नई दिल्ली, 24 सितंबर 2025 — आज शारदीय नवरात्रि का तीसरा दिन है, और भक्तगण माँ चंद्रघंटा की पूजा की तैयारी में हैं। पर्व की श्रद्धा और विधियों को ध्यान में रखते हुए, आज दिन भर के लिए पंचांग विवरण बेहद महत्वपूर्ण हैं — जैसे नक्षत्र, योग, करण, शुभ मुहूर्त, राहुकाल आदि। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि आज कौन-से समय में पूजा करना श्रेष्ठ है, और किन समयों से बचना चाहिए।

पंचांग व ज्योतिषीय जानकारी
आज की तिथि है वर्ष आश्विन शुक्ल तृतीया, विक्रम संवत 2082। चंद्रमा तुला राशि में वक्रगति में है। आज चित्रा नक्षत्र शाम 04:16 बजे तक रहेगा, उसके बाद स्वाति नक्षत्र शुरू होगा। दिन में ऐन्द्र योग 09:02 बजे तक रहेगा, उसके बाद वैधृति योग शुरू होगा। तैतिल करण शाम 05:57 बजे तक प्रभावी रहेगा, और इसके बाद गर करण का समय आएगा।
सूर्योदय का समय सुबह 6:10 बजे है, जबकि सूर्यास्त शाम 6:15 बजे। इन समयों की जानकारी पूजा, अनुष्ठान और दैनिक गतिविधियों की योजना बनाते समय सहायक होती है।
शुभ मुहूर्त और अमृतकाल
पूजा करने के लिए सुबह ब्रह्म मुहूर्त का समय 4:35 बजे से 5:23 बजे तक है — यह विशेष रूप से पवित्र माना जाता है। वहीं विजय मुहूर्त दोपहर 2:14 बजे से 3:02 बजे तक रहेगा। रात के समय निशीथ काल 11:49 बजे से 12:37 बजे तक रहेगा। गोधूलि बेला शाम 6:15 बजे से 6:39 बजे तक है, जिसे पूजा और आरती के लिए अनुकूल माना जाता है।
अमृत काल की अवधि भी महत्वपूर्ण मानी जाती है, और आज सुबह 7:41 बजे से लगभग 11 मिनट तक अमृतकाल रहेगा। इस समय की पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है, यदि व्यक्ति उसे ग्रहण कर सके।
राहुकाल, यमगंड, गुलिक और अशुभ मुहूर्त
हर दिन की भांति आज भी कुछ काल अशुभ माने गए हैं। राहुकाल आज दोपहर 12:00 बजे से 1:30 बजे तक रहेगा। इसके अलावा सुबह 10:30 बजे से 12:00 बजे तक गुलिक काल, और सुबह 7:30 बजे से 9:00 बजे तक यमगंड काल माना गया है। दुर्मुहूर्त काल आज 11:49 बजे से 12:37 बजे तक रहेगा, जब कोई विशेष शुभ कार्य करना टाला जाना चाहिए।
ये समय पवित्र अनुष्ठानों या धार्मिक कृत्यों के लिए उपयुक्त नहीं माने जाते। इसलिए यदि संभव हो, तो अपने पूजा-कार्य इन कालों से बचें।
व्रत-त्योहार और आज की पूजा विधि
आज नवरात्रि का तीसरा दिन है, जिसे विशेष महत्व प्राप्त है। भक्तगण माँ चंद्रघंटा की पूजा करते हैं, उनका आह्वान करते हैं कि वे सभी मनोकामनाएँ पूरी करें और श्रद्धालुओं को मंगलदायक करें। आज की विधि अनुसार पूजा आरंभ करने से पहले, व्यक्ति को शुद्धि व आचरण की शुद्धता बनाए रखनी चाहिए।
पर्वों का सार यह है कि श्रद्धा, भक्ति और नियम का समन्वय बने— पूजा में दिल और मन दोनों से सहभागिता हो। आज जो लोग व्रत रखे हैं, उन्हें भगवान की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होगा।