में आ रही समस्याओं का समाधान किया जाए।
- प्रशासनिक भूल के कारण बने ‘धानका’ जाति के प्रमाण पत्रों को ‘धाणका’ जाति के ऑनलाइन प्रमाण पत्रों में बदला जाए।
- समाज के बच्चों की शिक्षा और नौकरी के अवसरों को सुरक्षित करने के लिए कदम उठाए जाएं।
समुदाय के नेताओं का कहना है कि अगर उनकी मांगों को नहीं सुना गया, तो वे आने वाले दिनों में और भी बड़े आंदोलन की योजना बना सकते हैं। उन्होंने सभी समाज के लोगों से एकजुट होकर इस मुद्दे के लिए खड़े होने की अपील की है। हनुमानगढ़ की यह स्थिति न केवल स्थानीय समाज के लिए, बल्कि पूरे राज्य के लिए एक उदाहरण है कि कैसे छोटे-छोटे मुद्दे भी यदि अनदेखे किए जाएं, तो बड़े आंदोलन का रूप ले सकते हैं।
उम्मीद की जा रही है कि प्रशासन अब इस मामले को गंभीरता से लेगा और धानका/धाणका जनजाति के लोगों की समस्याओं का समाधान करेगा। यह देखना होगा कि क्या प्रशासन इन मांगों पर ध्यान देगा या समाज को अपने अधिकारों के लिए और भी संघर्ष करना पड़ेगा।