Classical Vocalist Pt Chhannulal Mishra का 89 वर्ष की आयु में निधन, भक्ति और पुरब अंग गायकी में थे गहरे जुड़े



पंडित छन्नूलाल मिश्रा, भक्ति और पूर्व अंग गायकी में रचे-बसे शास्त्रीय गायक, 89 वर्ष की आयु में निधन भारतीय शास्त्रीय संगीत की दुनिया का एक बड़ा नाम भारतीय शास्त्रीय संगीत…

Classical Vocalist Pt Chhannulal Mishra का 89 वर्ष की आयु में निधन, भक्ति और पुरब अंग गायकी में थे गहरे जुड़े






पंडित छन्नूलाल मिश्रा, भक्ति और पूर्व अंग गायकी में रचे-बसे शास्त्रीय गायक, 89 वर्ष की आयु में निधन


भारतीय शास्त्रीय संगीत की दुनिया का एक बड़ा नाम

भारतीय शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में एक अमिट छाप छोड़ने वाले पंडित छन्नूलाल मिश्रा का निधन 89 वर्ष की आयु में हुआ। उनका निधन भारतीय संगीत प्रेमियों के लिए एक अपूरणीय क्षति है। पंडित मिश्रा का जीवन भक्ति संगीत और पूर्व अंग गायकी से भरा हुआ था, जिसमें उन्होंने अपने अद्वितीय गायन शैली से लाखों लोगों का दिल जीता।

पंडित छन्नूलाल मिश्रा का जन्म 1936 में उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में हुआ था। उन्होंने अपने संगीत करियर की शुरुआत बचपन में ही कर दी थी, जब उन्होंने अपने गुरु से गायन की बारीकियों को सीखा। उनका संगीत में गहरा विश्वास था और वे हमेशा मानते थे कि संगीत केवल एक कला नहीं, बल्कि एक साधना है।

स्वास्थ्य में तेजी से गिरावट और अंतिम समय

पंडित मिश्रा के स्वास्थ्य में हाल के दिनों में तेजी से गिरावट आई थी। उन्हें बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के सायर सुंदरलाल अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहाँ उनकी स्थिति बेहद गंभीर हो गई थी। उनके निधन की खबर ने उनके प्रशंसकों और संगीत जगत में शोक की लहर दौड़ा दी।

उनकी गायकी में भक्ति रस की गहराई थी, जिससे वे श्रोताओं के दिलों को छू जाते थे। उनकी आवाज़ में एक अद्वितीय मिठास थी, जो सुनने वालों को मंत्रमुग्ध कर देती थी। उनका योगदान भारतीय संगीत की धारा में सदैव याद रखा जाएगा।

संगीत जगत में योगदान

पंडित छन्नूलाल मिश्रा ने अपने करियर में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल कीं। उन्होंने कई शास्त्रीय संगीत समारोहों में भाग लिया और अपनी गायकी से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया। उनके द्वारा गाए गए भजन और ठुमरी आज भी संगीत प्रेमियों के बीच लोकप्रिय हैं।

उनके संगीत में भक्ति का गुण था, जो हर गाने में स्पष्ट रूप से झलकता था। उनकी गायकी का एक विशेष पहलू यह था कि वे हमेशा अपने श्रोताओं को जोड़ने में सक्षम थे। उनकी आवाज़ में एक जादुई गुण था, जो उन्हें एक अद्वितीय कलाकार बनाता था।

पंडित छन्नूलाल मिश्रा की विरासत

पंडित मिश्रा की विरासत केवल उनके संगीत तक ही सीमित नहीं है, बल्कि उनके द्वारा प्रेरित नई पीढ़ी के कलाकारों तक भी पहुँचती है। उन्होंने अपने शिष्यों को न केवल संगीत की तकनीक सिखाई, बल्कि उन्हें संगीत के प्रति एक गहरी समझ और प्रेम भी दिया। उनकी शिक्षाएँ और अनुभव संगीत जगत में हमेशा जीवित रहेंगे।

उनके निधन से शास्त्रीय संगीत का एक युग समाप्त हो गया है, लेकिन उनकी संगीत यात्रा और शिक्षाएँ हमेशा जीवित रहेंगी। पंडित छन्नूलाल मिश्रा का योगदान भारतीय संगीत की धारा में अमिट रहेगा। उनके प्रशंसक और शिष्य उन्हें हमेशा याद करेंगे।

अंतिम श्रद्धांजलि

पंडित छन्नूलाल मिश्रा के निधन पर संगीत जगत के कई प्रमुख कलाकारों और प्रशंसकों ने शोक व्यक्त किया है। उनकी याद में कई संगीत कार्यक्रम आयोजित किए जाने की योजना बनाई जा रही है, जहाँ उनके गाए भजनों और ठुमरी का प्रदर्शन किया जाएगा।

उनका जीवन और कार्य भारतीय शास्त्रीय संगीत के लिए एक प्रेरणा स्रोत रहेगा। पंडित मिश्रा का संगीत हमेशा हमारे दिलों में बसेगा, और उनकी आत्मा को शांति मिले, यही प्रार्थना है।


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