Dussehra: उज्जैन में रावण दहन का विरोध, बोले- कोर्ट जाएंगे: ब्राह्मण समाज ने दशहरा मैदान पर फोड़ी काली मटकियां, कहा- विधि और शास्त्र सम्मत नहीं



उज्जैन में रावण दहन के खिलाफ ब्राह्मण समाज का विरोध उज्जैन में दशहरा पर्व से पूर्व अखिल भारतीय युवा ब्राह्मण समाज ने रावण दहन के खिलाफ एक जोरदार विरोध प्रदर्शन…

Dussehra: उज्जैन में रावण दहन का विरोध, बोले- कोर्ट जाएंगे: ब्राह्मण समाज ने दशहरा मैदान पर फोड़ी काली मटकियां, कहा- विधि और शास्त्र सम्मत नहीं

उज्जैन में रावण दहन के खिलाफ ब्राह्मण समाज का विरोध

उज्जैन में दशहरा पर्व से पूर्व अखिल भारतीय युवा ब्राह्मण समाज ने रावण दहन के खिलाफ एक जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। समाज के सदस्य दशहरा मैदान पर एकत्रित हुए और रावण के पुतले के सामने नारेबाजी की। उन्होंने अपने साथ लाई काली मटकियां फोड़कर अपनी नाराजगी जाहिर की। यह प्रदर्शन न केवल ब्राह्मण समाज की भावनाओं को व्यक्त करता है, बल्कि समाज के अस्तित्व और सम्मान की रक्षा के लिए उनकी लम्बी लड़ाई का भी एक हिस्सा है।

इस आयोजन में महाकाल मंदिर के पुजारी के साथ-साथ खंडेलवाल और राजपूत समाज के प्रतिनिधि भी शामिल हुए। ब्राह्मण समाज ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि रावण दहन की परंपरा को बंद नहीं किया गया, तो वे इस आंदोलन को देशव्यापी स्तर पर फैलाने का निर्णय लेंगे। उनकी मांगें स्पष्ट हैं, और वे इसे एक गंभीर मुद्दा मानते हैं।

रावण दहन के खिलाफ प्रदर्शन का उद्देश्य

बुधवार को दशहरा पर्व के मुख्य आयोजन से पहले, अखिल भारतीय युवा ब्राह्मण समाज के कार्यकर्ता दशहरा मैदान पहुंचे। वहां उन्होंने रावण के पुतले के सामने रावण के जयकारे लगाए और काली मटकियां फोड़कर रावण दहन को रोकने की मांग की। संगठन का मानना है कि रावण दहन अब सिर्फ एक मनोरंजन का साधन बन चुका है, जबकि यह ब्राह्मण समाज के अस्तित्व और सम्मान पर एक गंभीर चोट है।

ब्राह्मण समाज के प्रतिनिधि महेश पुजारी ने कहा कि यह परंपरा अब धार्मिकता के बजाय राजनीति और मनोरंजन का आधार बन चुकी है। उन्होंने मांग की कि रावण दहन की इस परंपरा को तुरंत बंद किया जाए। उनका कहना है कि यदि ऐसा नहीं होता है, तो समाज हर स्तर पर इसका विरोध करेगा।

पहले भी की गई हैं मांगें

यह पहला अवसर नहीं है जब ब्राह्मण समाज ने रावण दहन के खिलाफ आवाज उठाई है। इससे पूर्व उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और मुख्यमंत्री मोहन यादव को पत्र लिखकर रावण दहन पर रोक लगाने की मांग की थी। समाज ने उज्जैन सहित कई अन्य स्थानों पर रावण के गुणगान करते हुए पोस्टर भी लगाए थे। उन्होंने इसे शास्त्रसम्मत परंपरा के बजाय राजनीति और मनोरंजन का साधन करार दिया।

महेश पुजारी ने यह भी कहा कि रावण दहन विधि और शास्त्र सम्मत नहीं है और समाज को न्याय मिलना चाहिए। समाज का यह भी मानना है कि जैसे इंदौर में रघुवंशी समाज ने हाईकोर्ट में पुतला दहन पर रोक लगवाई थी, वैसे ही वे भी अपने सम्मान की रक्षा के लिए न्यायालय की शरण लेंगे।

समाज का संकल्प और चेतावनी

ब्राह्मण समाज ने यह स्पष्ट किया है कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं, तो वे आंदोलन को और बड़े स्तर पर करने के लिए तैयार हैं। यह आंदोलन न केवल उज्जैन में, बल्कि पूरे देश में फैल सकता है। समाज का यह संकल्प उनके एकजुटता और अपने अधिकारों के प्रति गंभीरता को दर्शाता है।

ब्राह्मण समाज के कार्यकर्ताओं ने एकजुटता के साथ यह संदेश दिया है कि वे अपने सम्मान की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाएंगे। रावण दहन की परंपरा को खत्म करने की उनकी मांग अब केवल एक स्थानीय मुद्दा नहीं रह गई है, बल्कि यह समाज के अस्तित्व और पहचान से जुड़ा हुआ एक राष्ट्रीय आंदोलन बनता जा रहा है।

अखिल भारतीय युवा ब्राह्मण समाज के इस आंदोलन से यह स्पष्ट होता है कि समाज अपनी सांस्कृतिक पहचान और परंपराओं की सुरक्षा के लिए सख्त कदम उठाने को तैयार है। आने वाले समय में इस आंदोलन के विस्तार की संभावना को देखते हुए यह देखना दिलचस्प होगा कि समाज की यह आवाज कितनी प्रभावी होती है।

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