MP News: Arun Kumar ने इंदौर में कहा- “स्थापना के समय ही डॉक्टर साहब ने कहा था, हम समाज बनाने चले हैं”



संघ की स्थापना का उद्देश्य: समाज को संगठित करना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की स्थापना के समय से ही डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने यह स्पष्ट किया था कि उनका…

MP News: Arun Kumar ने इंदौर में कहा- “स्थापना के समय ही डॉक्टर साहब ने कहा था, हम समाज बनाने चले हैं”

संघ की स्थापना का उद्देश्य: समाज को संगठित करना

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की स्थापना के समय से ही डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने यह स्पष्ट किया था कि उनका उद्देश्य केवल संघ का निर्माण नहीं, बल्कि एक समर्पित समाज का निर्माण करना है। यह बात संघ के अखिल भारतीय सह सरकार्यवाह अरुण कुमार ने डेली कॉलेज में संघ की राष्ट्र सेवा के 100 वर्ष के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में कही। उन्होंने आगे कहा कि डॉ. हेडगेवार ने सदैव यह प्रश्न उठाया कि भारत में हिंदुओं का संगठन सांप्रदायिक कैसे हो सकता है, जबकि यह राष्ट्र हजारों वर्षों से एक अद्वितीय पहचान रखता है।

भारतीय राष्ट्र की पहचान और उसकी भूमिका

अरुण कुमार ने जोर देकर कहा कि भारत एक सनातन राष्ट्र है, जो निरंतरता और एकता के साथ आगे बढ़ता रहा है। उन्होंने कहा कि यह राष्ट्र उन लोगों का है जिन्होंने इसे बनाने, बनाए रखने और इसकी रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। डॉ. हेडगेवार का मानना था कि राष्ट्रभक्ति केवल जय-जयकार करने से नहीं होती, बल्कि यह हर पल अपने राष्ट्र और समाज के लिए जीने में होती है। उन्होंने सभी से आग्रह किया कि वे सोचें कि वे देश को क्या दे सकते हैं और व्यक्तिगत रूप से वे क्या कर सकते हैं।

संघ का शताब्दी वर्ष: आत्मचिंतन का अवसर

संघ के शताब्दी वर्ष में, अरुण कुमार ने यह भी कहा कि यह समय आत्मचिंतन का है। उन्होंने बताया कि समाज ने संघ को प्यार, विश्वास और सम्मान दिया है, और यह विचार करने का समय है कि क्या संघ इस सम्मान के योग्य है? उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि जो कुछ भी कार्य किए गए हैं, वे समाज के सहयोग से ही संभव हुए हैं, और संघ केवल एक माध्यम रहा है।

समाज की अपेक्षाएँ और संघ की भूमिका

अरुण कुमार ने कहा कि संघ ने समाज को संगठित करने और जागरूक लोगों को जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने यह भी बताया कि राम जन्मभूमि का आंदोलन संत समाज के नेतृत्व में संभव नहीं होता, और यह सब मिलकर किया गया था। संघ ने खुद को श्रेय नहीं लेने का प्रयास किया है, लेकिन समाज की अपेक्षाओं पर खरा उतरने की जिम्मेदारी भी उठाई है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में संघ इस अपेक्षा को पूरा करने का प्रयास करेगा।

गीत-संगीत का महत्व

कार्यक्रम में छात्रों द्वारा प्रस्तुत गीत-संगीत की प्रस्तुति की सराहना करते हुए, अरुण कुमार ने कहा कि संघ की कल्पना बिना गीत के नहीं की जा सकती। उन्होंने बताया कि संघ के सभी कार्यक्रम, बैठकें और शाखाएँ बिना गीत के पूरी नहीं होतीं। संघ में गीतों का महत्व अत्यधिक है, और यह एक ऐसा तत्व है जो संघ की पहचान को और भी मजबूत बनाता है।

समाज के प्रति संघ की प्रतिबद्धता

अरुण कुमार ने अपने वक्तव्य में यह भी स्पष्ट किया कि समाज की अपेक्षाओं पर खरा उतरना संघ की प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि संघ को समाज ने जो प्यार और सम्मान दिया है, वह उसके लिए एक बड़ी जिम्मेदारी है। आने वाले समय में संघ इस दिशा में और भी प्रयास करेगा, ताकि समाज की सेवा में वह और अधिक सक्षम हो सके।

संघ की यात्रा: एक निरंतरता

संघ की यात्रा एक निरंतरता है, जो समाज के उत्थान, जागरूकता और संगठन के माध्यम से आगे बढ़ती रही है। डॉ. हेडगेवार की विचारधारा आज भी उतनी ही प्रासंगिक है, जितनी पहले थी। संघ का यह संकल्प है कि वह समाज के हर वर्ग को साथ लेकर चलेगा, और सभी के कल्याण के लिए कार्य करेगा। इस प्रकार, संघ की स्थापना का मूल उद्देश्य समाज को संगठित करना और राष्ट्रभक्ति की भावना को जागृत करना है।

संघ की यह यात्रा न केवल एक संगठन की है, बल्कि यह एक विचारधारा की भी है, जो भारतीय संस्कृति और परंपराओं को संरक्षित करने की दिशा में निरंतर अग्रसर है। संघ का प्रत्येक कार्य समाज के उत्थान के लिए समर्पित है, और आने वाले वर्षों में भी यह प्रतिबद्धता बनी रहेगी।

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