पद्मविभूषण पंडित छन्नूलाल मिश्र का निधन: शास्त्रीय संगीत की दुनिया में एक अपूरणीय क्षति
शास्त्रीय संगीत के जगत में एक और सितारा डूब गया है। पद्मविभूषण पंडित छन्नूलाल मिश्र का निधन आज, 2 अक्टूबर को तड़के 4:15 बजे मिर्जापुर में उनकी बेटी के घर पर हुआ। उनकी उम्र 89 वर्ष थी। छन्नूलाल मिश्र ने अपने जीवन में शास्त्रीय संगीत की कई विधाओं में विशेष पहचान बनाई और ‘खेले मसाने में होली…’ जैसे गानों के माध्यम से लोगों के दिलों में बस गए। उनके संगीत का जादू आज भी लोगों की जुबां पर है, जो उनकी अद्वितीय प्रतिभा को दर्शाता है।
जीवन यात्रा: संगीत की साधना का प्रारंभ
पंडित छन्नूलाल मिश्र का जन्म 3 अगस्त 1936 को उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के हरिहरपुर में हुआ। उनके दादा, गुदई महाराज शांता प्रसाद, एक प्रसिद्ध तबला वादक थे, जिन्होंने संगीत के प्रति उनकी रुचि को जगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। छन्नूलाल ने केवल छह वर्ष की आयु में अपने पिता, बद्री प्रसाद मिश्र से संगीत की शिक्षा लेना शुरू किया। उनके द्वारा सीखी गई संगीत की बारीकियों ने उन्हें खयाल, ठुमरी, भजन, दादरा, कजरी और चैती जैसे शास्त्रीय संगीत के विभिन्न रूपों में महारत दिलाई।
सम्मान और उपलब्धियाँ: एक संगीत साधक का सफर
पंडित छन्नूलाल मिश्र को उनके उत्कृष्ट संगीत के लिए अनेक सम्मानों से नवाजा गया। 2010 में उन्हें पद्मभूषण सम्मान प्राप्त हुआ, जो भारत सरकार द्वारा कला और संस्कृति के क्षेत्र में उत्कृष्टता के लिए दिया जाने वाला एक प्रतिष्ठित पुरस्कार है। इसके बाद, 2014 में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्तावक के रूप में भी कार्य किया। उनके संगीत के प्रति समर्पण और योगदान को मान्यता देते हुए, 2021 में उन्हें पद्मविभूषण सम्मान से भी सम्मानित किया गया।
व्यक्तिगत जीवन: परिवार और संघर्ष
पंडित छन्नूलाल मिश्र के परिवार में चार बेटियां और एक बेटा हैं। हालांकि, उनका व्यक्तिगत जीवन कई चुनौतियों से भरा रहा। चार साल पहले उनकी पत्नी और एक बेटी का निधन कोरोना वायरस के कारण हो गया था, जो उनके लिए एक बड़ा आघात था। इसके बावजूद, उन्होंने संगीत के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को बनाए रखा और अपने परिवार को अपनी कला के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
संगीत की दुनिया में छन्नूलाल मिश्र की विरासत
पंडित छन्नूलाल मिश्र का संगीत भारतीय शास्त्रीय संगीत की दुनिया में अमिट छाप छोड़ गया है। उनके द्वारा गाए गए गीत, जैसे ‘खेले मसाने में होली…’, न केवल उनकी प्रतिभा को दर्शाते हैं, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपरा को भी जीवित रखते हैं। उनकी कला ने न केवल उन्हें एक महान गायक बनाया, बल्कि वे एक प्रेरणास्त्रोत भी बने।
संगीत प्रेमियों के बीच शोक की लहर
पंडित छन्नूलाल मिश्र के निधन से भारतीय शास्त्रीय संगीत की दुनिया में शोक की लहर दौड़ गई है। संगीत प्रेमियों, छात्रों और प्रशंसकों ने उनके योगदान को याद करते हुए शोक व्यक्त किया है। उनके संगीत का जादू हमेशा लोगों के दिलों में रहेगा, और उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी।
अंतिम शब्द: एक संगीत साधक का योगदान
पंडित छन्नूलाल मिश्र का जीवन संगीत के प्रति उनके असीम प्रेम और समर्पण की कहानी है। उन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया और अपनी कला के माध्यम से लोगों के दिलों में जगह बनाई। उनके निधन से एक अद्वितीय संगीत साधक का स्थान रिक्त हो गया है, लेकिन उनकी धुनें और गाने हमेशा गूंजते रहेंगे। भारतीय संगीत के इस महानायक को श्रद्धांजलि।
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