इंदौर की युवती निशिता गौर ने परिवार पर गंभीर आरोप लगाए
इंदौर के परदेशीपुरा इलाके की निवासी निशिता गौर ने हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो साझा करके अपने परिवार के खिलाफ कई गंभीर आरोप लगाए हैं। निशिता का कहना है कि उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया है और उसके साथ जादू-टोना किया गया है। इस वीडियो के माध्यम से निशिता ने अपने माता-पिता, चाचा-चाची और मामा पर आरोप लगाते हुए दावा किया है कि उन्हें मानसिक रूप से बीमार बताकर कई महीनों तक घर में बंद रखा गया।
युवती ने यह भी बताया कि उसके माता-पिता ने उसे मनोवैज्ञानिक डॉक्टर के पास ले जाकर तरह-तरह की दवाइयां दीं, जिससे उसकी मानसिक स्थिति और भी बिगड़ गई। निशिता का कहना है कि यह सब उसके परिवार की ओर से किया गया, ताकि वह अपनी स्वतंत्रता को खो दे। वह अब इस स्थिति से बाहर निकलने की कोशिश कर रही है और अपने अनुभव को साझा कर रही है।
हिंदूवादी समूहों के साथ विवाद और गिरफ्तारी
निशिता ने अपनी वीडियो में यह भी कहा कि उसने सामाजिक गतिविधियों में भाग लेना शुरू किया, जिसके परिणामस्वरूप हिंदूवादी समूहों ने उसके साथ मारपीट की। इस मामले में उसके साथी सौरभ बनर्जी और अन्य लोग भी फंस गए। बाद में देवास पुलिस ने सौरभ को धर्म परिवर्तन से जुड़े प्रकरण में गिरफ्तार कर लिया और उसे जेल भेज दिया। यह मामला इस बात का संकेत है कि धार्मिक और सामाजिक मुद्दों पर चर्चा करने वाले युवा किस प्रकार की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
निशिता और उसके साथी कुछ माह पहले इंदौर प्रेस क्लब में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करने पहुंचे थे, जहां उन्होंने हिंदूवादी समूहों के खिलाफ अपनी बात रखी। लेकिन इस दौरान वहां हंगामा हुआ और सौरभ व अन्य साथियों के साथ मारपीट की गई। इस घटना के बाद निशिता भूमिगत हो गई थी, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सामाजिक मुद्दों पर चर्चा करना अब कितना जोखिम भरा हो गया है।
झूठे आरोपों का सामना कर रही निशिता
निशिता ने अपने वीडियो में कहा कि उसके ऊपर और उसके साथी सौरभ पर लगाए गए सभी आरोप झूठे हैं। उनका दावा है कि उन्हें झूठे मामलों में फंसाया गया और उनके साथ अन्याय हुआ। फिलहाल, सौरभ बंदी है और उसकी जमानत को लेकर कोई सकारात्मक जानकारी नहीं आई है। निशिता ने कहा कि वह न्याय की मांग कर रही है और चाहती है कि उसके मामले पर गंभीरता से विचार किया जाए।
इस पूरी स्थिति ने यह सवाल खड़ा किया है कि क्या हमारे समाज में धार्मिक और सामाजिक मुद्दों पर चर्चा करने वाले युवाओं को सही तरीके से सुना जा रहा है या नहीं। निशिता की कहानी उस संघर्ष का प्रतीक है जो युवा समाज के लिए स्वतंत्रता और न्याय की दिशा में चल रहा है।
बजरंग दल का हमला और सुरक्षा की कमी
एक और घटना में, इंदौर के प्रेस क्लब में प्रेस कॉन्फ्रेंस करने आए 8 युवक-युवतियों के साथ बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने मारपीट की। इन पर धर्म परिवर्तन करवाने का आरोप लगाया गया और युवतियों के साथ भी धक्का-मुक्की की गई। यह घटना इस बात का संकेत है कि धार्मिक कट्टरता और असहिष्णुता समाज में बढ़ती जा रही है, जिससे युवा वर्ग को खतरा हो सकता है।
इन सभी घटनाओं ने यह स्पष्ट कर दिया है कि हमारे समाज में विचारों की स्वतंत्रता पर गंभीर खतरे मंडरा रहे हैं। युवा वर्ग को अपनी आवाज उठाने की आवश्यकता है, ताकि वे अपनी समस्याओं को समाज और सरकार के सामने रख सकें। निशिता की कहानी और अन्य घटनाएँ इस दिशा में एक महत्वपूर्ण उत्प्रेरक बन सकती हैं।
निष्कर्ष
इंदौर की निशिता गौर का मामला एक ऐसे सामाजिक मुद्दे को उजागर करता है, जो न केवल व्यक्तिगत बल्कि सामूहिक स्तर पर भी महत्वपूर्ण है। यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हम एक ऐसे समाज में जी रहे हैं जहां विचारों की स्वतंत्रता की कोई कीमत नहीं है। युवा वर्ग को अपने अधिकारों के लिए खड़ा होना होगा और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में काम करना होगा।
आखिरकार, यह एक ऐसा समय है जब हर युवा को अपनी आवाज उठाने और अपने अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ने की जरूरत है। निशिता की कहानी हमें यह सिखाती है कि संघर्ष में हमेशा एक उम्मीद होती है।