“Posters: हमारा त्योहार, अपने लोगों का आदर करें” – VHP ने कहा, हिंदू ट्र का समर्थन करना है



भोपाल में दीपावली के होर्डिंग्स ने बढ़ाई राजनीतिक चर्चा दीपावली के त्योहार से पहले, राजधानी भोपाल में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) द्वारा लगाए गए नए होर्डिंग्स ने राजनीतिक माहौल में…

“Posters: हमारा त्योहार, अपने लोगों का आदर करें” – VHP ने कहा, हिंदू ट्र का समर्थन करना है

भोपाल में दीपावली के होर्डिंग्स ने बढ़ाई राजनीतिक चर्चा

दीपावली के त्योहार से पहले, राजधानी भोपाल में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) द्वारा लगाए गए नए होर्डिंग्स ने राजनीतिक माहौल में हलचल पैदा कर दी है। इन होर्डिंग्स पर लिखा है, “अपना त्योहार, अपनों से व्यवहार” और “दीपावली की खरीदी उनसे करें, जो आपकी खरीदी से दीपावली मना सकें।” इन नारों ने राजनीतिक हलकों में चर्चाओं का नया सिलसिला शुरू कर दिया है। कुछ लोग इसे ‘अपनों से व्यवहार या दूसरों से बहिष्कार’ के रूप में देख रहे हैं, जबकि विपक्षी दलों ने इसे सामाजिक सद्भाव के लिए खतरा बताया है।

राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के नारे त्योहारों के सामाजिक सद्भाव को प्रभावित कर सकते हैं। विपक्षी दलों का कहना है कि त्योहारों का उद्देश्य सभी समुदायों को एक साथ लाना होना चाहिए, न कि किसी विशेष समुदाय के खिलाफ भेदभाव करना। इस संदर्भ में, विहिप के पदाधिकारियों ने अपने अभियान का बचाव किया है और इसे आर्थिक सहयोग और आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिए एक सकारात्मक पहल बताया है।

विहिप का उद्देश्य और प्रतिक्रिया

विहिप के प्रचार प्रमुख जितेंद्र चौहान ने कहा कि इन होर्डिंग्स का उद्देश्य किसी के खिलाफ नहीं, बल्कि अपने समाज के छोटे व्यापारियों और दुकानदारों को प्रोत्साहित करना है। उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि दीपावली के इस अवसर पर हिंदू व्यापारी और रेहड़ी-पटरी वाले भी खुशहाल रहें। इसलिए लोगों से अपील की गई है कि वे अपने समाज के लोगों से ही खरीदारी करें।”

चौहान ने यह भी स्पष्ट किया कि यह पहल किसी समुदाय के विरोध में नहीं है, बल्कि आर्थिक सहयोग और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए की गई है। उन्होंने कहा, “हमारा उद्देश्य समाज के भीतर एकता और सहयोग को बढ़ाना है। हम चाहते हैं कि लोग एक-दूसरे का समर्थन करें और अपने छोटे व्यवसायों को आगे बढ़ाने में मदद करें।”

सामाजिक दृष्टिकोण और विवाद

हाल के महीनों में त्योहारों के दौरान इस तरह के नारों ने कई बार बहस को जन्म दिया है। नवरात्र के दौरान ‘गरबा जिहाद’ जैसे अभियान के बाद, अब दीपावली से पहले यह नया पोस्टर अभियान चर्चा का केंद्र बन गया है। विपक्षी दलों का कहना है कि इस तरह के नारों से समाज में विभाजन की भावना पैदा हो सकती है।

विश्लेषकों का मानना है कि त्योहारों को हमेशा सामाजिक सद्भाव का माध्यम होना चाहिए। इस तरह के नारे समाज में विभाजन नहीं बल्कि एकता को बढ़ावा देने के लिए होने चाहिए। ऐसे समय में जब देश में कई चुनौतियाँ हैं, त्योहारों का उद्देश्य सभी समुदायों को एक साथ लाना होना चाहिए।

राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया

विपक्ष के नेताओं ने इस मामले में तीखी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि इस तरह के नारों से समाज में नफरत और भेदभाव को बढ़ावा मिलता है। उन्होंने कहा कि यह नारे केवल राजनीतिक लाभ के लिए लगाए गए हैं, जो समाज को और अधिक विभाजित कर सकते हैं।

इस बीच, स्थानीय व्यापारियों ने भी इस पहल पर मिश्रित प्रतिक्रिया दी है। कुछ व्यापारियों ने इसे सकारात्मक कदम बताया है, जबकि अन्य का कहना है कि इससे व्यापार में भेदभाव पैदा हो सकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि सभी व्यापारियों को समान रूप से अवसर मिलना चाहिए, चाहे वे किसी भी समुदाय के हों।

समाज में एकता का संदेश

इस विवाद के बीच, कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने यह सुझाव दिया है कि त्योहारों का असली उद्देश्य एकता और भाईचारे को बढ़ावा देना है। उन्होंने कहा कि हमें अपने समाज के भीतर आपसी सहयोग और समर्थन को बढ़ावा देना चाहिए, न कि किसी विशेष समूह के खिलाफ भेदभाव करना चाहिए।

उन्हें विश्वास है कि यदि समाज एकजुट होकर काम करेगा, तो हम सभी के लिए एक बेहतर भविष्य का निर्माण कर सकते हैं। इस प्रकार, दीपावली जैसे त्योहार हमें एकजुट होकर मनाने का अवसर प्रदान करते हैं और हमें अपने सामाजिक बंधनों को मजबूत करने की दिशा में काम करना चाहिए।

इस प्रकार, भोपाल में लगाए गए विहिप के होर्डिंग्स ने न केवल व्यापारियों के लिए एक नई दिशा दिखाई है, बल्कि राजनीतिक और सामाजिक विमर्श में भी एक नई बहस को जन्म दिया है। अब देखने वाली बात यह होगी कि इस पर राजनीतिक दल और समाज किस तरह की प्रतिक्रिया देते हैं और कैसे त्योहारों का माहौल इस विवाद से प्रभावित होता है।

लेखक –