“Urs: रायसेन में बाबा पीर फतेह उल्ला साहब का उर्स शुरू, जिला प्रशासन ने पेश की पहली चादर और मांगी अमन-चैन की दुआ; कल होगी कव्वाली”



रायसेन में बाबा पीर फतेह उल्लाह साहब की दरगाह पर 804वें उर्स का आरंभ रायसेन शहर के भोपाल रोड स्थित बाबा पीर फतेह उल्लाह साहब की दरगाह पर 804वें उर्स…

“Urs: रायसेन में बाबा पीर फतेह उल्ला साहब का उर्स शुरू, जिला प्रशासन ने पेश की पहली चादर और मांगी अमन-चैन की दुआ; कल होगी कव्वाली”

रायसेन में बाबा पीर फतेह उल्लाह साहब की दरगाह पर 804वें उर्स का आरंभ

रायसेन शहर के भोपाल रोड स्थित बाबा पीर फतेह उल्लाह साहब की दरगाह पर 804वें उर्स का शुभारंभ बुधवार को धूमधाम से किया गया। इस अवसर पर जिला प्रशासन ने पहली चादर पेश कर इस धार्मिक आयोजन की शुरुआत की, जिससे श्रद्धालुओं में उत्साह का माहौल बना। इस खास मौके पर विभिन्न सामाजिक और धार्मिक समुदायों के लोग एकत्रित हुए और अमन-चैन की दुआ की।

उर्स के शुभारंभ में जिले के कई प्रशासनिक अधिकारी भी मौजूद रहे, जिनमें एसडीएम मनीष शर्मा, एसडीओपी प्रतिभा शर्मा, और तहसीलदार भरत मंड्रे शामिल हैं। इन अधिकारियों ने चादर चढ़ाकर शहर और जिले में शांति और सद्भावना की कामना की। दरगाह पर चादर चढ़ाने का यह रिवाज वर्षों से चला आ रहा है और इसे श्रद्धालुओं द्वारा बड़े श्रद्धा भाव से निभाया जाता है।

उर्स के दौरान आयोजित धार्मिक कार्यक्रम

उर्स के इस विशेष अवसर पर रात 8 बजे मीलादुन्नबी, नात और तकरीर का आयोजन किया गया। ये धार्मिक समारोह श्रद्धालुओं के बीच एकता और भाईचारे का संदेश फैलाने का कार्य करते हैं। इसके साथ ही, गुरुवार और शुक्रवार को रात 9 बजे से कव्वाली का कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा, जिसमें देश-विदेश से प्रसिद्ध कव्वालों की प्रस्तुतियां होंगी। श्रद्धालु इस संगीतमय कार्यक्रम का आनंद उठाने के लिए बड़ी संख्या में दरगाह पर पहुंचेंगे।

उर्स का समापन चार अक्टूबर को एक विशेष दुआ के साथ होगा। इस दिन श्रद्धालु अपने-अपने मन की इच्छाओं और समस्याओं का समाधान मांगने के लिए दरगाह पर पहुंचते हैं। दरगाह पर चादर चढ़ाने और दुआ मांगने के लिए सिर्फ रायसेन ही नहीं, बल्कि आसपास के अन्य शहरों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।

उर्स की महत्ता और श्रद्धालुओं की भागीदारी

बाबा पीर फतेह उल्लाह साहब की दरगाह पर हर साल आयोजित होने वाला यह उर्स मुस्लिम समुदाय के लिए एक विशेष धार्मिक आयोजन है। इस अवसर पर लोग एकत्र होकर अपने आस्था के प्रतीक के प्रति श्रद्धा अर्पित करते हैं। यहां आने वाले श्रद्धालुओं का मानना है कि बाबा की दरगाह पर की गई दुआएं कभी अस्वीकार नहीं होतीं।

  • उर्स के दौरान विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
  • श्रद्धालुओं द्वारा चादर चढ़ाने की परंपरा को बड़े श्रद्धा भाव से निभाया जाता है।
  • कव्वाली और अन्य धार्मिक समारोहों में स्थानीय और बाहर के लोग शामिल होते हैं।

इस प्रकार, बाबा पीर फतेह उल्लाह साहब की दरगाह पर उर्स का आयोजन केवल एक धार्मिक समारोह नहीं है, बल्कि यह सामाजिक सद्भाव और एकता का प्रतीक भी है। इस दौरान श्रद्धालुओं का जोश और उत्साह इस बात का प्रमाण है कि धार्मिक आस्था और विश्वास आज भी लोगों के दिलों में जीवित है।

उम्मीद की जाती है कि इस बार का उर्स भी पहले की तरह सफल और समर्पित रहेगा, और यहां आने वाले सभी श्रद्धालु अपने घरों को दुआओं और खुशियों के साथ लौटेंगे।

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