राजस्थान में डॉक्टर पर एसीबी की बड़ी कार्रवाई
राजस्थान का सवाई मानसिंह (SMS) अस्पताल इन दिनों अपने एक डॉक्टर को लेकर सुर्खियों में है। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की टीम ने हाल ही में अस्पताल के न्यूरो सर्जरी विभाग के HOD और एडिशनल प्रिंसिपल, डॉक्टर मनीष अग्रवाल को 9 अक्टूबर को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। यह कार्रवाई तब हुई जब एसीबी की टीम ने डॉक्टर के गोपालपुरा स्थित आवास पर छापेमारी की।
डॉक्टर मनीष अग्रवाल को एसीबी ने 1 लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए पकड़ा। इस दौरान, उनके एक कर्मचारी जगत ने रिश्वत की रकम को एक खाली प्लॉट में फेंक दिया था, जिसे एसीबी की टीम ने बरामद कर लिया। यह मामला तब सामने आया जब अस्पताल में डॉक्टर के खिलाफ कई शिकायतें आईं थीं।
खजाने की खोज में एसीबी की जांच
एसीबी ने डॉक्टर मनीष अग्रवाल के ठिकानों पर जब छापेमारी की, तो उनके बैंक लॉकर से 900 ग्राम सोने की ज्वेलरी बरामद हुई, जिसकी कीमत लगभग 1 करोड़ रुपए है। इस खोज ने जांच को और भी जटिल बना दिया है। एसीबी को संदेह है कि डॉक्टर के पास और भी बैंक लॉकर हो सकते हैं, जिनकी जानकारी अभी तक नहीं मिली है।
जांच के दौरान, जब एसीबी ने डॉक्टर से पूछताछ की, तो उन्होंने दावा किया कि उनकी शिकायत उन लोगों ने की है जो उनसे जलते थे। हालांकि, एसीबी को आशंका है कि डॉक्टर अपने बयान में गुमराह कर रहे हैं। पूछताछ के दौरान, डॉक्टर ने यह भी बताया कि वे डॉ. दीपक माहेश्वरी, जो कि एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल हैं, के काफी करीबी हैं।
डॉक्टर ने रिश्वत को लेकर क्या कहा?
डॉक्टर मनीष अग्रवाल ने एसीबी के सामने अपनी सफाई में कहा कि उन्हें बड़ी जिम्मेदारियां मिलती देखकर उनके प्रतिस्पर्धियों ने उनकी शिकायत की है। उनका यह कहना था कि वे निष्पक्ष तरीके से काम कर रहे थे, लेकिन अन्य डॉक्टरों ने उन्हें नुकसान पहुँचाने के लिए एसीबी में शिकायत की। ऐसे में एसीबी को उनके इस बयान पर भी संदेह है।
बताया जा रहा है कि एसीबी ने डॉक्टर मनीष अग्रवाल के खिलाफ कई लोगों से बयान लिए हैं। इनमें से कुछ ने स्पष्ट रूप से कहा है कि डॉक्टर ने उन्हें इलाज के लिए पैसे देने के लिए मजबूर किया। यह मामला अब एक गंभीर जांच का विषय बन चुका है, जिसमें एसीबी को और भी जानकारी इकट्ठा करनी होगी।
भ्रष्टाचार का यह मामला क्यों है महत्वपूर्ण?
यह मामला केवल एक व्यक्ति की गिरफ्तारी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में भ्रष्टाचार के व्यापक मुद्दे को उजागर करता है। जब चिकित्सक जैसे पेशेवर लोग इस तरह की गतिविधियों में लिप्त होते हैं, तो यह न केवल मरीजों के लिए खतरा बनता है, बल्कि समाज में गंभीर नैतिक प्रश्न भी उठाता है।
इस मामले में एसीबी की कार्रवाई से यह स्पष्ट होता है कि सरकारी एजेंसियां भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठा रही हैं। इससे यह भी संदेश जाता है कि कोई भी इस तरह की गतिविधियों से बच नहीं सकता, चाहे वह कितना ही शक्तिशाली क्यों न हो।
निष्कर्ष
राजस्थान में डॉक्टर मनीष अग्रवाल के खिलाफ एसीबी की कार्रवाई ने स्वास्थ्य सेवाओं में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक मजबूत संदेश दिया है। हालांकि, यह देखना होगा कि आगे की जांच में क्या नया सामने आता है और क्या अन्य लोग भी इस मामले में शामिल हैं। इस प्रकार के मामलों में सख्त कार्रवाई से शायद भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोका जा सकेगा।
हालांकि, इस मामले की गंभीरता को देखते हुए, एसीबी की ओर से की जा रही कार्रवाई का हर किसी को समर्थन मिलना चाहिए, ताकि स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता और नैतिकता को बनाए रखा जा सके।
क्या यह मामला केवल एक डॉक्टर की गिरफ्तारी तक सीमित रहेगा या इससे स्वास्थ्य सेवाओं में व्यापक बदलाव आएगा, यह देखना बाकी है।