शारदीय नवरात्र का हर दिन खास होता है, लेकिन सप्तमी तिथि का महत्व सबसे अधिक माना जाता है। इसी दिन नवपत्रिका पूजा की जाती है, जिसे बंगाल, झारखंड और ओडिशा में विशेष श्रद्धा से मनाया जाता है। यह पूजा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि प्रकृति और कृषि के प्रति आभार व्यक्त करने का एक तरीका भी है। इस अवसर पर नौ पवित्र पत्तियों को एक साथ बांधकर मां दुर्गा का आह्वान किया जाता है और उनके आशीर्वाद से सुख-समृद्धि की कामना की जाती है।
📅 नवपत्रिका पूजा 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्र की सप्तमी तिथि 28 सितंबर 2025 को दोपहर 2:27 बजे से शुरू होकर 29 सितंबर 2025 को दोपहर 4:31 बजे समाप्त होगी। इस बार नवपत्रिका पूजा सोमवार, 29 सितंबर 2025 को की जाएगी।
🔑 शुभ मुहूर्त: सुबह से दोपहर तक का समय पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ रहेगा। श्रद्धालु इस दिन विधिवत स्नान, पूजा और हवन कर मां दुर्गा को प्रसन्न करते हैं।
🌿 नवपत्रिका का महत्व और प्रतीक
नवपत्रिका का अर्थ ही है — नौ पत्तियां। इन्हें मां दुर्गा के नौ रूपों का प्रतीक माना जाता है।
इनमें शामिल होती हैं:
- केले का पत्ता – शक्ति और समृद्धि का प्रतीक
- दारुहल्दी का पत्ता – रोगों से रक्षा
- हल्दी का पत्ता – शुद्धि और पवित्रता
- जयंती का पत्ता – विजय का प्रतीक
- बेलपत्र – भगवान शिव और शक्ति का प्रिय
- अनार का पत्ता – जीवन और उर्वरता का प्रतीक
- अशोक पत्ता – दुख और अशांति को दूर करने वाला
- धान का पत्ता – अन्न और समृद्धि का प्रतीक
- अमलतास का पत्ता – सौंदर्य और शुभता का संकेत
इन पत्तियों को बांधकर एक साथ पवित्र नदी में स्नान कराया जाता है, जिसे महास्नान कहा जाता है। इसके बाद इसे घर या पंडाल में लाकर चौकी पर स्थापित कर मां दुर्गा की मूर्ति के पास रखा जाता है।
🕉️ नवपत्रिका पूजा की विधि
नवपत्रिका पूजा को महा सप्तमी भी कहा जाता है और यह दुर्गा पूजा का पहला दिन होता है।
- सबसे पहले इन नौ पत्तियों को स्नान कराकर पवित्र किया जाता है।
- घर के मंदिर या पंडाल में चौकी बिछाकर मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित की जाती है।
- मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा कर 16 शृंगार अर्पित किए जाते हैं।
- नैवेद्य, फल और पुष्प अर्पित कर विशेष मंत्रों से पूजा की जाती है।
- अंत में मां की आरती कर प्रसाद का वितरण किया जाता है।
🙏 आध्यात्मिक और सामाजिक महत्व
नवपत्रिका पूजा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह फसल की अच्छी पैदावार और परिवार की खुशहाली के लिए मां से प्रार्थना करने का दिन है। इस दिन गांवों में विशेष मेले, सांस्कृतिक कार्यक्रम और भजन-कीर्तन का आयोजन होता है। लोग नए वस्त्र धारण कर एक-दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं।
✨ खास बातें जो याद रखें
- नवपत्रिका पूजा को कभी-कभी कुठिपूजा भी कहा जाता है।
- यह पूजा बंगाल में दुर्गा पूजा उत्सव की औपचारिक शुरुआत मानी जाती है।
- महास्नान और प्राण प्रतिष्ठा के बाद ही अगले चार दिनों के दुर्गा उत्सव की शुरुआत होती है।
निष्कर्ष
नवपत्रिका पूजा भारतीय संस्कृति और प्रकृति के गहरे संबंध को दर्शाती है। यह केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं बल्कि एक ऐसा पर्व है जो जीवन, उर्वरता और सकारात्मक ऊर्जा का संदेश देता है। 2025 में जब यह पूजा 29 सितंबर को की जाएगी, तो आप भी इसे विधिवत करें और मां दुर्गा के आशीर्वाद से अपने जीवन में सुख-समृद्धि लाएं।