हरदा जिले की सिराली नगर परिषद में राजनीतिक गतिरोध जारी
हरदा जिले की सिराली नगर परिषद में अध्यक्ष और पार्षदों के बीच का गतिरोध कम होने का नाम नहीं ले रहा है। इस मामले ने अब एक नया मोड़ ले लिया है, जब सोमवार को नगर परिषद के 13 पार्षद अपना इस्तीफा देने हरदा कलेक्ट्रेट पहुंचे। यह घटनाक्रम स्थानीय राजनीति में एक बड़ा उलटफेर माना जा रहा है, जिसका असर आगामी चुनावों पर भी पड़ सकता है।
पार्षदों ने कांग्रेस विधायक डॉ. आर.के. दोगने और अन्य स्थानीय नेताओं से मुलाकात की। इस दौरान पार्षदों ने नगर परिषद अध्यक्ष अनीता अग्रवाल की कार्यशैली पर असंतोष व्यक्त किया। पिछले महीने 24 सितंबर</strong को भी इन पार्षदों ने भाजपा जिलाध्यक्ष राजेश सिंह वर्मा से मिलकर अपनी चिंताओं को साझा किया था।
अविश्वास प्रस्ताव और कलेक्टर की भूमिका
कांग्रेस विधायक डॉ. आर.के. दोगने ने बताया कि सिराली नगर परिषद के 10 भाजपा और 3 कांग्रेस पार्षद अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए थे। उन्होंने इन पार्षदों को कलेक्टर से मिलवाने का कार्य किया। कलेक्टर ने इस मामले की गंभीरता को समझते हुए अपर कलेक्टर (एडीएम) पुरुषोत्तम कुमार को पार्षदों का सत्यापन करने के निर्देश दिए हैं। सत्यापन के बाद नियमानुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी।
इस घटनाक्रम ने नगर परिषद की राजनीति में हलचल मचा दी है। पार्षदों का यह कदम उनके बीच की असंतोष और अध्यक्ष के खिलाफ बढ़ती नाराजगी को दर्शाता है। ऐसे में अब यह देखना होगा कि कलेक्टर के निर्देशों के बाद क्या कोई ठोस कार्रवाई होती है या यह मामला यथावत बना रहता है।
पार्षद पायल कुशवाहा की संभावनाएं
सूत्रों के अनुसार, नगर परिषद सिराली के वार्ड 9 से निर्विरोध निर्वाचित पार्षद पायल कुशवाहा को अध्यक्ष बनाने की सहमति दी गई है। यदि अध्यक्ष का इस्तीफा होता है, तो पायल अध्यक्ष पद की सबसे प्रबल दावेदार मानी जा रही हैं। यह स्थिति इस बात का संकेत देती है कि नगर परिषद के भीतर अब नई नेतृत्व की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
हालांकि, वर्तमान अध्यक्ष को नए नियमों के अनुसार हटाना आसान नहीं होगा। कुछ सूत्रों का कहना है कि पार्षदों और अध्यक्ष के बीच कमीशन को लेकर चल रही लड़ाई के कारण यह विवाद और भी बढ़ गया है। ऐसे में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि आगे का घटनाक्रम किस दिशा में बढ़ता है।
भविष्य की राजनीति पर प्रभाव
सिराली नगर परिषद में हो रहे इस राजनीतिक घटनाक्रम का प्रभाव न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि प्रदेश की राजनीति पर भी पड़ सकता है। पार्षदों का यह समर्पण और संघर्ष दर्शाता है कि वे अपने अधिकारों के प्रति सचेत हैं और किसी भी प्रकार के अन्याय को बर्दाश्त नहीं करेंगे।
इस मामले को लेकर स्थानीय जनता की भी निगाहें टिकी हुई हैं। लोग यह जानने के इच्छुक हैं कि क्या पार्षदों की यह लड़ाई उनकी आवाज को और मजबूत करेगी या यह एक अस्थायी हल होगा। आगामी दिनों में इस मामले की गहराई में जाने की आवश्यकता है, जिससे यह स्पष्ट हो सके कि सिराली नगर परिषद की राजनीति में आगे क्या बदलाव होंगे।
नगर परिषद की राजनीति में इस तरह के घटनाक्रम अक्सर देखने को मिलते हैं, लेकिन यह देखना होगा कि क्या इस बार कुछ ठोस बदलाव होते हैं या यह केवल एक नाटक साबित होगा।