Agniveer: राजस्थान का अग्निवीर उत्तराखंड में शहीद, 70 दिन बाद मिली बॉडी



उत्तराखंड में बादल फटने से लापता अग्निवीर भीम सिंह का शव मिला उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में **5 अगस्त** को हुए बादल फटने की घटना ने पूरे…

Agniveer: राजस्थान का अग्निवीर उत्तराखंड में शहीद, 70 दिन बाद मिली बॉडी

उत्तराखंड में बादल फटने से लापता अग्निवीर भीम सिंह का शव मिला

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में **5 अगस्त** को हुए बादल फटने की घटना ने पूरे क्षेत्र में तबाही मचाई थी। इस प्राकृतिक आपदा में **कोटपूतली-बहरोड़** जिले के रहने वाले अग्निवीर भीम सिंह लापता हो गए थे। भौनावास गांव निवासी **भीम सिंह** (19), जो **14 राजपूताना राइफल्स** में अग्निवीर थे, का शव 70 दिन बाद 12 अक्टूबर को बरामद किया गया। उनकी पहचान डीएनए सैंपल के माध्यम से की गई।

भीम सिंह के दादा, रिटायर्ड हवलदार ओनाड सिंह ने बताया कि उनके बड़े पोते **कंवरपाल सिंह** को सीओ **हर्षवर्धन सिंह** ने फोन करके सूचित किया कि भीम की पहचान हो गई है। इस मुश्किल समय में परिवार के सदस्यों पर गहरा दुख छा गया है। गांव के अन्य निवासियों, जैसे **बृजपाल**, **बलवीर सिंह**, और **श्रवण सिंह** ने बताया कि शहीद की पार्थिव देह कल **प्रागपुरा थाने** पहुंचने वाली है। इसके बाद उसे तिरंगे के साथ पैतृक गांव भौनावास ले जाया जाएगा, जहां सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

भीम सिंह की पारिवारिक स्थिति

भीम सिंह के बड़े भाई **कंवरपाल सिंह** (23) ने बताया कि भीम ने **9 महीने** पहले सेना में भर्ती होने के बाद ट्रेनिंग पूरी की थी। कंवरपाल ने बताया कि 5 जून 2025 को वह ट्रेनिंग से पासआउट हुआ था और उसके बाद उसे उत्तराखंड के **हर्षिल** में पोस्टिंग मिली थी। परिवार की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं है, क्योंकि मां **विनोद कंवर** ब्लड प्रेशर की मरीज हैं और पिता **महेश सिंह** बुजुर्ग हैं। इस कारण घर पर किसी को भी हादसे की जानकारी नहीं दी गई।

कंवरपाल ने कहा, “4 अगस्त को भीम का फोन आया था। उसने घर की मरम्मत कराने की बात की थी और कहा था कि वह छुट्टी पर आएगा।” लेकिन 5 अगस्त को जब हादसे की खबर मिली, तो उन्होंने तुरंत भीम से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन संपर्क नहीं हो सका। 7 अगस्त को उनके कमांडिंग ऑफिसर का फोन आया, जिसमें बताया गया कि भीम सिंह समेत **8 जवानों** से संपर्क नहीं हो रहा है।

धराली गांव में बादल फटने की घटना

धराली गांव में **5 अगस्त** को बादल फटने से भयंकर तबाही मच गई थी। प्रशासन के अनुसार, इस प्राकृतिक आपदा में **4 लोगों** की मौत हुई और **50 से ज्यादा** लोग लापता हैं। बचाव कार्य के लिए **SDRF**, **NDRF**, **ITBP**, और **आर्मी** की टीमें सक्रिय हैं। अब तक **130 से ज्यादा** लोगों को रेस्क्यू किया गया है। प्रशासन का कहना है कि मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है।

धराली गांव में हुई इस आपदा ने न केवल स्थानीय लोगों को प्रभावित किया है, बल्कि पूरे राज्य में एक शोक का माहौल बना दिया है। भीम सिंह की परिवार की स्थिति इस घटना के बाद और भी कठिन हो गई है, और वे अपने बेटे के लौटने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। उनके बड़े भाई कंवरपाल ने कहा, “हमारे पिता खेती करते हैं और वे भी सेना में शामिल होने की तैयारी कर रहे हैं। हम दोनों भाइयों की अभी तक शादी नहीं हुई है।” इस घटना ने परिवार को गहरे दुख में डाल दिया है।

परिवार की कठिनाई और समुदाय की प्रतिक्रिया

भीम सिंह की मां विनोद कंवर अपने बेटे की वापसी का इंतजार कर रही हैं। उनके छोटे बच्चे बार-बार पूछते हैं, “पापा कब आएंगे?” यह सवाल उनके लिए और भी मुश्किल बना रहा है। परिवार की स्थिति को देखते हुए गांव के लोग एकजुट हो रहे हैं और शहीद का सम्मान करने के लिए तैयार हो रहे हैं। उनकी पार्थिव देह के अंतिम संस्कार में पूरा गांव शामिल होगा।

भीम सिंह की शहादत ने न केवल उनके परिवार को प्रभावित किया है, बल्कि पूरे गांव और राज्य को भी एकत्रित किया है। इस दुखद घटना के बाद, स्थानीय नेता और सामाजिक कार्यकर्ता भी इस मुद्दे पर आवाज उठा रहे हैं, ताकि प्रभावित परिवारों की सहायता की जा सके।

भविष्य में, यह आवश्यक है कि राज्य सरकार और अन्य संगठन इस प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए बेहतर उपाय करें, ताकि ऐसी घटनाएं फिर से न हों।

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