Kidnap: राजस्थान में नाबालिग किडनैप करने पर पति-पत्नी को तीन साल की कठोर सजा



झालावाड़: नाबालिग किडनैपिंग के मामले में पति-पत्नी को मिली सजा झालावाड़ पोक्सो कोर्ट ने एक नाबालिग किडनैपिंग मामले में एक पति-पत्नी को तीन-तीन साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई…

Kidnap: राजस्थान में नाबालिग किडनैप करने पर पति-पत्नी को तीन साल की कठोर सजा

झालावाड़: नाबालिग किडनैपिंग के मामले में पति-पत्नी को मिली सजा

झालावाड़ पोक्सो कोर्ट ने एक नाबालिग किडनैपिंग मामले में एक पति-पत्नी को तीन-तीन साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। यह मामला उस समय सुर्खियों में आया जब आरोपी दंपत्ति ने एक नाबालिग लड़की का अपहरण कर लिया। इस घटना ने न केवल पीड़ित परिवार को बल्कि समाज को भी चिंता में डाल दिया है।

मामले का विवरण और न्यायालय की कार्यवाही

विशिष्ट लोक अभियोजक गिरिराज नागर ने बताया कि विशेष न्यायालय पोक्सो कोर्ट नंबर-1, झालावाड़ के जज ने आरोपी पति और उसकी पत्नी को दोषी पाया। यह मामला 26 नवंबर 2023 को दर्ज किया गया था। फरियादी ने अपनी लिखित रिपोर्ट में उल्लेख किया कि आरोपी और उसकी पत्नी उसकी बेटी की सगाई के लिए उनके घर आए थे, लेकिन पीड़िता की मां ने सगाई के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था।

लगभग एक महीने बाद, जब पीड़िता की मां काम पर गई हुई थी, तब पीड़िता और उसकी छोटी बहन घर पर अकेली थीं। जब मां शाम को घर लौटी, तो छोटी बेटी ने बताया कि आरोपी पति-पत्नी दिन में आए थे और उसकी बड़ी बहन (पीड़िता) का अपहरण कर अपने साथ ले गए। यह खबर सुनकर मां के पैरों तले से जमीन खिसक गई।

आरोपियों की हरकत और पीड़िता की मां की कोशिशें

अगले दिन, पीड़िता की मां मेसर गई और आरोपी से अपनी बेटी को वापस भेजने का आग्रह किया, लेकिन आरोपी ने मना कर दिया। पीड़िता की मां ने यह बात अपने पति को बताई, जो सीकर में काम करते हैं। इस बीच, परेशान होकर पीड़िता की मां ने आरोपी को फोन किया। आरोपी ने बताया कि वे बीकानेर आ गए हैं और लड़की उनके साथ है। आरोपी ने पीड़िता की शादी अपने बेटे से करवाने की मंशा जताई, इसलिए उसने उसे वापस भेजने से इनकार कर दिया।

  • पीड़िता की मां की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज किया।
  • पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी पति-पत्नी के खिलाफ जांच शुरू की।
  • जांच के बाद पुलिस ने कोर्ट में चालान पेश किया।

कोर्ट का फैसला और समाज पर प्रभाव

कोर्ट ने सभी सबूत और दलीलों के आधार पर आरोपी पति-पत्नी को दोषी ठहराते हुए तीन-तीन साल का कठोर कारावास सुनाया। इस सजा के बाद कोर्ट ने स्पष्ट किया कि नाबालिगों के अपहरण और विवाह के लिए जबरदस्ती ले जाने वाले अपराधियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। यह फैसला न केवल पीड़ित परिवार के लिए न्याय है, बल्कि समाज में एक सख्त संदेश भी है कि ऐसे अपराधों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

इस घटना ने एक बार फिर से नाबालिगों की सुरक्षा और उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता को उजागर किया है। समाज को यह समझना होगा कि नाबालिगों का अपहरण एक गंभीर अपराध है, और इसे रोकने के लिए सभी को मिलकर प्रयास करना होगा।

समाज की जिम्मेदारी

नाबालिगों की सुरक्षा केवल कानून की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह समाज के हर सदस्य की जिम्मेदारी है। परिवारों को अपने बच्चों की सुरक्षा के प्रति सतर्क रहना चाहिए और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत पुलिस को देनी चाहिए।

इस मामले ने यह भी दिखाया है कि जब हम अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर सजग रहते हैं, तो हम उन्हें ऐसे खतरों से बचा सकते हैं। बच्चों को आत्मरक्षा के बारे में शिक्षित करना और उन्हें किसी भी प्रकार की परेशानी के बारे में बताने के लिए प्रोत्साहित करना आवश्यक है।

इस प्रकार के मामलों में सख्त सजा और त्वरित कार्रवाई से न केवल न्याय मिलता है, बल्कि यह समाज में सुरक्षा की भावना को भी बढ़ाता है। सभी को मिलकर इस दिशा में कदम उठाने होंगे ताकि भविष्य में ऐसे अपराधों की पुनरावृत्ति न हो सके।

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