“Fixing खाद्य प्रणाली से 15 मिलियन मौतों और जलवायु आपदा को टालने का नुस्खा: वैज्ञानिकों का दावा”



15 मिलियन मौतों और जलवायु आपातकाल से बचने के लिए खाद्य प्रणाली में सुधार आवश्यक: वैज्ञानिकों का अध्ययन हाल ही में जारी एक रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है…

“Fixing खाद्य प्रणाली से 15 मिलियन मौतों और जलवायु आपदा को टालने का नुस्खा: वैज्ञानिकों का दावा”

15 मिलियन मौतों और जलवायु आपातकाल से बचने के लिए खाद्य प्रणाली में सुधार आवश्यक: वैज्ञानिकों का अध्ययन

हाल ही में जारी एक रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि खाद्य प्रणाली में तात्कालिक सुधार किए बिना जलवायु परिवर्तन के गंभीर प्रभावों से बचना संभव नहीं है। इस अध्ययन के अनुसार, एक ‘प्लैनेटरी हेल्थ डाइट’ अपनाने से हर साल करीब 15 मिलियन जानें बचाई जा सकती हैं, और कृषि से होने वाले उत्सर्जन में 15% की कमी लाई जा सकती है। यह सुझाव दिया गया है कि इस बदलाव से न केवल मानव कल्याण सुनिश्चित होगा, बल्कि पर्यावरणीय स्थिरता को भी बढ़ावा मिलेगा।

ईएटी-लैन्सेट कमीशन की इस रिपोर्ट का उद्देश्य वैश्विक खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करना और मानव स्वास्थ्य के साथ पर्यावरण की सुरक्षा को जोड़ना है। अध्ययन में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में खाद्य प्रणाली में सुधार एक महत्वपूर्ण कदम है। यदि इसे नजरअंदाज किया गया, तो जलवायु लक्ष्यों को पूरा करना कठिन हो जाएगा, भले ही मानवता स्वच्छ ऊर्जा की ओर बढ़े।

खाद्य प्रणाली में सुधार की आवश्यकता

रिपोर्ट में बताया गया है कि मौजूदा खाद्य प्रणाली में कई खामियां हैं, जिनका सीधा प्रभाव हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण पर पड़ता है। वर्तमान में, अन्य प्रकार के खाद्य पदार्थों की तुलना में मांस और डेयरी उत्पादों का अत्यधिक सेवन हो रहा है, जिससे न केवल स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं, बल्कि पर्यावरण भी प्रभावित हो रहा है।

  • अधिक मांस का सेवन उच्च रक्तचाप, हृदय रोग और टाइप 2 मधुमेह जैसी बीमारियों का कारण बनता है।
  • कृषि गतिविधियों से निकलने वाले ग्रीनहाउस गैसों का स्तर लगातार बढ़ रहा है।
  • विविधता की कमी और पारिस्थितिकी तंत्र का क्षय भी एक गंभीर समस्या है।

इस अध्ययन के प्रमुख लेखक, जोहन रॉकस्ट्रॉम, जो एक प्रसिद्ध पर्यावरण वैज्ञानिक हैं, ने कहा कि खाद्य प्रणाली में बदलाव न केवल जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करेगा, बल्कि यह वैश्विक स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि ‘प्लैनेटरी हेल्थ डाइट’ को अपनाने से न केवल पर्यावरण को लाभ होगा, बल्कि यह लोगों की जीवन शैली में भी सकारात्मक बदलाव लाएगा।

प्लैनेटरी हेल्थ डाइट की विशेषताएँ

रिपोर्ट में ‘प्लैनेटरी हेल्थ डाइट’ की कुछ मुख्य विशेषताओं का उल्लेख किया गया है, जो इसे स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए लाभकारी बनाती हैं। इस आहार में शामिल हैं:

  • कम से कम दूध और मांस का सेवन
  • विभिन्न प्रकार की सब्जियाँ और फल शामिल करना
  • अधिकतर पौधों पर आधारित आहार अपनाना
  • स्थानीय और मौसमी खाद्य पदार्थों का चयन करना

इस प्रकार का आहार न केवल स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह स्थायी कृषि प्रथाओं को भी बढ़ावा देता है। इसके परिणामस्वरूप, खाद्य उत्पादन में कमी के बिना प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण किया जा सकता है।

जलवायु परिवर्तन और खाद्य सुरक्षा का संबंध

जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि खाद्य सुरक्षा और पर्यावरणीय स्थिरता को एक साथ संबोधित करना आवश्यक है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर तत्काल कार्रवाई नहीं की गई, तो अगले कुछ दशकों में खाद्य उत्पादन और जलवायु दोनों पर गंभीर संकट आ सकता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि हम खाद्य प्रणाली में आवश्यक सुधार करते हैं, तो यह न केवल जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करेगा, बल्कि यह वैश्विक खाद्य सुरक्षा को भी सुनिश्चित करेगा। यह मानवता के लिए एक दीर्घकालिक समाधान है, जो हमारे भविष्य को सुरक्षित बनाने का काम करेगा।

निष्कर्ष

इस अध्ययन से स्पष्ट होता है कि खाद्य प्रणाली में सुधार करना केवल एक स्वास्थ्य मुद्दा नहीं है, बल्कि यह जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए एक आवश्यक कदम है। अगर हम सभी लोग मिलकर इस दिशा में कार्य करें, तो हम न केवल 15 मिलियन जानें बचा सकते हैं, बल्कि हमारे पर्यावरण को भी सुरक्षित रख सकते हैं।

इसलिए, हमें इस दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि हम आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ और सुरक्षित दुनिया सुनिश्चित कर सकें।

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