UPI: आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने स्पष्ट किया, शुल्क अभी नहीं लगेगा



आरबीआई गवर्नर ने यूपीआई ट्रांजैक्शन पर शुल्क की अफवाहों को किया खारिज भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बुधवार, 1 अक्टूबर 2025 को स्पष्ट किया कि यूनिफाइड…

UPI: आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने स्पष्ट किया, शुल्क अभी नहीं लगेगा

आरबीआई गवर्नर ने यूपीआई ट्रांजैक्शन पर शुल्क की अफवाहों को किया खारिज

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बुधवार, 1 अक्टूबर 2025 को स्पष्ट किया कि यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) लेनदेन पर शुल्क लगाने का कोई प्रस्ताव प्रस्तुत नहीं किया गया है। यह बयान उन्होंने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दिया, जिसमें उन्होंने यूपीआई को लेकर उठ रहे सवालों का जवाब दिया। यूपीआई, जो भारत में डिजिटल भुगतान प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, ने हाल के वर्षों में व्यापक उपयोगकर्ता आधार प्राप्त किया है।

गवर्नर मल्होत्रा ने जुलाई 2025 में एक कार्यक्रम के दौरान यूपीआई की लागत के बारे में कुछ टिप्पणी की थी, जिससे इस विषय पर अटकलबाजियों का बाजार गर्म हो गया था। उन्होंने कहा था, “यूपीआई सुलभ, सस्ता, सुरक्षित और टिकाऊ है — और यह केवल तभी टिकाऊ रहेगा जब कोई इसकी लागत वहन करे।” इस टिप्पणी ने इस बात पर चर्चा को जन्म दिया कि क्या उपयोगकर्ताओं को जल्द ही यूपीआई लेनदेन के लिए शुल्क का सामना करना पड़ सकता है, खासकर जब प्लेटफॉर्म की तेजी से वृद्धि और संचालन लागत में वृद्धि हो रही है।

यूपीआई का वित्तीय मॉडल और स्थिरता

मल्होत्रा ने इस मुद्दे पर चर्चा करते हुए यूपीआई के लिए एक स्थायी वित्तीय मॉडल की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “कौन भुगतान करता है, यह महत्वपूर्ण है, लेकिन यह इस बात से अधिक महत्वपूर्ण नहीं है कि कोई बिल का भुगतान करे। इसलिए, हमारे लिए इस मॉडल की स्थिरता के लिए यह महत्वपूर्ण है कि चाहे सामूहिक रूप से या व्यक्तिगत रूप से, कोई न कोई भुगतान करे।” उन्होंने यूपीआई की सुलभता को बनाए रखने और इसकी अवसंरचना के रखरखाव की लागतों के बीच संतुलन बनाने की चुनौती को भी उजागर किया।

वर्तमान में, सरकार यूपीआई लेनदेन की लागतों को सब्सिडी देती है ताकि उपयोगकर्ताओं के लिए प्लेटफॉर्म को मुफ्त रखा जा सके। यह आरबीआई की डिजिटल भुगतान को पूरे देश में बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को मजबूत करता है। मल्होत्रा के बयान उस समय आए हैं जब यूपीआई लगातार लेनदेन के रिकॉर्ड तोड़ रहा है, जिससे भारत तत्काल भुगतान के क्षेत्र में वैश्विक नेता के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत कर रहा है।

भविष्य की दिशा और डिजिटल भुगतान का विकास

आरबीआई और सरकार की योजना यह सुनिश्चित करना है कि यूपीआई लागत-मुक्त बना रहे, ताकि इसका व्यापक उपयोग बढ़ सके। हालांकि, यह भी स्वीकार किया गया है कि प्रणाली की दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता को संबोधित करना आवश्यक है। यूपीआई के विकास के साथ, यह स्पष्ट है कि डिजिटल भुगतान प्रणाली के लिए एक मजबूत आधारभूत संरचना की आवश्यकता है, जो न केवल वर्तमान उपयोगकर्ताओं के लिए लाभकारी हो, बल्कि भविष्य में भी इसके विकास को सुनिश्चित कर सके।

  • आरबीआई की नीति: यूपीआई लेनदेन शुल्क को लेकर कोई प्रस्ताव नहीं है।
  • सामाजिक कल्याण: यूपीआई को सस्ते और सुलभ बनाने के लिए सरकार द्वारा सब्सिडी।
  • भविष्य की चुनौतियाँ: यूपीआई की वित्तीय स्थिरता और सुरक्षा।

यूपीआई की सफलता और इसके भविष्य की दिशा को देखते हुए, यह जरूरी है कि सभी संबंधित पक्ष एक साथ मिलकर काम करें। इससे न केवल वर्तमान चुनौतियों का समाधान होगा, बल्कि भविष्य में डिजिटल भुगतान प्रणाली को और अधिक सशक्त बनाने में भी सहायता मिलेगी।

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