RBI MPC मीट आज: Rate Cut की उम्मीदें, महंगाई के रुझान और अन्य विषय



आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की बैठक: महत्वपूर्ण निर्णय आज होंगे घोषित आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की बैठक का आगाज़ भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपनी मौद्रिक नीति समिति…

RBI MPC मीट आज: Rate Cut की उम्मीदें, महंगाई के रुझान और अन्य विषय



आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की बैठक: महत्वपूर्ण निर्णय आज होंगे घोषित

आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की बैठक का आगाज़

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपनी मौद्रिक नीति समिति की बैठक 29 सितंबर 2025 को शुरू की थी, और यह बैठक 1 अक्टूबर 2025 को समाप्त होगी। इस छह सदस्यीय दर कट समिति की अध्यक्षता आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा कर रहे हैं। आज सुबह 10 बजे एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से महत्वपूर्ण नीति निर्णयों की घोषणा की जाएगी। इस बैठक का हर कोई बेसब्री से इंतजार कर रहा है, क्योंकि यह निर्णय अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव डाल सकता है।

पिछली बैठक के निर्णय और वर्तमान उम्मीदें

अगस्त 2025 में आयोजित मौद्रिक नीति समिति की पिछली बैठक में, आरबीआई ने रेपो दर को 5.50% पर बनाए रखा था। यह निर्णय जून 2025 में 50 आधार अंकों की कमी के बाद लिया गया था। बाजार के जानकारों का मानना है कि आरबीआई इस बार भी रेपो दर को 5.50% पर बनाए रख सकता है। Bajaj Broking की एक रिपोर्ट के अनुसार, इसका कारण कम मंहगाई और विकास के लिए संभावित जोखिमों को बताया गया है।

दर कट की संभावनाएं और आवश्यकताएं

वहीं, SBI रिसर्च की रिपोर्ट में सितंबर की मौद्रिक नीति में दर कट की घोषणा की संभावना को उचित ठहराया गया है। हालांकि, इस दिशा में कदम उठाने के लिए संतुलित संवाद की आवश्यकता होगी, क्योंकि जून के बाद दर कट का स्तर वास्तव में उच्च है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 25 आधार अंकों की कमी इस नीति के लिए सबसे उपयुक्त है।

महंगाई की स्थिति: वृद्धि और संभावनाएं

भारत की उपभोक्ता मूल्य महंगाई अगस्त 2025 में 2.07% तक पहुंच गई, जो जुलाई में 1.61% थी। यह पिछले दस महीनों में पहली बार महंगाई में वृद्धि दर्शाता है। हालांकि, यह महंगाई स्तर आरबीआई के 4% के लक्ष्य से नीचे बना हुआ है और इसकी सहिष्णुता सीमा के भीतर है। इस वृद्धि का मुख्य कारण खाद्य पदार्थों की कीमतों में वृद्धि है, जैसा कि रिपोर्ट में बताया गया है।

जीएसटी के ताजा सुधार और महंगाई पर प्रभाव

हाल ही में वस्तु और सेवा कर (GST) में किए गए सुधारों से खुदरा कीमतों में और कमी की उम्मीद की जा रही है, जिससे निकट भविष्य में महंगाई को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। हालांकि, अर्थशास्त्रियों ने चेतावनी दी है कि वैश्विक वस्तुओं की कीमतों में उतार-चढ़ाव और घरेलू मांग के दबाव महंगाई को अगले कुछ महीनों में बढ़ा सकते हैं।

आरबीआई की तरलता हस्तक्षेप और आर्थिक गतिविधियों का समर्थन

आरबीआई की तरलता हस्तक्षेप, जिसमें सितंबर 2025 में कैश रिजर्व अनुपात (CRR) में कमी शामिल है, का उद्देश्य आर्थिक गतिविधियों का समर्थन करना है। Bajaj Broking के अनुसार, इन प्रयासों के बावजूद, उधारी की लागत विशेष रूप से केंद्रीय और राज्य सरकारों के लिए अपेक्षाकृत उच्च बनी हुई है। केंद्रीय बैंक की उम्मीद है कि वह अपनी आगे की मार्गदर्शिका में तटस्थ रुख अपनाएगा, जिससे विकास को बनाए रखते हुए मूल्य स्थिरता को बनाए रखा जा सके।

निष्कर्ष: आज की नीति घोषणा का महत्व

आज की नीति घोषणा न केवल वित्तीय बाजारों में हलचल पैदा करेगी, बल्कि यह देश की समग्र आर्थिक स्थिति पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव डालेगी। सभी की निगाहें आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति पर हैं, और यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या वे दरों को स्थिर रखेंगे या कटौती का निर्णय लेंगे। इस निर्णय का असर न केवल बैंकों की उधारी दरों पर पड़ेगा, बल्कि आम लोगों के लिए भी महंगाई और ऋण की लागत को प्रभावित करेगा।


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