पटना में बिल क्लर्क को रिश्वत लेते रंगे हाथों किया गया गिरफ्तार
बिहार की राजधानी पटना में निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने एक बिल क्लर्क को 20 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। यह गिरफ्तारी बुधवार दोपहर करीब 3:30 बजे पटना के विश्वेश्वरैया भवन स्थित सचिवालय कोषागार में की गई। इस कार्रवाई ने भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रहे अभियान को एक नई दिशा दी है।
गिरफ्तार व्यक्ति की पहचान और शिकायत
गिरफ्तार किए गए बिल क्लर्क का नाम मनोज कुमार है, जो डेटा एंट्री ऑपरेटर और बिल क्लर्क के पद पर कार्यरत हैं। उनके खिलाफ सेवानिवृत्त अधीक्षण अभियंता योधन चौधरी के सेवानिवृत्ति बिल बनाने के लिए रिश्वत मांगने की शिकायत दर्ज की गई थी। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने कार्रवाई की और मनोज कुमार को धर दबोचा।
निगरानी अन्वेषण ब्यूरो की कार्रवाई
निगरानी अन्वेषण ब्यूरो के पुलिस महानिदेशक जे.एस. गंगवार ने बताया कि bureau भ्रष्टाचार के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रहा है। शिकायत मिलने के बाद, निगरानी अधिकारियों ने मामले का सत्यापन किया, जिसमें आरोप सही पाए गए। इसके बाद मनोज कुमार को 20 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया।
गिरफ्तार बिल क्लर्क।
भ्रष्टाचार पर निगरानी का बढ़ता दबाव
गंगवार ने जानकारी दी कि निगरानी विभाग ने अब तक 88 FIR दर्ज की हैं, जो पिछले वर्ष की तुलना में छह गुना अधिक है। 2024 में केवल 15 मामले दर्ज हुए थे, जबकि 2025 में अक्टूबर तक ही 88 FIR दर्ज की जा चुकी हैं। इनमें से 82 आरोपियों को रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया है।
गंगवार ने कहा कि निगरानी विभाग द्वारा आम जनता की शिकायतों पर जो सरकारी कर्मचारी रिश्वत की मांग करते हैं, उनके खिलाफ लगातार कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने यह भी बताया कि मुकदमों पर कार्रवाई की जा रही है ताकि अधिक से अधिक भ्रष्टाचारियों को सजा दिलाई जा सके।
भ्रष्टाचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई
निगरानी अन्वेषण ब्यूरो द्वारा अब तक 20 मामलों में भ्रष्टाचारियों को सजा सुनाई गई है। पहले केवल 18 मामलों में ही कार्रवाई होती थी, लेकिन अब भ्रष्टाचारियों पर शिकंजा कसने का कार्य तेजी से किया जा रहा है। यह पिछले 25 सालों में सबसे अधिक संख्या है।
जनता से अपील
पुलिस महानिदेशक (निगरानी अन्वेषण ब्यूरो) जे.एस गंगवार ने लोगों से अपील की है कि यदि किसी सरकारी कर्मचारी द्वारा रिश्वत की मांग की जा रही है, तो इसकी सूचना तुरंत निगरानी अन्वेषण ब्यूरो को दें। इससे भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई को और अधिक प्रभावी बनाया जा सकेगा।
यह घटना बिहार में भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रही मुहिम की एक महत्वपूर्ण कड़ी है, जो न केवल सरकारी कर्मचारियों के लिए एक चेतावनी है, बल्कि आम जनता को भी यह संदेश देती है कि वे अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाएं और किसी भी प्रकार की भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़े हों।