ओरछा में भव्य श्रीरामलीला उत्सव का आगाज
मध्य प्रदेश के ओरछा में स्थित पवित्र श्रीराम राजा सरकार मंदिर प्रांगण में तीन दिवसीय “श्रीरामलीला उत्सव” का भव्य शुभारंभ हुआ है। यह उत्सव भारतीय संस्कृति और मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के आदर्श चरित्र को प्रदर्शित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। पहले दिन की प्रस्तुतियों में श्रीराम और सुग्रीव के बीच की मित्रता के प्रसंग को विशेष रूप से दर्शाया गया, जिसे दर्शकों ने काफी सराहा।
इस भव्य उत्सव का आयोजन श्रीरामचंद्र पथ गमन न्यास, मध्यप्रदेश शासन के संस्कृति विभाग और जिला प्रशासन निवाड़ी के संयुक्त तत्वावधान में किया गया है। उद्घाटन समारोह में कलेक्टर जमुना भिड़े, पुलिस अधीक्षक डॉ. राय सिंह नरवरिया और अपर कलेक्टर रोहन सक्सेना सहित कई प्रशासनिक अधिकारी और स्थानीय नागरिक उपस्थित रहे।
उत्सव का प्रारंभ और मुख्य आकर्षण
दीप प्रज्वलन और मंगलाचारण के साथ इस उत्सव का आरंभ हुआ। पहले दिन दर्शकों को “शबरी प्रसंग”, “श्रीराम-सुग्रीव मैत्री”, “बालि वध” और “हनुमान का लंका गमन” जैसे महत्वपूर्ण प्रसंगों से परिचित कराया गया। जब मंच पर श्रीराम और सुग्रीव की अग्नि साक्षी मित्रता का दृश्य जीवंत हुआ, तब पूरा वातावरण राममय हो उठा। शंखध्वनि, धूप-दीप की सुगंध और शास्त्रीय संगीत की धुनें दर्शकों को त्रेतायुग का अनुभव करा रही थीं।
- शबरी प्रसंग: शबरी की श्रद्धा और भक्ति को दर्शाने वाला प्रसंग।
- श्रीराम-सुग्रीव मैत्री: मित्रता का आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करता है।
- बालि वध: एक गंभीर और प्रेरणादायक कहानी।
- हनुमान का लंका गमन: हनुमान की साहस और भक्ति को दर्शाता है।
स्थानीय नागरिकों की भागीदारी और उत्साह
उत्सव में स्थानीय नागरिकों की भागीदारी ने इस आयोजन को और भी दिलचस्प बना दिया है। दर्शकों की भरपूर भीड़ ने इस कार्यक्रम को देखने के लिए उत्साह से हिस्सा लिया। यहां उपस्थित सभी लोग श्रीराम के आदर्शों को जीने के लिए प्रेरित हो रहे थे। इस प्रकार के आयोजनों से न केवल संस्कृति को बढ़ावा मिलता है, बल्कि समाज में एकता और भाईचारे की भावना भी मजबूत होती है।
उत्सव के दौरान विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाएगा, जिसमें स्थानीय कलाकार अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करेंगे। इसके अलावा, इस उत्सव के माध्यम से युवा पीढ़ी को भारतीय संस्कृति और परंपराओं से जुड़ने का अवसर मिलेगा। इस प्रकार का आयोजन न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह सामाजिक समरसता का भी प्रतीक है।
निष्कर्ष
ओरछा का यह “श्रीरामलीला उत्सव” निश्चित रूप से एक अद्वितीय अनुभव है जो न केवल धार्मिक आस्था को बढ़ावा देता है, बल्कि भारतीय संस्कृति के मूल्यों को भी उजागर करता है। इस प्रकार के आयोजनों से स्थानीय संस्कृति को संजीवनी मिलती है और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मार्गदर्शन का कार्य करती है। ऐसे आयोजनों में भाग लेकर हम सभी को अपने महान सांस्कृतिक धरोहर को संजोए रखने का प्रयास करना चाहिए।
इस उत्सव का आनंद लेने के लिए सभी को आमंत्रित किया गया है, और यह तीन दिन तक चलेगा। इस दौरान विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जो सभी को एकत्रित करने का कार्य करेंगे।