दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता का बड़ा फैसला: दीवाली पर हरी पटाखों की अनुमति की मांग
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने घोषणा की है कि उनकी सरकार दीवाली के अवसर पर प्रमाणित हरी पटाखों को अनुमति देने के लिए सुप्रीम कोर्ट से अनुमति मांगेगी। यह कदम त्योहार की खुशियों और पर्यावरण की सुरक्षा के बीच संतुलन बनाने के लिए उठाया जा रहा है। यह आवेदन दिल्ली-एनसीआर में चल रहे पटाखों के प्रतिबंध के मामले पर 8 अक्टूबर को होने वाली सुनवाई से पहले आया है।
पटाखों के प्रतिबंध का मामला: सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
दिल्ली में पिछले कुछ वर्षों से वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन चुका है, और खासकर दीवाली के समय पटाखों के कारण प्रदूषण में और इजाफा होता है। इसी को ध्यान में रखते हुए, दिल्ली सरकार ने पिछले साल पटाखों पर प्रतिबंध लगाया था। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि “हम समझते हैं कि दीवाली का त्योहार सभी के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन हमें पर्यावरण की सुरक्षा भी सुनिश्चित करनी है।”
हरी पटाखों के फायदे: क्या हैं उनके लाभ?
हरित पटाखे, जिन्हें हरी पटाखे भी कहा जाता है, ऐसे पटाखे होते हैं जो कम धुआं पैदा करते हैं और यह पर्यावरण के लिए कम हानिकारक होते हैं। इन पटाखों में सल्फर और अन्य हानिकारक रसायनों की मात्रा कम होती है। इसके कुछ प्रमुख लाभ इस प्रकार हैं:
- कम ध्वनि प्रदूषण: हरी पटाखे पारंपरिक पटाखों की तुलना में कम शोर करते हैं।
- कम वायु प्रदूषण: ये पटाखे कम धुएं का उत्सर्जन करते हैं, जिससे वायु गुणवत्ता में सुधार होता है।
- सुरक्षित विकल्प: ये पटाखे स्वास्थ्य के लिए कम हानिकारक होते हैं, खासकर बच्चों और जानवरों के लिए।
सरकार का लक्ष्य: पर्यावरण और उत्सव का संतुलन
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि “हमारी सरकार का लक्ष्य है कि हम लोगों को दीवाली का जश्न मनाने का मौका दें, लेकिन साथ ही हमें यह भी सुनिश्चित करना है कि हम अपने पर्यावरण का ध्यान रखें।” उन्होंने कहा कि “हम हरी पटाखों की अनुमति देकर पर्यावरण की सुरक्षा के साथ-साथ उत्सव की खुशियों को भी जीवित रखना चाहते हैं।”
सामाजिक प्रतिक्रिया: नागरिकों की राय
इस निर्णय पर दिल्ली के नागरिकों के बीच विभिन्न प्रतिक्रियाएं आई हैं। कुछ लोगों का मानना है कि हरी पटाखों को अनुमति देना एक अच्छा कदम है, जबकि अन्य का कहना है कि कोई भी पटाखा पर्यावरण के लिए हानिकारक होता है। एक स्थानीय निवासी ने कहा, “अगर हरी पटाखे कम ध्वनि और धुएं का उत्सर्जन करते हैं, तो यह बेहतर है। हम दीवाली मनाना चाहते हैं, लेकिन पर्यावरण की चिंता भी करते हैं।” वहीं, कुछ नागरिकों ने कहा कि पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध ही सही समाधान है।
अंत में: दीवाली का जश्न और पर्यावरण की रक्षा
दिल्ली सरकार का यह निर्णय निश्चित रूप से एक महत्वपूर्ण कदम है जो त्योहार की खुशियों और पर्यावरण की रक्षा के बीच संतुलन बनाने की कोशिश कर रहा है। सरकार अब सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का इंतजार कर रही है, जो इस मामले में अंतिम फैसला देगा। इस निर्णय के बाद, हम देखेंगे कि क्या दिल्ली के लोग हरी पटाखों का आनंद ले पाएंगे या फिर उन्हें फिर से सिर्फ प्रतिबंधित पटाखों के साथ रहना होगा।