बाघ के हमले में ग्रामीण की मौत: मंगुराहा वन क्षेत्र में बढ़ा खतरा
वाल्मीकि टाइगर रिजर्व से सटे मंगुराहा वन परिक्षेत्र के कैरी खेखरिया टोला गांव में बुधवार देर शाम को एक दर्दनाक घटना सामने आई है। यहां पर एक बाघ ने 61 वर्षीय किशुन महतो पर हमला कर दिया, जिससे उनकी मौत हो गई। इस घटना ने न केवल परिवार को बल्कि पूरे गांव को दहशत में डाल दिया है।
मृतक किशुन महतो खेखरिया टोला गांव के निवासी थे। परिजनों के अनुसार, किशुन महतो अपने अन्य चरवाहों के साथ बुधवार दोपहर को पंडयी नदी के किनारे अपनी भैंसों को चराने गए थे। शाम करीब पांच बजे, जब वे अपने पशुओं के साथ घर लौट रहे थे, तभी झाड़ियों में छिपे बाघ ने उन पर अचानक हमला कर दिया।
बाघ ने घसीटते हुए जंगल की ओर किया हमला
घटना के समय किशुन महतो अपने पशुओं के साथ थे। बाघ ने उन्हें घसीटते हुए जंगल की ओर ले जाने की कोशिश की, जिससे अन्य चरवाहों में अफरा-तफरी मच गई। उन्होंने तुरंत गांव में इस घटना की जानकारी दी, जिसके बाद स्थानीय लोग और प्रशासन तुरंत हरकत में आ गए।
सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम और सहोदरा थाने की पुलिस मौके पर पहुंची। रात करीब आठ बजे तलाशी अभियान के दौरान किशुन महतो का शव जंगल से बरामद किया गया। शव को पोस्टमार्टम के लिए गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज अस्पताल भेजा गया है। यह घटना न केवल एक व्यक्ति की जान ले गई, बल्कि पूरे क्षेत्र में भय का माहौल भी पैदा कर दिया है।
गांव में भय का माहौल, ग्रामीण चौकसी कर रहे हैं
घटना के बाद कैरी, खेखरिया, महायोगीन, बलबल, सोफा और विशुनपुरवा गांवों में भयावह स्थिति उत्पन्न हो गई है। ग्रामीण आशंका जता रहे हैं कि बाघ अपने शिकार की तलाश में फिर से गांव की ओर लौट सकता है। इसी डर से ग्रामीण रातभर जागकर लाठी-डंडे के साथ चौकसी कर रहे हैं।
सहोदरा थानाध्यक्ष राकेश कुमार ने पुष्टि की है कि शव को बरामद कर लिया गया है और परिजनों की ओर से आवेदन मिलने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। वहीं, वन संरक्षण सह निदेशक डॉ. नेशामनी ने बताया कि घटना की सूचना गांव के मुखिया के माध्यम से दी गई थी। विभाग के अधिकारी और कर्मचारी मौके पर पहुंचकर पूरे मामले की निगरानी कर रहे हैं।
मानव-वन्यजीव संघर्ष का बढ़ता खतरा
यह घटना एक बार फिर से टाइगर रिजर्व से सटे गांवों में मानव-वन्यजीव संघर्ष की गंभीरता को उजागर करती है। वन्यजीवों की सुरक्षा और मानव जीवन की सुरक्षा के बीच संतुलन बनाए रखना एक बड़ी चुनौती बन गया है। वन विभाग को इस दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।
स्थानीय निवासियों ने मांग की है कि वन विभाग को बाघों की गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए अधिक प्रयास करने चाहिए और ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने चाहिए। इससे न केवल जान-माल की सुरक्षा होगी, बल्कि वन्यजीवों के साथ सह-अस्तित्व की भावना भी विकसित होगी।
समुदाय की एकता की आवश्यकता
इस घटना ने यह भी दिखाया है कि ग्रामीण समुदाय को एकजुट होकर अपनी सुरक्षा के लिए कदम उठाने की जरूरत है। यदि सभी मिलकर जागरूकता बढ़ाते हैं और वन विभाग के साथ सहयोग करते हैं, तो मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने में मदद मिल सकती है।
किशुन महतो की मौत ने सभी को एक बार फिर यह याद दिलाया है कि वन्यजीवों का संरक्षण और मानव सुरक्षा दोनों ही महत्वपूर्ण हैं। अब यह देखना होगा कि प्रशासन इस गंभीर मुद्दे पर कैसे कार्रवाई करता है और क्या वह भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने में सफल होता है।