Drowning: नालंदा में नदी में डूबे तीसरे बच्चे का शव मिला, प्रतिमा विसर्जन के दौरान पानी के तेज बहाव में बह गए थे, 2 की लाश शनिवार को मिली थी



नालंदा में नदी में डूबे बच्चों का शव तीसरे दिन मिला नालंदा जिले में एक दुखद घटना सामने आई है, जहां एक नदी में डूबे तीन बच्चों का शव तीसरे…

Drowning: नालंदा में नदी में डूबे तीसरे बच्चे का शव मिला, प्रतिमा विसर्जन के दौरान पानी के तेज बहाव में बह गए थे, 2 की लाश शनिवार को मिली थी

नालंदा में नदी में डूबे बच्चों का शव तीसरे दिन मिला

नालंदा जिले में एक दुखद घटना सामने आई है, जहां एक नदी में डूबे तीन बच्चों का शव तीसरे दिन खोजा गया। यह घटना शुक्रवार को हुई थी जब स्थानीय लोगों ने काली पूजा के दौरान प्रतिमा विसर्जन के लिए हथियाखाड़ पंचाने नदी का चयन किया। इस दौरान चार किशोर अचानक नदी की तेज धारा में बह गए। राहत कार्य में देरी के कारण परिजनों ने आक्रोशित होकर सड़क जाम कर दी थी।

स्थानीय गोताखोरों ने शव को घटनास्थल से करीब 500 मीटर की दूरी पर खोज निकाला। इस घटना में बचाए गए एक किशोर के अलावा, दो बच्चों के शव को शनिवार को बरामद किया गया था। मृतकों की पहचान झींगनगर निवासी मंदीप कुमार (16), मोहित कुमार (16) और सागर कुमार (15) के रूप में हुई है। यह घटना दीपनगर थाना क्षेत्र के अंतर्गत आई है।

राहत कार्य में देरी से भड़का आक्रोश

घटना के बाद, जब राहत कार्य में देरी हुई, तो परिजनों ने रात के समय और शनिवार को बिहार शरीफ-राजगीर फोरलेन को जाम कर दिया। उनकी मांग थी कि प्रशासन तुरंत कार्रवाई करे और बच्चों के शवों को खोज निकाला जाए। प्रशासन के अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर स्थिति को संभालने का प्रयास किया।

दीपनगर थानाध्यक्ष राजमणि ने बताया कि तीनों बच्चों के शव को नदी से बाहर निकाल लिया गया है। उन्होंने बताया कि दो बच्चों के शव का पोस्टमार्टम कराकर परिजनों को सौंप दिया गया है, जबकि तीसरे बच्चे के शव को मॉडल अस्पताल बिहार शरीफ भेजा गया है। पुलिस मामले की गहन छानबीन कर रही है।

प्रतिमा विसर्जन के दौरान हुई घटना

घटना की जानकारी के अनुसार, झींगनगर काली पूजा समिति ने बिना अनुमति के हथियाखाड़ के पास प्रतिमा विसर्जन का आयोजन किया। पूजा समिति के कुछ लोग मां काली की आरती में लीन थे, जबकि कुछ बच्चे नदी में नहाने चले गए। इसी बीच चार बच्चे अचानक नदी की तेज धार में बहने लगे। इनमें से एक बच्चा सुरक्षित बाहर निकल गया, जबकि अन्य तीन बच्चे पानी की तेज धारा में फंस गए।

इस घटना ने पूरे इलाके में शोक की लहर पैदा कर दी है। लोगों ने मांग की है कि प्रशासन ऐसे आयोजनों को नियंत्रित करे ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों। स्थानीय लोगों ने प्रशासन से यह भी आग्रह किया है कि बच्चों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।

स्थानीय प्रशासन की भूमिका और प्रतिक्रिया

घटनास्थल पर पहुंची स्थानीय पुलिस और प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए। लेकिन, लोगों की नाराजगी को देखते हुए प्रशासन को मामले की गंभीरता को समझते हुए त्वरित कार्रवाई करनी पड़ी। थानाध्यक्ष राजमणि ने आश्वासन दिया कि ऐसे मामलों में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

बच्चों के परिजनों का दुख और आक्रोश समझा जा सकता है। इस घटना ने सभी को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि ऐसी घटनाओं से बचने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं। स्थानीय लोग चाहते हैं कि प्रशासन इस दिशा में ठोस कदम उठाए।

निष्कर्ष

नालंदा में हुई यह घटना एक बड़े सवाल को उठाती है – बच्चों की सुरक्षा को लेकर हमारी जिम्मेदारियाँ क्या हैं? सभी को इस पर विचार करने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में ऐसी दुखद घटनाएं न हों। प्रशासन को चाहिए कि वह स्थानीय आयोजनों की अनुमति देने से पहले सुरक्षा उपायों का ध्यान रखें और सुनिश्चित करें कि कोई भी आयोजन बच्चों की सुरक्षा को खतरे में न डाले।

इस घटना ने न केवल बच्चों के परिवारों को प्रभावित किया है, बल्कि पूरे समुदाय को एकजुट होने और सुरक्षा को प्राथमिकता देने के लिए प्रेरित किया है। यह समय है जब हम सभी मिलकर एक सुरक्षित और जिम्मेदार समाज का निर्माण करें।

Bihar News in Hindi

लेखक –

Recent Posts