बड़ी सड़क पर अनफिट बस का हादसा: भोपाल में एक अनफिट बस के हादसे ने कई सवाल उठाए हैं। बस की स्थिति और रजिस्ट्रेशन की जानकारी के बावजूद, यह हाईवे पर चल रही थी। इस हादसे में एक युवा चिकित्सक, आयशा, की मौत हो गई। प्रशासन की लापरवाही के चलते ऐसे हादसे होते हैं और सरकार बाद में जाग उठती है।
सोमवार को भोपाल में एक अनफिट बस ने कई निर्दोष लोगों को कुचल दिया। इस हादसे में आयशा की मौत हो गई, जो कुछ ही दिनों में शादी करने वाली थी। शादी की तैयारियों के बीच उनके घर में शोक का माहौल है।
यदि अस्पताल में आग लगती है, पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट होता है या सड़क पर लाल बत्ती पर खड़े लोगों की जान जाती है, तो इन सभी घटनाओं के पीछे प्रशासन की लापरवाही होती है।
प्रशासनिक लापरवाही के कारण, ऐसे मामलों में सरकार हमेशा अच्छी शासन व्यवस्था के मॉडल की दुहाई देती है, लेकिन इसके बाद भी हादसे होते रहते हैं। प्रशासन के इस लापरवाह रवैये की वजह से ऐसे निर्देश कभी धरातल पर नहीं उतरते।
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प्रयागराज महाकुंभ के दौरान इस साल 550 से ज्यादा हादसे हुए, जिनमें से 192 लोगों की असामयिक मौत हुई। ये हादसे किसी एक दिन में नहीं हुए, बल्कि डेढ़ महीने के अंदर हुए, लेकिन परिवहन विभाग ने इन्हें रोकने की कोई कोशिश नहीं की।
भोपाल के हालिया हादसे की प्रारंभिक जांच में भोपाल के डिविजनल कमिश्नर संजीव सिंह ने इसे प्रशासनिक लापरवाही माना है। इस घटना की पुनरावृत्ति होती रहती है, और अधिकारी जांच के नाम पर निलंबित होते हैं, फिर कुछ दिन बाद बहाल कर दिए जाते हैं।
हर जिले में बगैर रिश्वत के लाइसेंस नहीं बनते, और ऑनलाइन कार्यों में भी विफलता देखने को मिल रही है। ऐसे में, जब अनफिट बसें सड़कों पर चल रही हैं और सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही, तो अच्छी शासन व्यवस्था का दावा कमजोर पड़ता है।
यदि समय पर निर्देशों का पालन किया जाए और प्रशासनिक सख्ती से कार्रवाई की जाए, तो ऐसे हादसे रुक सकते हैं और शासन व्यवस्था का दावा भी मजबूत हो सकता है। पूरे राज्य को इस दिन का इंतजार है।