पतंजलि विश्वविद्यालय में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का स्वागत
जागरण संवाददाता, हरिद्वार। हाल ही में आयोजित पतंजलि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में कुलाधिपति स्वामी रामदेव और कुलपति आचार्य बालकृष्ण ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का भव्य स्वागत किया। इस अवसर पर स्वामी रामदेव ने राष्ट्रपति के आगमन को पतंजलि परिवार के लिए गौरवान्वित क्षण बताया। उन्होंने अपने संदेश में कहा कि पतंजलि विश्वविद्यालय के विद्यार्थी केवल शिक्षा प्राप्त नहीं कर रहे हैं, बल्कि वे राष्ट्र निर्माण की भावना से प्रेरित होकर अपने भविष्य की ओर अग्रसर हो रहे हैं।
‘जाब सीकर’ से ‘जाब क्रिएटर’ बनने का संकल्प
इस समारोह में स्वामी रामदेव ने अपने विचारों को साझा करते हुए कहा कि यहां का हर विद्यार्थी ‘जाब सीकर’ नहीं, बल्कि ‘जाब क्रिएटर’ है। उन्होंने बताया कि पतंजलि विश्वविद्यालय में शिक्षा का आधार किसी जाति या धर्म पर नहीं, बल्कि सनातन सिद्धांतों पर आधारित है। विश्वविद्यालय का उद्देश्य केवल शिक्षित नागरिक तैयार करना नहीं, बल्कि एक चरित्रवान, आत्मनिर्भर और नैतिक समाज का निर्माण करना भी है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का सफल कार्यान्वयन
पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य बालकृष्ण ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु और अन्य विशिष्ट अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को सफलतापूर्वक लागू किया है। यह नीति शिक्षा को रोजगारपरक, बहुविषयक और मूल्य आधारित बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों को साझा करते हुए बताया कि इसे राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नेक) से 3.48 ग्रेड प्वांइट के साथ ए ग्रेड प्राप्त हुआ है, जो इसकी उच्च गुणवत्ता का प्रमाण है।
शुल्कमुक्त शिक्षा प्रणाली और मेधावी विद्यार्थियों के लिए विशेष छूट
आचार्य बालकृष्ण ने बताया कि विश्वविद्यालय में शुल्कमुक्त शिक्षा प्रणाली लागू है और मेधावी विद्यार्थियों के लिए विशेष छूट का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन ने योग, आयुर्वेद और समग्र स्वास्थ्य विज्ञान के क्षेत्र में उल्लेखनीय वैज्ञानिक योगदान दिया है, जिसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा हुई है। इसके अलावा, विश्वविद्यालय खेल, संस्कृति और अनुसंधान के क्षेत्र में भी निरंतर प्रगति कर रहा है।
विश्व स्तर पर श्रेष्ठतम विश्वविद्यालयों की श्रेणी में पतंजलि विश्वविद्यालय
पतंजलि विश्वविद्यालय को विश्व के श्रेष्ठतम विश्वविद्यालयों की श्रेणी में स्थापित करने का संकल्प व्यक्त करते हुए आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि यहां पारंपरिक शास्त्रों के स्मरण को प्रोत्साहन एवं पुरस्कार प्रदान किया जाता है। उन्होंने बताया कि नियमित शिक्षा के साथ-साथ ऑनलाइन एवं दूरस्थ माध्यम से भी देश-विदेश के विद्यार्थी अध्ययन कर रहे हैं। यह पतंजलि विश्वविद्यालय की एक महत्वपूर्ण विशेषता है, जो इसे अन्य विश्वविद्यालयों से अलग बनाती है।
समारोह का महत्व
इस दीक्षांत समारोह का महत्व न केवल पतंजलि परिवार के लिए, बल्कि समग्र शिक्षा प्रणाली के लिए भी है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का उपस्थित होना इस बात का सबूत है कि पतंजलि विश्वविद्यालय अपनी गुणवत्ता और शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता को लेकर गंभीर है। इस प्रकार के समारोह विद्यार्थियों में उत्साह और प्रेरणा का संचार करते हैं।
निष्कर्ष
पतंजलि विश्वविद्यालय की यह पहल न केवल विद्यार्थियों के लिए नए अवसरों का द्वार खोलती है, बल्कि यह समाज में शिक्षा और संस्कृति के प्रति एक नई सोच को भी जन्म देती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस प्रकार की नीतियों को और अधिक विश्वविद्यालयों में अपनाया जाए, तो भारत की शिक्षा प्रणाली में एक नई दिशा मिल सकती है।























