Mandi में सील तोड़कर बेच दिया लाल आलू: व्यापारी का दावा, उन्होंने नहीं तोड़ा; जांच में जुटा खाद्य सुरक्षा विभाग



गोरखपुर में खाद्य सुरक्षा विभाग की कार्रवाई: आलू की बिक्री में गड़बड़ी का मामला 29 सितंबर को खाद्य सुरक्षा विभाग ने गोरखपुर के महेवा मंडी में दो ट्रक आलू को…

गोरखपुर में खाद्य सुरक्षा विभाग की कार्रवाई: आलू की बिक्री में गड़बड़ी का मामला

29 सितंबर को खाद्य सुरक्षा विभाग ने गोरखपुर के महेवा मंडी में दो ट्रक आलू को सीज कर दिया था। अब इस मामले में एक व्यापारी पर आरोप है कि उसने सील तोड़कर इन आलुओं को बेचने का प्रयास किया। जब यह मामला सामने आया, तो व्यापारी ने जल्दी-जल्दी एक और ट्रक में आलू रखवाने की कोशिश की। इस सूचना के मिलने पर खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने तुरंत कार्रवाई की और मामले की जांच शुरू की।

यदि सील तोड़ने की पुष्टि होती है तो व्यापारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी। मंडी में सील किए गए आलू को जब खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने जांचने के लिए पहुंची, तो एक दुकान के सामने सील टूटी मिली। जबकि दूसरी दुकान पर सील यथावत नजर आई। इस पर टीम ने माना कि सील तोड़ने का प्रयास किया गया है, जबकि व्यापारी का दावा है कि सील कैसे टूटी, यह उसे नहीं पता। अब इस मामले की जांच अगले दो दिनों तक जारी रहेगी।

खतरनाक केमिकल से रंगा आलू: स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा

खाद्य सुरक्षा विभाग की एक और जांच में यह सामने आया है कि बाजार में बिक रहे आलू में खतरनाक केमिकल मिलाकर उन्हें लाल और चमकदार बनाया जा रहा है। इस संदर्भ में महेवा मंडी में रविवार को छापेमारी की गई, जिसमें दो ट्रक आलू जब्त किए गए। यह आलू तमिलनाडु के वेल्लौर और उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद से लाए गए थे। जांच के दौरान ट्रकों में लदे आलू में केमिकल की उपस्थिति पाई गई, जिसके बाद सैंपल लेकर आगे की जांच के लिए भेजा गया।

खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने बताया कि दोनों ट्रकों पर कुल **500 क्विंटल** से अधिक आलू लदा था। यदि जांच में केमिकल मिलाने की पुष्टि होती है, तो आलू को नष्ट कर दिया जाएगा। यह जानकारी स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है, क्योंकि ऐसे आलू का सेवन करने से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

बाजार में मिलावट का आलू: पहचान और जोखिम

बाजार में इस समय चटख लाल आलू की भरमार है। जो विक्रेता से पूछते हैं, वह इसे ताजा और बढ़िया बताता है, लेकिन यही आलू वास्तव में खतरनाक हो सकता है। इसकी कीमत सामान्य आलू से अधिक होती है, लेकिन इसे खरीदते समय सावधानी बरतनी चाहिए। यह कोई प्राकृतिक रंग नहीं है, बल्कि केमिकल से रंगा गया आलू है। इस केमिकल का उपयोग पेंट में किया जाता है और यह छिलका उतारने पर भी सुरक्षित नहीं रहता।

खाद्य सुरक्षा विभाग की प्रारंभिक जांच में यह पाया गया है कि आलू में मिलावट की गई है, जिसमें आयरन ऑक्साइड या फेरिक ऑक्साइड का उपयोग किया गया है। यह केमिकल यदि लंबे समय तक सेवन किया जाए, तो किडनी और लीवर पर बुरा असर डाल सकता है। गोरखपुर के हर बाजार में यह आलू आसानी से मिल जाता है और इसकी कीमत सामान्य आलू से **5 से 10 रुपये** प्रति किलो अधिक होती है।

आलू की बिक्री पर नियंत्रण: खाद्य सुरक्षा विभाग का प्रयास

खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने इस मामले में कई दुकानदारों से बात की है और उन्हें आगाह किया है कि वे इस प्रकार के आलू न मंगवाएं। हालांकि, कुछ दिन तक आलू की आवक कम रही, लेकिन अब फिर से बढ़ गई है। सहायक आयुक्त खाद्य सुरक्षा डा. सुधीर कुमार सिंह का कहना है कि कानपुर, उन्नाव, बाराबंकी और कन्नौज के कोल्ड स्टोरेज से यह आलू गोरखपुर की मंडी में लाया जा रहा है।

जब आलू कोल्ड स्टोरेज से निकाला जाता है, तो उसे केमिकल में रंगा जाता है और फिर विभिन्न जिलों के बाजार में भेज दिया जाता है। इस प्रकार के आलू की पहचान करना आवश्यक है, ताकि लोगों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से बचाया जा सके।

विभाग की कार्रवाई और आगे की योजना

खाद्य सुरक्षा विभाग ने इस मामले में प्रारंभिक जांच की है। मंडी में आलू डालते ही पानी का रंग लाल हो गया, जिससे मिलावट की पुष्टि हुई। अब विभाग की टीम ने थोक व्यापारियों से बात की है और उन्हें इस प्रकार के आलू की बिक्री को रोकने के लिए जागरूक किया है। भविष्य में इस पर नियंत्रण पाने के लिए और कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

आधिकारिक तौर पर सहायक आयुक्त खाद्य सुरक्षा डा. सुधीर कुमार सिंह ने कहा है कि सील तोड़ने की शिकायत के बाद कार्रवाई की गई है। जांच जारी है और जल्द ही सही स्थिति का पता लगाया जाएगा। यदि व्यापारी की गलती सिद्ध होती है, तो उसके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।

इस मामले में सभी नागरिकों को सतर्क रहने की आवश्यकता है, ताकि वे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक उत्पादों से दूर रह सकें।

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