उत्तराखंड में पुलिस कर्मियों की विवादास्पद तस्वीर का मामला
बागेश्वर से जागरण संवाददाता की रिपोर्ट के अनुसार, जिले के कोतवाल और उनके साथी अब चर्चा का विषय बन गए हैं। हाल ही में एक फोटो वायरल हो गया है, जिसने पुलिस मुख्यालय को इसकी जांच कराने के लिए मजबूर कर दिया है। इस मामले में पुलिस अधीक्षक ने संबंधित फोटो की जांच पुलिस क्षेत्राधिकारी को सौंप दी है और कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के संकेत भी दिए हैं।
इंटरनेट मीडिया पर विभिन्न प्रकार के वीडियो और फोटो साझा करना पुलिस महकमे की छवि को नुकसान पहुँचा सकता है, लेकिन इसके बावजूद कई पुलिसकर्मी इन आदतों को अपनाए हुए हैं। जिले में ऐसे कई पुलिस कर्मी हैं, जो सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते हैं, लेकिन अभी तक उच्च अधिकारियों ने उन पर कोई कार्रवाई नहीं की है। हाल ही में एक संगठन के महामंत्री का स्वागत करते समय कोतवाल की तस्वीर ने उन्हें मुश्किल में डाल दिया है। यह क्षेत्र बागनाथ की भूमि है, जहां छल और कपट का परिणाम हमेशा बुरा ही रहा है।
विवाद का कारण: फेसबुक पर वायरल फोटो
पूर्व विधायक ललित फर्स्वाण ने अपने फेसबुक पेज पर एक फोटो साझा की है, जिसमें यह दर्शाया गया है कि कोतवाल के अलावा पूरा जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन भी चमचागिरी में लगे हुए हैं। इस फोटो के साथ उनके फेसबुक मित्र गजेंद्र रावत ने टिप्पणी की है कि भाजपा के महामंत्री के स्वागत में वर्दी में कोतवाल मौजूद हैं।
महेंद्र भट्ट की टीम के सदस्य कुंदन परिहार ने भी इस पर टिप्पणी की है, जिसमें उन्होंने कहा कि बागेश्वर जनपद के कोतवाल का इस प्रकार स्वागत करना कोई नई बात नहीं है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि आखिर इस प्रकार की ट्रेनिंग किस विशेष सेंटर में दी जा रही है। कुंदन परिहार को भाजपा महामंत्री बनने पर बागेश्वर आने पर स्वागत किया गया था।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं
इस फोटो के वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर कई प्रतिक्रियाएं आई हैं। अनित प्रकाश साह ने टिप्पणी की है कि यह दर्शाता है कि सरकारी कर्मचारियों का चमचागिरी का स्तर कितना बढ़ गया है। सतीश चंद्र खोलिया ने कहा कि नौकरी का सवाल है, इसलिए ऐसा करना पड़ता है। दयाल सिंह बघरी ने भी इसी बात को दोहराया। गौरव परिहार ने मजाकिया लहजे में कहा कि जब सैंया भये कोतवाल तो डर किस बात का।
नीरज कांडपाल ने इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करते हुए कहा कि एक पुलिस अधिकारी को ड्यूटी के दौरान राजनेता को गुलदस्ता देना वर्दी के प्रोटोकॉल के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि पुलिस की वर्दी शक्ति, सम्मान और अधिकार का प्रतीक है, और इसे व्यक्तिगत सम्मान व्यक्त करने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।
पुलिस महकमे की प्रतिक्रिया
हालांकि, राजनेताओं से मिलते समय सम्मानजनक व्यवहार करना जरूरी है, लेकिन इसे यूनिफार्म में रहकर व्यक्तिगत कृत्यों से नहीं करना चाहिए। पुलिस की वर्दी नागरिकों के लिए गर्व और सम्मान का प्रतीक है। इस घटना के बाद पुलिस महकमे में हलचल मच गई है और कई कमेंट्स के बाद अधिकारियों ने इस पर ध्यान दिया है।
इस प्रकार, यह मामला केवल एक फोटो तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पुलिस महकमे की आंतरिक कार्यशैली और उसके प्रभाव को भी उजागर करता है। ऐसे मामलों में आवश्यक है कि पुलिसकर्मी अपनी वर्दी के सम्मान और गरिमा को बनाए रखें, ताकि आम जनता में पुलिस के प्रति विश्वास बना रहे।