मुंगेर में विजयादशमी पर भव्य रावण दहन समारोह
मुंगेर में विजयादशमी के पर्व पर गुरुवार को भारी बारिश के बावजूद पोलो मैदान में रावण दहन का आयोजन सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में 20,000 से अधिक श्रद्धालुओं ने भाग लिया, जिनका उत्साह रिमझिम बारिश में भी कम नहीं हुआ। इस मौके पर लोगों ने एकत्रित होकर बुराई पर अच्छाई की विजय का जश्न मनाया।
कार्यक्रम की शुरुआत मुंगेर के जिलाधिकारी निखिल धनराज निप्पीणीकर ने राम, लक्ष्मण और हनुमान की पूजा-अर्चना और आरती के साथ की। इसके बाद उन्होंने राम के हाथ पकड़कर धनुष से तीर चलाकर रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाद के पुतलों का दहन किया। इस दृश्य ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया और उपस्थित दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट से इस आयोजन को सराहा।
मुंगेर में रावण दहन देखने जुटी लोगों की भीड़।
प्रतिष्ठित अतिथियों की उपस्थिति
इस अवसर पर प्रमंडलीय आयुक्त अवनीश कुमार सिंह, पुलिस अधीक्षक सैयद इमरान मसूद, BJP विधायक प्रणव कुमार यादव सहित विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता और आयोजन समिति के सदस्य उपस्थित थे। सभी ने इस विशेष अवसर पर एकजुटता और भाईचारे का संदेश दिया। विधायक प्रणव कुमार यादव ने अपने संबोधन में कहा कि रावण वध बुराइयों को त्यागकर सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने का संदेश देता है। उन्होंने सनातन धर्म की रक्षा और देशहित में आचरण की अपील की।
जिलाधिकारी ने दशहरा की शुभकामनाएं देते हुए इसे अच्छाई की जीत का प्रतीक बताया। उनका कहना था कि इस दिन हमें अपने अंदर की बुराइयों को समाप्त कर अच्छाई को अपनाने की प्रेरणा मिलती है। उन्होंने सभी से यह भी आग्रह किया कि वे अपने जीवन में अच्छाई को प्राथमिकता दें।
सुरक्षा व्यवस्थाएं और निगरानी
भारी भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे। किला परिसर के अंदर जगह-जगह बैरिकेडिंग की गई थी और पूरे क्षेत्र को रोशनी से जगमग किया गया था। पोलो मैदान और आसपास के क्षेत्रों को CCTV से लैस किया गया था। इसके अलावा, वॉच टावर और ड्रोन कैमरों के माध्यम से भीड़ पर लगातार निगरानी रखी जा रही थी ताकि किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके।
इस सुरक्षा व्यवस्था के कारण उपस्थित श्रद्धालु पूरी तरह से सुरक्षित महसूस कर रहे थे और उन्होंने इस आयोजन का आनंद लेने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जिला प्रशासन की यह तत्परता इस कार्यक्रम की सफलता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रही।
समापन और उत्सव का माहौल
जब रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाद के पुतले जलकर राख हो गए, तो पूरे पोलो मैदान में “जय श्री राम” के नारे गूंजने लगे। इस अद्भुत दृश्य ने सभी के दिलों में जोश भर दिया और सभी ने मिलकर इस पर्व का जश्न मनाया। इस प्रकार, मुंगेर में विजयादशमी का यह आयोजन न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक एकता का भी प्रतीक बना।
इस कार्यक्रम ने यह सिद्ध कर दिया कि मुंगेर की जनता में एकजुटता और उत्साह की कोई कमी नहीं है, चाहे मौसम कुछ भी हो। इस तरह के आयोजनों से न केवल लोगों में एकता का भाव जागृत होता है, बल्कि यह धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को भी संजोने में मदद करता है।