रीवा में पुरानी परंपरा को लेकर विवाद, स्थानीय居民ों का प्रदर्शन
रीवा जिले में विजयादशमी के अवसर पर एक पुरानी परंपरा को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया है। इस परंपरा के तहत दशहरे के दिन मां की झांकी निकालने की रस्म निभाई जाती थी, जो अब पिछले तीन वर्षों से प्रशासन द्वारा रोकी गई है। स्थानीय निवासी इस निर्णय से नाखुश हैं और उन्होंने अपनी नाराजगी भाजपा विधायक दिव्यराज सिंह के समक्ष व्यक्त की है।
यह पूरा मामला दशहरा मैदान तक मां की झांकी निकालने की परंपरा से जुड़ा हुआ है। स्थानीय लोगों का कहना है कि राजा-महाराजाओं के समय से चली आ रही यह परंपरा अब एक नीति के तहत रोक दी गई है। प्रशासन के अनुसार, यह कदम शहर के ट्रैफिक प्रबंधन को बेहतर करने के लिए उठाया गया था। लेकिन स्थानीय लोग इसे अपनी सांस्कृतिक धरोहर से जोड़कर देख रहे हैं और इसकी बहाली की मांग कर रहे हैं।
परंपरा पर रोक के कारण और प्रभाव
पिछले तीन वर्षों से, जब भी विजयादशमी का पर्व आता है, झांकियों को कॉलेज चौराहे पर ही रोक दिया जाता है। इससे दशहरा मैदान तक पहुंचने की परंपरा बाधित हो गई है। प्रशासन का तर्क है कि यह निर्णय शहर में ट्रैफिक के दबाव को कम करने के लिए लिया गया है। लेकिन स्थानीय निवासियों का कहना है कि इससे उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची है।
स्थानीय निवासी वामन गोपाल गुप्ता का कहना है कि उन्होंने इस मुद्दे पर सिरमौर विधायक दिव्यराज सिंह से मुलाकात की है। उन्होंने विधायक से झांकियों को फिर से दशहरा मैदान तक जाने की अनुमति देने की मांग की है। हालांकि, दशहरा उत्सव समिति के साथ उनकी बातचीत अभी तक स्पष्ट परिणाम नहीं ला पाई है, जिससे लोगों में और भी नाराजगी उत्पन्न हो रही है।
स्थानीय निवासियों की मांगें और प्रशासन की प्रतिक्रिया
स्थानीय निवासी अपनी पुरानी परंपरा को जीवित रखने के लिए प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं। उनका कहना है कि यह परंपरा केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक धरोहर का भी हिस्सा है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर प्रशासन उनकी मांगों को नहीं सुनता है, तो वे और भी बड़े स्तर पर प्रदर्शन करने के लिए तैयार हैं।
- विजयादशमी पर झांकी निकालने की परंपरा को बहाल करने की मांग।
- स्थानीय विधायक से अनुमति दिलाने की अपील।
- दशहरा उत्सव समिति से स्पष्ट जवाब की मांग।
स्थानीय लोगों का मानना है कि प्रशासन को उनकी भावनाओं का सम्मान करना चाहिए और परंपरा को एक बार फिर से शुरू करने का प्रयास करना चाहिए। वे यह भी चाहते हैं कि प्रशासन इस मामले में जल्द से जल्द कोई ठोस कदम उठाए।
भविष्य की संभावनाएं और निष्कर्ष
इस विवाद ने रीवा में सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दों को एक बार फिर से उजागर कर दिया है। स्थानीय निवासियों की इस परंपरा को लेकर की गई मांगें यह दर्शाती हैं कि लोग अपने सांस्कृतिक मूल्यों को बचाने के लिए कितने गंभीर हैं। अगर प्रशासन जल्दी ही इस मुद्दे का समाधान नहीं करता है, तो यह स्थिति और भी बिगड़ सकती है।
इस मामले में प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वे स्थानीय लोगों की भावनाओं का ध्यान रखते हुए उचित कदम उठाएं। साथ ही, यह भी जरूरी है कि वे इस परंपरा को फिर से जीवित करने के लिए एक उचित योजना तैयार करें, जिससे लोगों की धार्मिक भावना को सम्मान मिल सके।