केरल के शिक्षामंत्री ने हिजाब विवाद में छात्रा को दी अनुमति
केरल के शिक्षामंत्री वी सिवानकुट्टी ने हाल ही में एक विवादित मामले में 8वीं कक्षा की छात्रा को स्कूल में हिजाब पहनकर आने की अनुमति दे दी है। यह निर्णय उस समय लिया गया जब छात्रा के माता-पिता ने स्कूल प्रबंधन के खिलाफ धार्मिक स्वतंत्रता का मामला उठाया। मंत्री ने मंगलवार को स्कूल को आदेश दिया कि छात्रा को तुरंत उसके सिर ढकने वाले स्कार्फ यानी हिजाब पहनकर अपनी पढ़ाई जारी रखने की अनुमति दी जाए। इसके साथ ही उन्होंने स्कूल प्रिंसिपल और प्रबंधन को निर्देश दिया कि छात्रा और उसके माता-पिता को हुई मानसिक पीड़ा का भी ध्यान रखा जाए।
स्कूल में हिजाब पहनने से शुरू हुआ विवाद
विवाद की शुरुआत पिछले सप्ताह केरल के पल्लुरुथी के सेंट रीटा पब्लिक स्कूल में हुई, जब एक 8वीं क्लास की छात्रा स्कूल यूनिफॉर्म के साथ हिजाब पहनकर पहुंची। स्कूल प्रशासन ने छात्रा को हिजाब पहनने से रोक दिया, जिसके बाद छात्रा के माता-पिता ने इसे धार्मिक अधिकार बताकर हंगामा खड़ा किया। इस विवाद के चलते स्कूल प्रशासन को दो दिन के लिए स्कूल बंद करना पड़ा।
विवाद बढ़ने पर केरल हाईकोर्ट ने स्कूल प्रशासन और शिक्षकों की सुरक्षा के लिए पुलिस प्रोटेक्शन का निर्देश भी दिया। प्रिंसिपल का आरोप था कि नाराज माता-पिता ने स्कूल का घेराव किया, जिससे स्थिति तनावपूर्ण हो गई।
शिक्षामंत्री का हस्तक्षेप
कई माता-पिता का कहना था कि स्कूल बंद होने के कारण बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। इस स्थिति को देखते हुए शिक्षामंत्री सिवानकुट्टी ने स्कूल को निर्देश दिया कि छात्रा को हिजाब पहनकर स्कूल आने की इजाजत दी जाए। इस मामले में उन्होंने स्कूल प्रशासन से एक दिन के भीतर पूरी रिपोर्ट भी मांगी।
एजुकेशन डिपार्टमेंट की रिपोर्ट
एर्नाकुलम के डिप्टी डायरेक्टर ऑफ एजुकेशन (DDE) ने इस मामले की रिपोर्ट शिक्षामंत्री को सौंपी, जिसमें स्कूल प्रशासन की कार्रवाई को गंभीर चूक बताया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि हिजाब पहनने के कारण किसी छात्रा को कक्षा में जाने से रोकना अनुशासनहीनता है और यह शिक्षा के अधिकार (RTE) अधिनियम का उल्लंघन है।
DDE की जांच के अनुसार, स्कूल की कार्रवाई न केवल RTE अधिनियम के खिलाफ थी, बल्कि केरल की समावेशी शिक्षा नीति के भी खिलाफ थी। यह मामला न केवल शिक्षा के अधिकार से जुड़ा है, बल्कि यह धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार से भी संबंधित है।
समाज में हिजाब को लेकर बढ़ता विवाद
हिजाब पहनने का यह मामला सिर्फ एक स्कूल तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे समाज के लिए एक बड़ा मुद्दा बन गया है। कई लोगों का मानना है कि धार्मिक पहचान को स्वतंत्रता से स्वीकार किया जाना चाहिए। वहीं, कुछ लोग इसे स्कूल के अनुशासन और नियमों के खिलाफ मानते हैं। इस विवाद ने केरल में शिक्षा और धार्मिक स्वतंत्रता के बीच संतुलन बनाए रखने की चुनौती को भी उजागर किया है।
इस विवाद ने यह भी दिखाया है कि कैसे समाज में विभिन्न धार्मिक पहचानें सह-अस्तित्व कर सकती हैं और कैसे शिक्षा के अधिकार को संरक्षित किया जा सकता है। शिक्षामंत्री के हस्तक्षेप से उम्मीद की जा रही है कि इस मुद्दे को सुलझाने की दिशा में सकारात्मक कदम उठाए जाएंगे।
निष्कर्ष
इस मामले ने न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी ध्यान आकर्षित किया है। शिक्षामंत्री का निर्णय एक महत्वपूर्ण कदम है, जो यह दर्शाता है कि धार्मिक स्वतंत्रता और शिक्षा के अधिकार को एक साथ कैसे बढ़ावा दिया जा सकता है। अब यह देखना होगा कि स्कूल प्रशासन इस निर्णय को कैसे लागू करता है और इस मामले का आगे क्या परिणाम निकलता है।