जयपुर में ‘सुरीले सुरों की शाम’ का भव्य आयोजन
राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर को संजोए रखने के लिए रविवार को जवाहर कला केन्द्र में एक अद्वितीय संगीतमय कार्यक्रम ‘सुरीले सुरों की शाम’ का आयोजन हुआ। इस कार्यक्रम का सफल आयोजन सुकून सुर रागिनी और एसएसआर ग्रुप ने किया, जिसमें संगीत प्रेमियों ने मधुर धुनों और मनमोहक प्रस्तुतियों का आनंद लिया। यह कार्यक्रम संगीत के प्रति प्रेम को और भी गहरा करने वाला साबित हुआ।
मुख्य अतिथि और दर्शकों की उपस्थिति
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व कैबिनेट मंत्री व विधायक कालीचरण सराफ ने शिरकत की। इस अवसर पर शहर के कई उद्योगपति, व्यवसायी और संगीत जगत की जानी-मानी हस्तियां भी उपस्थित रहीं। कार्यक्रम का संचालन जितेन्द्र नाग ने किया, जिन्होंने कार्यक्रम को एक नया आयाम दिया। नीरा राजवंशी, जो कार्यक्रम की डायरेक्टर थीं, ने बताया कि इस आयोजन का उद्देश्य जयपुर की संगीत परंपरा और सांस्कृतिक धरोहर को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाना है।
कार्यक्रम की शुरुआत और कला का प्रदर्शन
कार्यक्रम की शुरुआत गणेश वंदना के साथ हुई, जिसके बाद एक से बढ़कर एक गीतों ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस संगीतमय शाम में कई प्रतिभाशाली कलाकारों ने अपनी आवाज का जादू बिखेरा। कलाकारों में संध्या टंडन, जितेन्द्र नाग, रजनी श्रीवास्तव, मोहित-रीटा माथुर, अशोक माथुर और विजय-नीलम शर्मा जैसे कई नाम शामिल थे।
- किशोर क्षत्रिय
- स्मिता नवलखा
- सरला पुरोहित
- राजेश-सुनीता भाटिया
- अरुण गोयल
- राकेश श्रीवास्तव
- अनूप पारीक-उमा श्रीवास्तव
इन सभी कलाकारों ने लोकप्रिय गीतों से महफिल को जीवंत बना दिया और श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया।
संगीत प्रेमियों के लिए अविस्मरणीय अनुभव
कार्यक्रम के दौरान, कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति के माध्यम से श्रोताओं के दिलों में एक खास जगह बना ली। नीरा राजवंशी ने कार्यक्रम के समापन पर सभी कलाकारों, श्रोताओं और सहयोगियों का आभार व्यक्त किया। इस संगीतमय शाम ने जयपुरवासियों के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव बनकर उभरी, जो संगीत, सरगम और सुरों से सजी रही।
संगीत का महत्व
इस कार्यक्रम ने स्पष्ट किया कि संगीत न केवल मनोरंजन का माध्यम है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक पहचान और परंपराओं को भी सहेजता है। जयपुर जैसे शहरों में ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन न केवल संगीत प्रेमियों के लिए, बल्कि नए प्रतिभाओं के लिए भी एक मंच प्रदान करता है।
इस प्रकार, ‘सुरीले सुरों की शाम’ ने न केवल जयपुर के संगीत प्रेमियों को एकजुट किया, बल्कि उन्होंने एक नई दिशा भी दी है कि हम अपनी सांस्कृतिक धरोहर को कैसे सहेज सकते हैं। इस कार्यक्रम ने सभी उपस्थित लोगों के दिलों में एक गहरा छाप छोड़ा, जो लंबे समय तक याद रहेगा।