High-tech रावण दहन: झांसी में बटन दबाते ही जले पुतले, 10 हजार से अधिक लोग बने साक्षी



झांसी में हाईटेक दशहरा महोत्सव: रावण दहन के नए तरीके से हुआ आयोजन रावण वध के बाद भगवान राम ने दिए दर्शन झांसी में इस वर्ष का दशहरा महोत्सव एक…

High-tech रावण दहन: झांसी में बटन दबाते ही जले पुतले, 10 हजार से अधिक लोग बने साक्षी

झांसी में हाईटेक दशहरा महोत्सव: रावण दहन के नए तरीके से हुआ आयोजन

रावण वध के बाद भगवान राम ने दिए दर्शन

झांसी में इस वर्ष का दशहरा महोत्सव एक नई पहचान के साथ मनाया गया। जहां परंपरागत रूप से रावण के पुतलों को निकटता से जलाने की परंपरा थी, वहीं इस बार रावण का पुतला 500 मीटर दूर से एक बटन दबाकर जलाया गया। यह तकनीकी बदलाव दर्शकों के लिए एक नया अनुभव लेकर आया। दशहरा कमेटी ने इस आयोजन को और अधिक आकर्षक बनाने के लिए दूसरे जिलों से आतिशबाज भी बुलवाए थे, जिससे दर्शकों का मनोरंजन दोगुना हो गया।

झांसी किले के तलहटी में 49वां दशहरा कार्यक्रम

इस साल का दशहरा महोत्सव झांसी किले की तलहटी में आयोजित किया गया, जो कि 49वां था। यहां शाम के समय सबसे पहले रावण अपनी सेना के साथ नगर क्षेत्र में निकला और भगवान राम को चुनौती दी। उसने कहा कि “मैं लंकेश हूं, देवता भी मेरे सामने युद्ध करने को तैयार नहीं होते।” इस चुनौती ने भगवान राम को रणभूमि की ओर बढ़ने के लिए मजबूर कर दिया।

रावण और भगवान राम के बीच भयंकर युद्ध

जब रावण ने भगवान राम को ललकारा, तो वह भी युद्ध के लिए तैयार हो गए। सूरज ढलने के बाद भगवान राम और रावण की सेनाएं दशहरा मैदान में आमने-सामने आ गईं। भगवान राम ने पहले रावण को समझाने का प्रयास किया कि वह युद्ध न करे, लेकिन रावण अपने स्वाभिमान को छोड़ने को तैयार नहीं था। उसने कहा कि “वह मरेगा या फिर युद्ध करेगा।”

इसके बाद रावण की सेना ने अचानक हमला कर दिया। इस भीषण युद्ध के दौरान भगवान राम ने अपना अचूक बाण निकाला और रावण का वध कर दिया। रावण के अंत होते ही वहां मौजूद लोगों ने जय श्रीराम के नारे लगाना शुरू कर दिया, जिससे वातावरण में धार्मिक उत्साह फैल गया।

हाईटेक रावण दहन की अनोखी प्रक्रिया

बुंदेलखंड दशहरा कमेटी ने इस बार के महोत्सव में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए थे। पहला यह कि रावण, मेघनाथ और कुम्भकर्ण के पुतलों का दहन अब नजदीक जाकर नहीं करना पड़ा। इसके लिए तीनों पुतलों में बिजली के शार्ट सर्किट से आग लगाई गई। इस कार्य को मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने बटन दबाकर पूरा किया और देखते ही देखते पुतले जलने लगे।

यह नई तकनीक दर्शकों के लिए न केवल सुरक्षित थी, बल्कि इसे देखने का अनुभव भी अलग था। दर्शक इस तकनीकी बदलाव को लेकर काफी उत्साहित थे और उन्होंने इस आयोजन की सराहना की।

दर्शकों की प्रतिक्रिया

इस बार के दशहरा महोत्सव में शामिल होने आए दर्शकों ने आयोजन की भव्यता और तकनीकी बदलाव की तारीफ की। कई लोगों का कहना था कि इससे रावण दहन का दृश्य और भी रोमांचक हो गया। लोग इस बात को लेकर भी खुश थे कि इस प्रकार के आयोजन से सुरक्षा में भी वृद्धि हुई है।

दर्शकों ने यह भी कहा कि इस प्रकार के तकनीकी बदलावों से भविष्य में और भी बेहतर आयोजन किए जा सकते हैं, जिससे परंपरा को भी एक नई दिशा मिलेगी।

निष्कर्ष

झांसी में इस वर्ष का दशहरा महोत्सव एक नई तकनीकी और सांस्कृतिक पहचान के साथ सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। रावण का वध और उसके बाद भगवान राम के दर्शन ने सबको एक नई ऊर्जा दी। इस प्रकार के आयोजनों से न केवल धार्मिक आस्था को बल मिलता है, बल्कि यह समाज में एकता और भाईचारे का संदेश भी फैलाते हैं।

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