Bihar News: Sacrifice के लिए बांका के तिलडीहा मंदिर में 13,000 से अधिक बलियां, भक्तों की 2 किलोमीटर लंबी कतार, प्रशासन मुस्तैद

सारांश

दशहरा पर उमड़ा श्रद्धालुओं का जनसैलाब तिलडीहा दुर्गा मंदिर में बांका-मुंगेर सीमा पर स्थित प्रसिद्ध तिलडीहा दुर्गा मंदिर में इस बार दशहरा के अवसर पर श्रद्धालुओं का अपार जनसैलाब देखने को मिला। मंगलवार की शाम से यहां बलि अर्पित करने की प्रक्रिया शुरू हुई, जो देर रात तक चली। इसके बाद बुधवार, नवमीं को दोपहर […]

kapil6294
Oct 01, 2025, 6:10 PM IST

दशहरा पर उमड़ा श्रद्धालुओं का जनसैलाब तिलडीहा दुर्गा मंदिर में

बांका-मुंगेर सीमा पर स्थित प्रसिद्ध तिलडीहा दुर्गा मंदिर में इस बार दशहरा के अवसर पर श्रद्धालुओं का अपार जनसैलाब देखने को मिला। मंगलवार की शाम से यहां बलि अर्पित करने की प्रक्रिया शुरू हुई, जो देर रात तक चली। इसके बाद बुधवार, नवमीं को दोपहर एक बजे से यह प्रक्रिया पुनः आरंभ हुई। इस बार अब तक 13,000 से अधिक पाठा बलि दी जा चुकी है। श्रद्धालु बिहार के विभिन्न कोनों से यहां पहुंच रहे हैं, जिससे मंदिर परिसर में भारी भीड़ लगी हुई है।

जिला प्रशासन ने इस धार्मिक आयोजन के लिए सुरक्षा व्यवस्था को लेकर पूरी तैयारी की है। श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बैरिकेडिंग की गई है और कार्यक्रम की निगरानी की जा रही है। मंदिर के प्रधान पुजारी श्याम आचार्य ने बताया कि, “तिलडीहा महारानी की महिमा अपरंपार है और यहां आने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।” इस धार्मिक आयोजन में शामिल होने के लिए भक्तों ने लंबी कतारों में खड़े होकर बलि अर्पित करने की प्रक्रिया में भाग लिया।

सुरक्षा व्यवस्था और भक्तों की संख्या

बलि अर्पित करने के लिए श्रद्धालु दो किलोमीटर लंबी कतार में खड़े रहे। इस दौरान जिला प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था के लिए बैरिकेडिंग की थी और सभी गतिविधियों की निगरानी की जा रही थी। श्रद्धालु विभिन्न जिलों से यहां आए थे, जिनमें बांका, मुंगेर, भागलपुर, गोड्डा, दुमका, देवघर और पटना शामिल हैं। महाअष्टमी पर ही लगभग 10,000 बलि दी गई थी, जिससे इस आयोजन की भव्यता का अनुमान लगाया जा सकता है।

तिलडीहा मंदिर का महत्व और स्थान

तिलडीहा दुर्गा मंदिर शंभूगंज प्रखंड के छत्रहार पंचायत में स्थित है। यह मंदिर बदुआ नदी के किनारे, प्रखंड मुख्यालय से छह किलोमीटर और तारापुर से दो किलोमीटर दूर है। यह शक्तिपीठ विशेष रूप से मनोकामना पूर्ति के लिए प्रसिद्ध है। यहां आने वाले श्रद्धालु देवी से अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए बलि अर्पित करते हैं।

Get 1 free credit in your first month of free trial to use on any title of your choice

मंदिर का ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

तिलडीहा मंदिर की स्थापना वर्ष 1603 में राडी कायस्थ परिवार के हरबल्लव दास ने की थी। कहा जाता है कि देवी ने उन्हें स्वप्न में मंदिर बनाने की प्रेरणा दी थी। आज भी दास परिवार के वंशज इस मंदिर में पूजा अर्चना करते हैं और देवी की मूर्ति का निर्माण करते हैं। यहां पूजा पारंपरिक तांत्रिक विधि से होती है और देवी को पहली और अंतिम बलि पारंपरिक खड्ग से अर्पित की जाती है।

मंदिर की विशेषताएँ और विविधता

तिलडीहा मंदिर की एक अनूठी विशेषता यह है कि यहां एक ही मेढ़ पर विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित की जाती हैं। इनमें कृष्ण, काली, दुर्गा, महिषासुर, शिव-पार्वती, गणेश और कार्तिक शामिल हैं, जो इस मंदिर को एक अद्वितीय धार्मिक स्थल बनाती हैं। दशहरा के दौरान यहां लाखों की संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ती है, जो इस मंदिर को बिहार, झारखंड और बंगाल तक प्रसिद्ध बनाती है।

शंभूगंज थाना के अध्यक्ष अरविंद राय ने बताया कि पूजा शांतिपूर्ण वातावरण में चल रही है और सभी श्रद्धालुओं को उचित सुरक्षा प्रदान की जा रही है। इस प्रकार, तिलडीहा दुर्गा मंदिर में दशहरा समारोह हर वर्ष भव्यता और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है, जो भक्तों की आस्था और विश्वास का प्रतीक है।

Bihar News in Hindi


कपिल शर्मा 'जागरण न्यू मीडिया' (Jagran New Media) और अमर उजाला में बतौर पत्रकार के पद पर कार्यरत कर चुके है अब ये खबर २४ लाइव के साथ पारी शुरू करने से पहले रिपब्लिक भारत... Read More

विज्ञापन

विज्ञापन